उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का निजीकरण से बिजली संग्राम
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लेखक सचिन बाजपेई स्वतन्त्र प्रभात
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह आंदोलन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (VKSSS) के नेतृत्व में चलाया जा रहा है, जिसमें कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षा, सेवा गुणवत्ता और सार्वजनिक हित को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।
यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की। ट्रांजेक्शन सलाहकारों की नियुक्ति को निजीकरण की दिशा में पहला कदम मानते हुए कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया। VKSSS का आरोप है कि यह निर्णय बिना कर्मचारियों से परामर्श के लिया गया, जो पहले हुए समझौतों का उल्लंघन है।
कर्मचारियों ने भूख हड़ताल, कैंडल मार्च और राज्यव्यापी रैलियों के माध्यम से विरोध दर्ज कराया है। 10 मार्च को लखनऊ के शक्ति भवन का घेराव कर कर्मचारियों ने तकनीकी बिड खोलने की प्रक्रिया को रोक दिया। इसके कारण बिड खोलने की तारीख 15 मार्च तक टाल दी गई।
VKSSS ने 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है। इस आंदोलन के अंतर्गत जन जागरूकता अभियान, बाइक रैली और चरणबद्ध कार्य बहिष्कार की योजनाएं बनाई गई हैं।
मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों की प्रमुख चिंताएं इस प्रकार हैं:नौकरी सुरक्षा: प्रस्तावित निजीकरण से लगभग 50,000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है, जिन्हें हटाए जाने का डर है।सेवा गुणवत्ता: कर्मचारियों का मानना है कि निजीकरण से बिजली दरें बढ़ेंगी और सेवा गुणवत्ता घटेगी, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित होंगे।पारदर्शिता और जवाबदेही: परामर्शदाताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता की कमी और संभावित हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।सरकार का पक्षराज्य सरकार का कहना है कि निजीकरण से बिजली क्षेत्र में दक्षता बढ़ेगी और घाटे कम होंगे। उनका दावा है कि निजी निवेश से ढांचा मजबूत होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी। हालांकि, कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए अभी तक कोई ठोस योजना सामने नहीं आई है।जनता की प्रतिक्रियाजनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ लोग बिजली आपूर्ति बाधित होने को लेकर नाराज हैं, जबकि कई लोग कर्मचारियों के साथ सहानुभूति रखते हैं और निजीकरण के सामाजिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।आगे की राहजैसे-जैसे 29 मई नजदीक आ रहा है, स्थिति और तनावपूर्ण होती जा रही है। VKSSS ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे। यह संघर्ष न केवल उत्तर प्रदेश के बिजली क्षेत्र बल्कि राज्य की श्रम नीतियों को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है।
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