मालवीय रोड पर बेशकीमती ज़मीन जबरिया हथियाना चाहते हैं भूमाफिया
बस्ती में भू माफिया का गैंग सक्रिय शासन प्रशासन भूमाफिया आगे मत मस्तक है भू माफिया द्वारा बेश कीमती जमीन पर कब्जामाते हैं जिसमें आम भूमिका पुलिस और राजस्व विभाग विभक्ति है शासन प्रशासन भू माफियाओं पर कब करेगी कार्रवाई
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बस्ती।
बस्ती शहर के मालवीय रोड पर किरन सर्जिकल के सामने करीब 45 एअर बेश कीमती जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से एक पक्ष बगैर अभिलेखीय साक्ष्य के स्थानीय नागरिकों, पुलिस, जिला प्रशासन व मीडिया को गुमराह करते हुये उक्त जमीन पर लगातार अपना दावा कर रहा है। जबकि यह बैरिहवां मोहल्ले के रहने प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव और कृष्णचन्द्र श्रीवास्तव की पुश्तैनी जमीन है।
सारे अभिलेखीय साक्ष्य उनके पक्ष मे हैं। पूरा प्रकरण पुलिस व जिला प्रशासन की जानकारी मे है। कृष्णचन्द्र श्रीवास्तव के आवेदन पर उक्त जमीन गाटा संख्या 401 की पैमाइश राजस्व व पुलिस टीम की मौजूदगी में हुई। कृष्णचन्द्र श्रीवास्तव के स्वामित्व वाले भूखण्ड जिसका रकबा 45 एअर है उसका सभी की मौजूदगी में चिन्हांकन किया गया। आदेश हुआ कि जमीन पर कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव आदि को कब्जा करने में कोई दखल न दिया जाये। मामला संवेदनशील उस वक्त हुआ जब पुलिस की मौजूदगी में जमीन पर मालिकाना हक रखने वाला पक्ष कब्जा करने पहुचा। घटना 30 मई की है। दोनो पक्ष आमने सामने आ गये।
अपनी जमीन पर कब्जा करने पहुचे भूस्वामियों पर दबंगों ने जानलेवा हमला कर दिया। कई लोग चोटिल हो गये। स्कार्पियो वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पुलिस के सामने किसी प्रकार मामला शांत हुआ लेकिन कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि एक साजिश के तहत रोड पर लगे खंभों की लाइट बुझा दी गई और 60 से 70 की संख्या में पहुंचे अराजक तत्वों ने उन पर और उनके परिवार पर हमला कर दिया। इंट पत्थर फेंके गये, भागकर किसी तरह लोगों ने जांन बचाया। दरअसल इस बेशकीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर है।
दूसरा पक्ष अजिता त्रिपाठी पत्नी नीरज त्रिपाठी और पूनम त्रिपाठी पत्नी पंकज त्रिपाठी अपने सहयोगियों के साथ झूठ को सच साबित करने में जुटी हैं। इनके पास कोई अभिलेखीय साक्ष्य मौजूद नही है। इस पक्ष से केवल महिलायें सामने आ रही हैं जिन्हे लोगों की सहानुभूति और संवेदनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं, जमीनों पर अवैध कब्जा करने के मामले में महिलाये यदि मोर्चा संभाल लें तो सामने से सीधी लड़ाई लड़ने की हिम्मत बहुत कम लोगों की होती है।
लेकिन अभिलेखीय साक्ष्य को कोई कैसे झुठला सकता है। वास्तविक भू स्वामियों का आरोप है कि रौता चौकी इंचार्ज मामले को खूनी संघर्ष में तब्दील करने का षडयंत्र रच रहे हैं। इस पूरे मामले में पुलिस और जिला प्रशासन को सूझबूझ से काम लेना होगा और पूरी सुरक्षा के साथ अभिलेखीय साक्ष्य के अनुसार जमीन निर्विवाद रूप से वास्तविक स्वामियों के कब्जे में देनी होगी।
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