महाकुंभ 2025 से जन्म लेते देश के विकास और आर्थिक सम्पन्नता के नये मंत्र
On
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन के रूप में लगभग 65 करोड़ देशी एवं विदेशी (सभी उम्र ,जाति, भाषा ,लिंग के साथ सभी आय वर्ग के ) लोगों को संगम में आस्था की डुबकी लगवाने में सफल रहा अपितु भारतीय को एक आर्थिक रूप से और मजबूत और सांस्कृतिक रूप से और समृद्ध होने का एक मंत्र दे गया।अथार्त यदि भारत को पुनः विश्वगुरु बनना है, विकसित राष्ट्र बनना है, विश्व की मजबूत और अग्रणी अर्थ व्यवस्था वाला देश बनना है तो आत्मनिर्भर बनने के साथ अपने देश में 'धार्मिक पर्यटन' को बढ़ावा देना होगा।
भारत के लिए यह इसलिए भी सही दृष्टिगोचर होता है क्योंकि यह हिन्दू, सिक्ख,जैन,बोद्ध धर्म की जननी है तथा संवैधानिक दृष्टि से धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है। यहां इन सभी धर्मों के विश्व प्रसिद्ध अनेकों धार्मिक स्थल है जहां लाखों की संख्या में अनुयाई हर वर्ष देश विदेश से पहुंचते हैं। किन्तु इसके लिए भारत को अपने यहां सभी धर्मों के प्रमुख धार्मिक स्थलों को और अधिक विकसित करना होगा, वहां विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सुख सुविधाएं (खान-पान, आवास, आवागमन, मनोरंजन, खेल-कूद) विकसित करनी होंगी;हवाई,रेल, सड़क तथा जल मार्ग का जाल बिछाना होगा; चोरी-चपाटी, लूटपाट, ढोंग , आडंबर,छेड़छाड़, नशावृत्ति तथा मांसाहार पर लगाम लगानी होगी;साफ़-सफाई, हाइजिन की व्यवस्था को और बेहतर बनाना होगा तथा प्रदूषकों को न कहके वातावरण को शुद्ध रखना होगा तथा पवित्र नदियों को शुद्ध एवं प्रवाहमान बनाए रखना होगा।
साथ ही जो अनहोनी दुखद घटना महाकुंभ 2025 के दौरान घटी उसकी भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसकी पक्की व्यवस्था करनी होगी।भीड़ प्रबंधन को और हाईटेक तथा चूक- प्रूफ बनना होगा; आवागमन को सुगम, सहज बनाना होगा; दर्शन, स्नान, पूजा पाठ, ध्यान,यज्ञ,योग, प्रणायम् आदि को व्यवधान रहित बनाने होंगे तथा चिकित्सा तथा सुरक्षात्मक उपायों को और बेहतर बनाना होगा। अच्छे पढ़ें-लिखे, धर्म स्थल के जानकार , विभिन्न भाषाओं को बोलने, समझने की क्षमता रखने वाले युवाओं की गाइड (प्रमाणिक, लाइसेंस युक्त) के रूप में फोज तैयार करनी होगी।
गाइडों को अपने दायित्व का निर्वहन करते समय यह समझना बेहद जरूरी है कि देश और धर्म स्थल के मान-सम्मान, प्रतिष्ठा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन पर है, इसलिए ऐसा कोई भी कार्य वे न करें जिससे देश की मान-प्रतिष्ठा पर आंच आती हो। विकास को तथा अर्थ व्यवस्था को गति देने के लिए ‘धार्मिक पर्यटन’ को बढ़ावा देना भारत के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इन स्थलों पर पहुंच कर पर्यटक सहज ही सामाजिक सद्भाव, भाईचारा,सुख, शांति , समृद्धि को सच्चे अर्थों में समझते हैं और निकट से अनुभव करता है, ईश्वर पर उनकी आस्था दृढ़ होती हैं और वह तमाम सामाजिक बुराइयों से अपने आपको दूर रखने का संकल्प लेते हैं।
इसलिए हिंदू धर्म के ऋषि, मुनि, साधु, संत, गुरु , आचार्य,स्वामी, महंत ,पुजारी,पुरोहित, पंडित;मण्डलेश्वर, महामंडलेश्वर;बौद्ध धर्म के भिक्षु-भिक्षुणी, लामा, अर्हत,बोधिसत्व; जैन धर्म के मुनि,आर्यिका,गणधर ,आचार्य;सिख धर्म के गुरु,ग्रंथी,संत , महापुरुष; इस्लाम धर्म के मौलाना,आलिम ,इमाम,पीर, सूफी संत,मुफ्ती तथा ईसाई धर्म के पादरी,बिशप,फादर, नन आदि सभी को यह भी ध्यान रखना होगा कि उनकी जमात में ऐसा कोई व्यक्ति न प्रवेश पा ले जो आचरण की दृष्टि से अशुद्ध हो, समाज को अस्वीकार हो।
About The Author
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
Related Posts
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक स्वतंत्र प्रभात ऑनलाइन अख़बार
15 Dec 2025
15 Dec 2025
13 Dec 2025
Post Comment
आपका शहर
15 Dec 2025 22:00:19
Gold Silver Price: सोने–चांदी के दामों में आज 15 दिसंबर 2025, यानी सप्ताह के पहले दिन सोमवार को मामूली गिरावट...
अंतर्राष्ट्रीय
28 Nov 2025 18:35:50
International Desk तिब्बती बौद्ध समुदाय की स्वतंत्रता और दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के कथित हस्तक्षेप के बढ़ते विवाद...

Comment List