गोरखपुर: स्थगन आदेश के बावजूद पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई, पीड़ित थाना व तहसील का चक्कर लगाकर न्याय की कर रहे है गुहार
परिवार ने जिला प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित कराया जाए और उन्हें सुरक्षा दी जाए।
ख़जनी। गोरखपुर। जनपद के तहसील खजनी क्षेत्र के बेलघाट थाना अंतर्गत एक जमीन विवाद में अदालत द्वारा पारित स्थगन आदेश के बावजूद पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पा रहा है। आरोप है कि पुलिस भी निष्क्रिय बनी हुई है, जिससे पीड़ितों की परेशानियां और बढ़ गई हैं।
पीड़ित सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वे पांच भाई हैं— मोहन, सोहन, अरविंद, सुरेंद्र और धीरेन्द्र। उनका आरोप है कि उनके भाई सोहन ने उनके पिता लालमन को बहला-फुसलाकर तथा नशे की हालत में रखकर 14 अगस्त 2024 को विवादित जमीन का हिब्बा बैनामा अपने पक्ष में करवा लिया। जब इस बात की जानकारी परिवार को हुई तो उन्होंने सिविल जज (जू.डि.) बांसगांव, गोरखपुर की अदालत में वाद संख्या 275/2025 दायर किया। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद 3 मार्च 2025 को स्थगन आदेश पारित किया कि “विवादित भूमि पर कोई भी पक्ष हस्तक्षेप या नवनिर्माण नहीं करेगा।”
स्थगन आदेश के बावजूद दबंगई जारी
पीड़ित परिवार का आरोप है कि अदालत के आदेश के बावजूद सोहन और उसकी पत्नी रंजना देवी जबरन नवनिर्माण करा रहे हैं। विरोध करने पर दबंगई पर उतर आए हैं और अपने आपराधिक प्रवृत्ति के रिश्तेदारों की मदद से परिवार को धमका रहे हैं।
“जब हमने उन्हें रोका तो उन्होंने डराना-धमकाना शुरू कर दिया। हमारे घर पर चढ़कर गाली-गलौज करने लगे। भाला, फावड़ा, आदि लहराकर जान से मारने की धमकी दी। पुलिस से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई,” - सुरेंद्र कुमार, पीड़ित
पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप
पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने थाना बेलघाट में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही। इससे परिवार डरा-सहमा हुआ है और कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है।
पीड़ितों की मांग – आदेश का पालन हो
परिवार ने जिला प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित कराया जाए और उन्हें सुरक्षा दी जाए।
क्या कहती है कानून व्यवस्था?
विधि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अदालत ने किसी संपत्ति को लेकर स्थगन आदेश जारी किया है, तो किसी भी पक्ष को वहां निर्माण करने या कब्जा करने का अधिकार नहीं होता। स्थगन आदेश का उल्लंघन करना अदालत की अवमानना के दायरे में आता है और पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या प्रशासन करेगा कार्रवाई?
अब देखना होगा कि पीड़ित परिवार की गुहार पर प्रशासन क्या कदम उठाता है। यदि जल्द ही कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है।

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