सोनभद्र में अवैध खनन और भ्रष्टाचार से आध्यात्मिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य खतरे में, अब औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी प्रभावित
जिले में अवैध खनन, प्रदूषण, विष्फोट से आम आदमी परेशान, प्रशासन मौन
विकास के बड़े बड़े दावे करने वाले जन प्रतिनिधि एकांतवाश में लीन, रहवासी परेशान
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
यह वही सोनभद्र है, जिसकी भौगोलिक संरचना, आध्यात्मिक महत्व और अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य यहां के निवासियों को गर्व से भर देता है। लेकिन जब यहां के जिम्मेदार अधिकारियों की दृष्टि इस क्षेत्र पर पड़ती है, तो मानो उनकी आँखों में इसकी अपार संपदा को लूटने की लालसा जाग उठती है, सुरक्षा और संरक्षण की भावना कहीं खो जाती है।
अधिकारीगण, इस क्षेत्र की रक्षा और संवर्धन के बजाय, इसके अंधाधुंध दोहन की मानसिकता से ग्रस्त दिखाई देते हैं। इससे उन माफियाओं को और बल मिलता है, जो पहले से ही ऐसे अवसरों की तलाश में घात लगाए बैठे रहते हैं। यही कारण है कि विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले जनप्रतिनिधि सत्ता में आते ही ऐसे एकांत की तलाश में निकल जाते हैं, जैसे हिमालय की गुफाएं हों, जहां उन्हें न तो अवैध खनन दिखाई देता है, न कोई अव्यवस्था और न ही यातायात जाम की समस्या। भ्रष्टाचार तो मानो उनके लिए अतीत की कहानियों का हिस्सा बन जाता है।
लेकिन सोनभद्र के आम नागरिकों को हर रोज अवैध खनन, बढ़ते प्रदूषण और अनियंत्रित विस्फोटों से जूझना पड़ता है। जनपद के बिल्ली और डाला खनन क्षेत्रों में चल रही अवैध और गहरी खदानों में काम करने वाले मजदूर आए दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं, और कई बार अपनी जान गंवा भी देते हैं। कागजों पर सब कुछ कानून के दायरे में बताया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां कोई भी कानून का पालन नहीं कर रहा है। अवैध खनन से लेकर प्रदूषण और सड़कों की दुर्दशा तक, हर तरफ भ्रष्टाचार की कहानी बयां हो रही है।
ताजा मामला मे साई बाबा स्टोन वर्कश का है, जिसकी प्रोपराइटर अंजू राय, पत्नी धीरज राय हैं। उन्हें आराजी संख्या 5414 ग, रकबा 3.43 एकड़ पर 31 मई 2016 से 30 मई 2026 तक 10 वर्षों के लिए खनन पट्टा स्वीकृत किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस पट्टे के तहत सभी नियमों और कानूनों का सही ढंग से पालन किया जा रहा है? क्षेत्र में व्याप्त अवैध खनन और सुरक्षा के घोर अभाव की खबरें स्पष्ट रूप से इंगित करती हैं कि कहीं न कहीं गंभीर नियमों का उल्लंघन हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इस पर आंखें मूंद कर बैठे हैं।
इस अवैध खनन और प्रदूषण का दुष्प्रभाव अब शिक्षा संस्थानों तक भी पहुंच रहा है। विजय निजी औद्योगिक प्रशिक्षण स्थापना (आईटीआई) कॉलेज की दीवारों में भी दरारें आ गई हैं। यह विद्यालय खदानों से होकर जाने वाले रास्ते पर स्थित है, जहां दिनभर भयानक प्रदूषण रहता है। आसपास के निवासियों के घरों में भी दरारें देखने को मिल रही हैं। निवासियों का कहना है कि सरकार खदानों की टेंडरिंग तो कर रही है, मगर आसपास के घरों और संस्थानों को जो क्षति पहुंच रही है, उसकी भरपाई कौन करेगा?
सोनभद्र की अमूल्य प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए अब कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। अवैध खनन और भ्रष्टाचार के इस जाल को तोड़ना होगा, ताकि इस क्षेत्र की पहचान और यहां के निवासियों का गौरव सुरक्षित रह सके। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर स्थिति पर क्या संज्ञान लेता है और प्रभावित लोगों को कब तक न्याय मिल पाता है।

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