होली त्योहार क्यों मनाया जाता है-वैज्ञानिक महत्व।
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लखनऊ। राजधानी लखनऊ के प्रोफभरत राज सिंह महानिदेशक, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेस, व अध्यक्ष, वैदिक विज्ञान केन्द्र, होली का त्योहार हमारे पूर्वजों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मनाने का समय तय किया था। यह त्योहार मौसम के बदलाव के समय आता है, जब शरीर में आलस्य और थकान बढ़ जाती है। गर्मी के मौसम की शुरुआत में ठंडे मौसम से बदलाव के कारण शरीर में सुस्ती महसूस होती है, जिसे संगीत और रंगों के द्वारा दूर किया जाता है। फाग के इस मौसम में तेज संगीत और रंग शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। गुलाल और अबीर त्वचा को उत्तेजित करते हैं, जिससे त्वचा के छिद्रों में समाकर स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
होलिका दहन से निकलने वाली गर्मी बैक्टीरिया को नष्ट कर स्वच्छता प्रदान करती है। इसके अलावा, होली के समय घरों की सफाई से भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। सावधानियाँ बाजारू रंगों के केमिकल से शरीर पर बीमारियाँ हो सकती हैं, इसलिए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। रंग खेलने से पहले और बाद में उबटन करना जरूरी है, ताकि रंग आसानी से निकल जाए और त्वचा पर कोई असर न हो। पेंट और अन्य रसायनों से दूर रहें, क्योंकि ये त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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