अवैध प्रवासन: वैश्विक संकट पर राजनीति, राष्ट्रहित के विरुद्ध

अवैध प्रवासन: वैश्विक संकट पर राजनीति, राष्ट्रहित के विरुद्ध

अवैध प्रवासन केवल किसी एक राष्ट्र की नहींबल्कि समूचे विश्व की गंभीर और बहुआयामी समस्या बन चुकी है। जब कोई व्यक्ति बिना कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए किसी अन्य देश में प्रवेश करता हैतो यह उस देश की संप्रभुताकानून-व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन जाता है। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक असंतुलन बढ़ता हैसंसाधनों का अनुचित दोहन होता है और सामाजिक स्थिरता प्रभावित होती है। अधिकांश देश इस समस्या से जूझ रहे हैं और इसे रोकने हेतु कठोर नीतियाँ लागू कर रहे हैं। अमेरिका और भारत इस दिशा में विशेष सक्रियता दिखा रहे हैं।

अमेरिका ने लंबे समय से अवैध प्रवासन के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया है। हाल के वर्षों में अमेरिकी प्रशासन ने अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को गति दी है। हाल ही मेंअमेरिका ने 104 भारतीय नागरिकों को अवैध प्रवास का दोषी मानते हुए स्वदेश लौटायाजो यह दर्शाता है कि वह अपने आव्रजन कानूनों को सख्ती से लागू कर रहा है। अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आई.सी.ई.के अनुसारअमेरिका में लगभग 19,000 भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैंजिन्हें शीघ्र ही निष्कासित किया जा सकता है। ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू ‘लैकेन रिले एक्ट’ के अंतर्गत अवैध प्रवासियों की शीघ्र पहचान व निष्कासन की प्रक्रिया तेज की गई थी। इस कानून के तहतअपराधों में संलिप्त पाए गए प्रवासियों को तत्काल हिरासत में लेकर देश से बाहर निकाला जा सकता है।

भारत भी अवैध प्रवासन पर कठोर रुख अपना रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक राष्ट्र को अपने अवैध प्रवासियों की वापसी सुनिश्चित करने में सहयोग देना चाहिए। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह संदेश दृढ़ता से दिया है कि अवैध प्रवासन किसी भी देश के हित में नहीं है। अमेरिका से भारतीय नागरिकों का प्रत्यर्पण कोई नई घटना नहींबल्कि एक सतत प्रक्रिया है। वर्ष 2012 से प्रभावी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत डिपोर्ट किए गए व्यक्तियों को विशेष सुरक्षा उपायों के साथ विमान में रेस्ट्रेंट्स (बांधकर) भेजा जाता हैजिससे यात्रा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

अवैध प्रवासन के दुष्परिणाम व्यापक और गहरे हैं। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैबल्कि आर्थिक संसाधनों पर अनावश्यक भारअपराध वृद्धि और स्थानीय नागरिकों के रोजगार में कटौती जैसे गंभीर प्रभाव छोड़ता है। बिना पंजीकरण और सत्यापन के प्रवासियों का प्रवेश किसी भी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। कई बार ये प्रवासी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाते हैंजिससे करदाताओं पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव बढ़ता है। साथ हीये प्रवासी निम्न वेतन पर कार्य करने को तैयार रहते हैंजिससे स्थानीय श्रमिकों के रोजगार अवसर प्रभावित होते हैं और श्रम बाजार असंतुलित हो जाता है।

अवैध प्रवासन मानव तस्करी और शोषण को भी बढ़ावा देता है। बेहतर जीवनशिक्षा या रोजगार की तलाश में लोग मानव तस्करों के जाल में फंस जाते हैं और अवैध मार्गों से दूसरे देशों में प्रवेश करते हैं। वहां वे अमानवीय परिस्थितियों में जीवन यापन के लिए विवश हो जाते हैं। इन प्रवासियों को श्रम शोषणअसुरक्षित कार्य वातावरण और बंधुआ मजदूरी जैसी अमानवीय स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्तमहिलाओं और बच्चों की तस्करी भी अवैध प्रवासन से जुड़ी एक गंभीर समस्या हैजो वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी है।

कुछ स्वार्थी राजनीतिक दल और छद्म मानवाधिकार संगठन अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस गंभीर विषय को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग देने का दुस्साहस कर रहे हैं। वे सरकार पर निराधार आरोप लगाते हैं कि ट्रंप और मोदी की प्रगाढ़ मित्रता के बावजूद ट्रंप प्रशासन की कठोर आव्रजन नीति अमानवीय है। जबकि सच्चाई यह है कि प्रत्येक संप्रभु राष्ट्र का परम कर्तव्य अपने नागरिकों के अधिकारोंसुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है। इस विषय को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और राजनीतिक समीकरणों के चश्मे से देखना अथवा भ्रामक नैरेटिव गढ़ना केवल कुत्सित प्रचार का साधन है। जब अमेरिकाकनाडाऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश अवैध प्रवासन पर कठोर नीतियाँ लागू कर अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैंतो भारत को भी किसी प्रकार की शिथिलता नहीं बरतनी चाहिए।

कानूनकानून होता है—अवैध सदैव अवैध ही रहेगा। इसे किसी तर्कभावनात्मक आडंबर या राजनीतिक विचारधारा के आवरण में वैध नहीं ठहराया जा सकता। जो कार्य संविधान और विधि-विधान के प्रतिकूल हैवह किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता। इसलिए प्रत्येक राष्ट्र को अपने कानूनों का कठोर अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अवैध प्रवासन को पूर्णतः हतोत्साहित करने के लिए सशक्तप्रभावी और निर्णायक कदम उठाने होंगे।

अवैध प्रवासन के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कठोर नीतियों की अनिवार्यता है। प्रत्येक देश को अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुदृढ़ कर कड़े आव्रजन नियम लागू करने होंगे। सरकारों को रोजगारशिक्षा और अन्य सामाजिक कारकों पर ध्यान देना होगा ताकि लोग अवैध प्रवासन के लिए विवश न हों। साथ हीकानूनी प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाकर वैध प्रवासन को प्रोत्साहित करना भी एक प्रभावी समाधान हो सकता है। यदि सभी देश इस समस्या से दृढ़ संकल्प और निष्पक्ष नीति के साथ निपटेंतो अवैध प्रवासन पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। कानूनी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करना और वैध प्रवासन को बढ़ावा देना ही इसका दीर्घकालिक व स्थायी समाधान है।

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