भगवान दया के सागर है , ब्रम्हर्षि आनंद धाम सरकार
कौशाम्बी स्वतंत्र प्रभात
कौशाम्बी l
नितिन कुमार कश्यप
मंगलवार को उद्दीहिन बुजुर्ग मे सप्तम दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है कथा के षष्टम दिवस की कथा में ब्यास पीठ से वेद व्यास पूज्य आनन्द धाम सरकार ब्रम्हषि नागेंद्र जी महराज (गुरु )जी की वाणी के द्वारा भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ की गयी रास लीला का सुन्दर वर्णन किया।
तथा पूर्णिमा की रात्रि मे भगवान श्रींकृष्ण ने यमुना जी के तट पर शीतल चन्द्रमा के प्रकाश मे जहाँ बालुका खिल रही है, भगवान श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाई श्री कृष्ण एक है और बांसुरी भी एक है लेकिन 84कोस के ब्रज मण्डल मे जितनी भी गोपियां है, सबको बांसुरी मे अपना नाम सुनाई दे रहा है मानो कृष्ण की बांसुरी प्रत्येक गोपी को उनका नाम लेकर बुला रही है,
जो गोपी जिस कार्य मे लगी थी सभी गोपियाँ अपने -अपने कार्यों को छोड़कर सीधे बृंदावन के पावन यमुना तट की ओर दौड़ पडी भगवान कृष्ण की लीला को देखने के लिए नारी का वेश धारण करके पार्वती जी के साथ शंकर भी आये महारास नृत्य प्रारम्भ हो गया भगवान श्री कृष्ण ने शंकर जी को पहचान लिया श्री कृष्ण ने इतनी जोर से मुरली बजाई की शंकर जी के सिर की साड़ी खुल गयी
भगवान श्री कृष्ण शंकर जी को देखकर हँसने लगे इसके बाद भगवान का मथुरा आगमन अक्रूर जी के मोह का भंग करना एवं मथुरा मे जाकर कंस का उद्धार करने के प्रसंग का बहुत ही विस्तृत ढंग से वर्णन किया गया
भगवान श्रीकृष्ण के द्वारिका गमन एवं द्वारिकाधीश बनने के बाद देवी रुक्मणि के साथ विवाह के प्रसंग का वर्णन किया गया।सुंदर कथा को सुनकर समस्त श्रोता जन झूम उठे। मुख्य कथा के आयोजक मुगुन देवी पत्नी गिरीश चन्द्र मिश्र , सैकड़ो लोग मौजूद रहे लोंगो ने कथा मे बैठकर कथा श्रवण कर परम् आनन्द महसूस किया l
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