त्रिवेणीगंज में ठनका की चपेट में आने से युवक की मौत,

मृतक एक सप्ताह पहले ही जम्मू-कश्मीर से आया था गाँव

त्रिवेणीगंज में ठनका  की चपेट में आने से युवक की मौत,

मृतक की पत्नी है छह माह की गर्भवती

सुपौल, एम के रोशन
 
  नगर परिषदत्रिवेणीगंज  के गणेशपुर मलहनमा वार्ड  8 में मंगलवार सुबह तेज आंधी और बारिश के दौरान ठनका  की चपेट में आने से एक  युवक रूपेश कुमार(21बर्ष ) की मौत हो गई। मृतक रूपेशकुमार  कामेश्वर ठाकुर का सबसे छोटा पुत्र था। घटना से परिवार में कोहराम मच गया है।
 
परिजनों ने बताया कि घटना उस वक्त घटी जब  रूपेश सुबह घर सामने कुछ दूरी पर शौच के लिए बघला नदी की ओर गया था। लौटते समय जैसे ही वह अपने घर के सामने स्थित आम के बगीचे के पास पहुंचा,तेज बारिश और आंधी के साथ हुए बज्रपात की चपेट में आ गया और वही  पर ही गिर पड़ा।लेकिन तेज  बारिश के कारण किसी भी व्यक्ति  को तत्काल  घटना की जानकारी नहीं मिली ।
 
बारिश थमने के बाद जब स्थानीय लोग नदी की ओर जा रहे थे तो उन्होंने रूपेश को  बगीचे में पड़ा हुआ है।सूचना मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे और रूपेश को घर लाए,लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। परिजनों ने त्रिवेणीगंज पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस  शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है 
 

तीन साल पहले हुई थी शादी 

 
 परिजनों के मुताबिक मृतक  रूपेश की शादी तीन वर्ष पूर्व मधेपुरा जिले के बिहारीगंज निवासी पिंटू ठाकुर की पुत्री रूपा देवी से हुई थी,जो फिलहाल  छह माह की गर्भवती हैं। रूपेश की असमय मौत से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पत्नी और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। पिता तो मूक बधिर बन सिर्फ आने जाने वाले लोगों को निहार रहा है ।उनके आँसू सुख चुके है।
 
परिवार के लोगों ने बताया कि रूपेश जम्मू-कश्मीर में रहकर राजमिस्त्री का काम करता था। हाल ही में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव और गोलीबारी के कारण वह एक सप्ताह पहले ही घर लौटा था। लेकिन  लौटने के कुछ ही दिनों बाद बज्रपात से उसकी जान चली गई। रूपेश की मौत के बाद गांव में शोक की लहर है
 

शौचालय तो , तो शायद बच सकती थी जान :

 
मृतक के पिता कामेश्वर ठाकुर ने बताया कि उनके घर में शौचालय नहीं है,जिस कारण रूपेश शौच के लिए बाहर गया था और वहां से लौटते वक्त आकाशीय बिजली की चपेट में आने से उसकी मृत्यु हो गई।  शौचालय नहीं रहने की स्थिति में घर के अन्य सदस्य चाहे वे बच्चे हों,महिलाएं हों या पुरुष  शौच के लिए बाहर ही जाना पड़ता होगा।नगर परिषद क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद गरीबी से लाचार परिवार के घर में शौचालय का न होना स्वच्छ भारत मिशन के दावे की हकीकत को बयां करता है।
 
सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दिए जाने के बावजूद भी यदि किसी परिवार के पास शौचालय नहीं है,तो यह कई सवालों को जन्म देता है।मृतक के परिजनों का मानना है कि अगर उनके घर में शौचालय होता,तो रूपेश की जान शायद बच सकती थी।पुलिस ने मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराकर परिजनो को सौंप दिया है और आगे की कार्रवाई कर रही है।

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