वक़्त की चाल में छूटते रिश्ते: क्या हम सच में जी रहे हैं?
[तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में ठहरिए — कहीं वो हँसी पीछे न छूट जाए]
ज़िंदगी एक अनघट कविता है, जिसमें हर पंक्ति छोटे-छोटे पलों से बनी होती है। ये पल, जो उस वक्त साधारण लगते हैं, वही समय के साथ हमारी आत्मा का सबसे अनमोल खज़ाना बन जाते हैं। बचपन में माँ की उँगलियों का हल्का-सा स्पर्श, जो हमें सड़क पार कराते वक्त सुरक्षा का एहसास देता था। पिता की थकी आँखों में छिपी वह मुस्कान, जो हमारी छोटी-सी उपलब्धि पर चमक उठती थी। दादी की झुर्रियों भरी हथेली, जो हमारे सिर पर फेरते वक्त कहानियों का संसार बुनती थी। उस वक्त ये क्षण रोज़मर्रा के हिस्से थे, पर आज ये स्मृतियों के अनमोल रत्न हैं। ये छोटे पल ही हैं, जो ज़िंदगी को अर्थ देते हैं, जो हमें सिखाते हैं कि सच्ची खुशी बड़ी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि इन नन्हे लम्हों की गर्माहट में बसती है।
ज़िंदगी का सबसे बड़ा सच यही है कि समय किसी का इंतज़ार नहीं करता। वह एक नदी है, जो लगातार बहती रहती है, और हमारी लापरवाही में उसके किनारे के फूलों को छूने का मौका छूट जाता है। हम सोचते हैं कि कल वक्त निकाल लेंगे। कल उस दोस्त को फ़ोन करेंगे, जिसकी आवाज़ सालों से नहीं सुनी। कल दादाजी के साथ बैठकर उनकी पुरानी बातें सुनेंगे। कल बच्चों के साथ बिना वजह हँसेंगे। लेकिन यह 'कल' एक मृगतृष्णा है। जब वह आता है, तब तक बहुत कुछ बदल चुका होता है। वो लोग, वो पल, वो एहसास — सब किसी और समय के हिस्से बन चुके होते हैं। और हम रह जाते हैं सिर्फ़ एक सवाल के साथ — काश, उस दिन पाँच मिनट और रुक गए होते।
इन छोटे पलों में ही ज़िंदगी का असली जादू छिपा है। जब बारिश की बूँदें अचानक चेहरे पर गिरती हैं और हम बेवजह मुस्कुरा उठते हैं। जब कोई बिना कहे हमारे लिए कॉफी बना देता है, क्योंकि उसे हमारी पसंद याद है। जब बच्चा अपनी छोटी-सी ड्राइंग दिखाने दौड़कर आता है, और उसकी आँखों में चमक देखकर हमारा दिल भर आता है। ये पल साधारण नहीं, ये वो अनमोल मोती हैं, जो हमारी यादों की माला को सजाते हैं। ये वो रंग हैं, जो हमारी ज़िंदगी के कैनवास को जीवंत बनाते हैं। इन्हें अनदेखा करना, ज़िंदगी के सबसे ख़ूबसूरत हिस्से को खो देना है।
डिजिटल युग ने हमें स्क्रीन से बाँध दिया है। हमारी आँखें फ़ोन की चमक में खोई रहती हैं, लेकिन अपनों की आँखों में झाँकना भूल जाती हैं। हम हज़ारों मील दूर बैठे अनजान लोगों से जुड़े रहते हैं, लेकिन पास बैठे अपने लोगों की बातें सुनना भूल जाते हैं। हमें फिर से सीखना होगा कि वास्तविक दुनिया की ख़ुशियाँ स्क्रीन पर नहीं, बल्कि उन चेहरों में हैं, जो हमें बिना शर्त प्यार करते हैं। हमें फिर से महसूस करना होगा कि एक छोटी-सी बातचीत, एक हल्की-सी हँसी, एक साथ बिताया गया पल — ये सब ज़िंदगी के सबसे बड़े उपहार हैं।
छोटे पल छोटे नहीं होते। वे वो बीज हैं, जो रिश्तों के वृक्ष को सींचते हैं। एक साथ खाया गया खाना, जिसमें माँ ने थोड़ा ज़्यादा नमक डाल दिया और हम सब हँस पड़े। एक पुरानी फ़ोटो, जिसे देखकर बचपन की शरारतें याद आ गईं। एक दोस्त का वह मज़ाक, जो सालों बाद भी हँसी छुड़ा देता है। ये सब वो धागे हैं, जो हमारे जीवन की चादर को रंगीन और मज़बूत बनाते हैं। इन पलों को जीना, इन्हें संजोना, यही ज़िंदगी को पूर्णता देता है।
समय की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती और क्रूरता यही है कि वह कभी रुकता नहीं। वह हमें मौके देता है, लेकिन उन्हें पकड़ने की ज़िम्मेदारी हमारी है। इसलिए, आज की रफ्तार को थाम लीजिए। अपने आसपास के लोगों को देखिए, उनकी बातों को सुनिए, उनके साथ हँसिए। उस माँ को गले लगाइए, जो बिना कहे आपके लिए हर दिन कुछ न कुछ करती है। उस दोस्त को फ़ोन कीजिए, जिसकी हँसी आपकी ज़िंदगी का हिस्सा थी। उस बच्चे के साथ खेलिए, जो आपकी दुनिया को रंगों से भर देता है। क्योंकि ये छोटे पल ही हैं, जो एक दिन आपकी सबसे बड़ी दौलत बनेंगे।
ज़िंदगी की सैर में मंज़िलें तो बहुत हैं, लेकिन असली मज़ा रास्ते के इन नन्हे पड़ावों में है। हर मुस्कान, हर स्पर्श, हर कहानी — ये सब आपकी यादों का हिस्सा बनने के लिए बेताब हैं। इन्हें अनदेखा न करें। अगली बार जब कोई अपना बिना वजह मुस्कुराए, तो उस मुस्कान को लौटाइए। जब दादी फिर से वही पुरानी कहानी सुनाने लगें, तो उनके साथ उस कहानी में खो जाइए। जब बारिश आपको भीगने का न्योता दे, तो उसे ठुकराइए नहीं। क्योंकि यही पल, यही लोग, यही एहसास — एक दिन आपकी ज़िंदगी की सबसे अनमोल कहानी बनेंगे। ज़िंदगी छोटे पलों की माला है, और हर पल एक मोती। इसे संजोइए, इसे जिए, क्योंकि समय की सैर में यही पल अमर हो जाते हैं।
प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)

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