भीषण जल संकट से जूझ रहे पाकुड़िया प्रखंड के ग्रामीण, प्रशासन से राहत की मांग

भीषण जल संकट से जूझ रहे पाकुड़िया प्रखंड के ग्रामीण, प्रशासन से राहत की मांग

पाकुड़िया/पाकुड़/झारखंड:- गर्मियों की दस्तक के साथ ही पाकुड़िया प्रखंड के विभिन्न सुदूर ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है। कड़ी धूप और गिरते जलस्तर के कारण तालवा, धावाडंगाल, कचूवाबथान और अन्य गांवों में नलकूपों से पानी कम निकल रहा है, जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
 
 ग्रामीणों की मजबूरी: दूषित जल पीने को विवश 
कचूवाबथान के प्रधान टोला की ग्रामीण महिलाओं और प्रधान सुरेश टुडू ने बताया कि टोले में नलकूप तो हैं, लेकिन इन दिनों उनमें से पानी बहुत कम निकल रहा है, जिससे लोगों को विद्यालय परिसर से पानी लाना पड़ता है। स्थानीय महिलाओं ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आज भी उन्हें बेहद पुराने कुएं से पानी भरने की मजबूरी है, जहां गिरी हुई सूखी पत्तियां और अन्य गंदगी पानी को दूषित कर रही है।
 
धावाडंगाल के डुंगरी टोला और जोजो टोला के हालात भी चिंताजनक हैं। यहां के ग्रामीणों को पुराने जर्जर कुओं और बहियार से पानी लाना पड़ता है। तालवा के तोड़े टोला में वर्षों पहले बना कुआं अब जीर्ण-शीर्ण हो चुका है, लेकिन ग्रामीणों के पास कोई और विकल्प नहीं है।
 
मरम्मत से दूर हो सकती है समस्या
सूत्रों के अनुसार, पाकुड़िया प्रखंड के विभिन्न इलाकों में सरकारी नलकूप तो मौजूद हैं, लेकिन उनकी मरम्मत और देखभाल के अभाव में वे बेकार पड़े हैं। यदि प्रशासन इन नलकूपों की उचित मरम्मत कराए, तो पेयजल संकट से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
 
जल संकट के स्थायी समाधान की दरकार
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि प्राथमिकता के आधार पर नलकूपों की मरम्मत कराई जाए और जरूरत पड़ने पर नए नलकूप खोदे जाएं, ताकि ग्रामीणों को दूषित पानी पीने की मजबूरी न हो। जल संकट की समस्या हर साल गर्मी के मौसम में विकराल रूप ले लेती है, ऐसे में प्रशासन को दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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