SOG टीम पर उत्पीड़न, अवैध छापेमारी और तोड़फोड़ के आरोप, पीड़ित परिवार ने न्याय की लगाई गुहार

SOG टीम पर उत्पीड़न, अवैध छापेमारी और तोड़फोड़ के आरोप, पीड़ित परिवार ने न्याय की लगाई गुहार

जौनपुर। SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) टीम के कुछ पुलिसकर्मियों पर अवैध छापेमारी, तोड़फोड़, मानसिक उत्पीड़न और धन वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल से जुड़े गुरैनी गांव निवासी सनाउल्लाह पुत्र मुश्ताक अहमद और उनके परिवार ने लगाए हैं। पीड़ित पक्ष का कहना है कि उनके परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाने, घर में तोड़फोड़ करने और अवैध वसूली के लिए धमकाने जैसी घटनाएं लगातार की जा रही हैं।
 
पीड़ित परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
परिवार का आरोप है कि SOG टीम के कुछ सक्रिय पुलिसकर्मी, जिनमें औरंगजेब, रामजन्म यादव, संदीप समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं, उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। सनाउल्लाह का कहना है कि जिस मुकदमे में उनकी तलाश की जा रही थी, उसमें उनका नाम तक शामिल नहीं था, इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उनके परिवार को लगातार अवैध रूप से परेशान करना शुरू कर दिया।
 
अग्रिम जमानत के बावजूद पुलिस की दबंगई
पीड़ित पक्ष के मुताबिक, सनाउल्लाह ने माननीय सत्र न्यायालय, जौनपुर से अग्रिम जमानत प्राप्त कर ली थी और इस संबंध में अधिवक्ता ने थाना पुलिस को सूचित भी कर दिया था। इसके बावजूद SOG टीम देर रात घर पर छापेमारी करती रही, परिवार की महिलाओं के साथ अभद्र भाषा और गाली-गलौज की गई और अवैध धन की मांग भी की गई।
 
परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान पुलिसकर्मियों ने घर में तोड़फोड़ की, दुकान के सीसीटीवी कैमरे और डीवीआर तक तोड़ दिए ताकि कोई सबूत न बचे। इतना ही नहीं, जब परिवार ने उनकी मांग पूरी करने से इनकार कर दिया तो अन्य झूठे मुकदमों में फंसाने और जीवन बर्बाद करने की धमकी दी गई।
 
पीड़ित परिवार मानसिक अवसाद में, पुलिस पर छवि खराब करने का आरोप
पीड़ित परिवार का कहना है कि इस तरह की अवैध कार्रवाई से वे गहरे मानसिक तनाव में हैं और हर समय जान-माल का खतरा बना रहता है। इस तरह की पुलिसिया हरकतों से जनता में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा हो रहा है। पीड़ितों ने कहा कि यह न केवल एक परिवार का उत्पीड़न है, बल्कि कानून-व्यवस्था की छवि को भी धूमिल करने वाला कृत्य है।
 
भतीजे की गिरफ्तारी के बाद भी नहीं रुका उत्पीड़न
परिवार के अनुसार, सनाउल्लाह के भतीजे सादिक को सरायख्वाजा थाने में दर्ज अपराध संख्या 43/25 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद, SOG टीम के कुछ पुलिसकर्मी लगातार उनके घर पर छापेमारी करते रहे और अवैध वसूली के लिए दबाव बनाते रहे।
 
अवैध छापेमारी में नहीं रहता स्थानीय थाना और विवेचक की मौजूदगी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन छापेमारियों के दौरान न तो स्थानीय थाना पुलिस मौजूद रहती है और न ही विवेचक। इससे साफ जाहिर होता है कि यह पूरी कार्रवाई SOG टीम के कुछ सदस्यों द्वारा निजी स्वार्थ में की जा रही है।
 
पीड़ित परिवार ने प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार
लगातार हो रहे मानसिक उत्पीड़न, अवैध छापेमारी, सार्वजनिक अपमान और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकियों से परेशान पीड़ित परिवार ने पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
 
पीड़ित पक्ष ने प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:
SOG टीम द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को तुरंत रोका जाए और सनाउल्लाह व उनके परिवार को सुरक्षा दी जाए।
पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।पुलिस अधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि किसी निर्दोष व्यक्ति या उसके परिवार को झूठे मुकदमों में न फंसाया जाए और न ही उन्हें अवैध रूप से प्रताड़ित किया जाए।
न्याय न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी
पीड़ित परिवार ने कहा कि अगर उन्हें जल्द से जल्द न्याय नहीं मिला और SOG टीम के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो वे न्याय के लिए उच्च अधिकारियों और कोर्ट का रुख करेंगे। इसके अलावा, राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल और अन्य सामाजिक संगठनों के सहयोग से आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।
 
कानून-व्यवस्था पर सवाल
 पुलिस की छवि दांव पर
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि पुलिस का काम जनता की सुरक्षा और न्याय दिलाना है, न कि अवैध वसूली और उत्पीड़न करना। इस तरह की घटनाएं न केवल न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन हैं, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या कार्रवाई की जाती है।

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