गीता हत्याकांड: दोषी पति को उम्रकैद

- 21 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी

गीता हत्याकांड: दोषी पति को उम्रकैद

- साढ़े 5 वर्ष पूर्व कुल्हाड़ी से प्रहार कर नृशंस हत्या करने का मामला

राजेश तिवारी ( क्राइम ब्यूरो) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश

साढ़े 5 वर्ष पूर्व कुल्हाड़ी से प्रहार कर गीता की हुई नृशंस हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/ सीएडब्लू, सोनभद्र अर्चना रानी की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी पति श्याम लाल गोड़ को उम्रकैद व 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। 

अभियोजन पक्ष के मुताबिक मृतका का पिता रामवृक्ष गोड़ पुत्र मंगरु गोड़ निवासी ग्राम करौंदिया, थाना रामपुर बरकोनिया, जिला सोनभद्र ने रामपुर बरकोनिया थाने में 8 जून 2019 को दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसने अपनी बेटी गीता की शादी करीब साढ़े 6 वर्ष पूर्व श्याम लाल गोड़ पुत्र हरिनारायण गोड़ निवासी ग्राम पल्हारी , थाना रामपुर बरकोनिया, जिला सोनभद्र के साथ हिंदू रीति रिवाज से किया था।

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शादी में अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार स्वरूप सामान दिया था। बावजूद इसके दहेज की मांग को लेकर उसकी बेटी गीता को पति श्याम लाल गोड़ द्वारा मारा पीटा जाने लगा। इस दौरान एक बेटी और एक बेटा भी पैदा हुए।

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कई बार बेटी को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया था। काफी समझाने बुझाने के बाद फिर रख लेता था। यह बात गीता हमलोगों को बताती थी। 7/8 जून 2019 की रात में दहेज में रुपये की मांग को लेकर गीता की कुल्हाड़ी से प्रहार कर हत्या कर दिया।

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इसकी सूचना रात 12:30 बजे मोबाइल पर मिली तो सुबह जब गीता के ससुराल पहुंचा तो उसके शरीर पर चोट के निशान थे और मृत हाल में पड़ी थी। दहेज के लिए गीता की कुल्हाड़ी से हत्या कर दिया है। रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना किया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।

मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी पति श्याम लाल गोड़ को उम्रकैद व 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने बहस की।

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