भारी-भरकम फीस वसूलने के बाद भी शिक्षक पूरा नहीं करा पाते कोर्स, बच्चों को कोचिंग भेजना मजबूरी

जब तक बच्चे की फीस उसके पेरेंट्स जमा नहीं करवाते हैं तब तक उसे बच्चों की पढ़ाई जारी नहीं हो सकती बच्चों को प्राइड विद्यालय अपनी मनमानी से विद्यालय से बाहर निकाल देते हैं उसके बाद छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले सामने आते हैं

भारी-भरकम फीस वसूलने के बाद भी शिक्षक पूरा नहीं करा पाते कोर्स, बच्चों को कोचिंग भेजना मजबूरी

मंदसौर मल्हारगढ़।

(हीरालाल रेबारी पत्रकार)

 

निजी विद्यालय में इतनी फीस देने के बावजूद भी माता-पिता अपने बच्चों के लिए कोचिंग के लिए भेज रहे हैं अब प्रदेश में निजी विद्यालय भी अपना बिजनेस लेकर बैठ गए हैं दरअसल पढ़ाई के लिए अपने माता-पिता प्राइवेट विद्यालय में सालाना की फीस वसूली की जाती है उसके बाद भी बच्चों को अलग से कोचिंग पढ़ना पड़ता है यह माता-पिता की मजबूरी रहती हैं जिले में कई विद्यालय ऐसे हैं जो प्राइवेट विद्यालय जो बच्चों की फीस के लिए बार-बार परेशान करते हैं l

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जब तक बच्चे की फीस उसके पेरेंट्स जमा नहीं करवाते हैं तब तक उसे बच्चों की पढ़ाई जारी नहीं हो सकती बच्चों को प्राइड विद्यालय अपनी मनमानी से विद्यालय से बाहर निकाल देते हैं उसके बाद छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले सामने आते हैं मंत्रालय हाल ही में कोचिंग संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए नई गाइडलाइंस जारी दिनांक 20 जनवरी 2024 को शिक्षा मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की थीकोचिंग संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है।

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मंत्रालय कोचिंग संस्थानों को कानूनी ढांचे में लाकर विनियमित करने के लिए नए गाइडलाइंस लेकर आया है। नियमों के उल्लंघन पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे छात्रों से ज्यादा फीस वसूली की शिकायतें छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले कम होंगे।दरअसल, सरकार इन दिशानिर्देशों के जरिए कोचिंग संस्थानों को कानूनी ढांचे में लाकर विनियमित करना चाहती है।

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वहीं, नियमों के उल्लंघन पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे छात्रों से ज्यादा फीस वसूली की शिकायतें, छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले कम होंगे। मंदसौर जिले के अंदर कोचिंग संस्थान बिना पंजीकृत चल रहे हैंकिसी भी व्यक्ति को कोचिंग संस्थान शुरू करने या प्रबंध करने के लिए केंद्र सरकार से उसे पंजीकृत करवाना होगा। इसी के साथ जिन कोचिंग सेंटरों की एक से ज्यादा ब्रांच है, तो हर ब्रांच को अलग सेंटर के तौर पर पंजीकृत करवाना होगा। वहीं, पंजीकरण की वैधता राज्य सरकार तय करेगी।

सरकार के दिशानिर्देशों में पंजीकरण की वैधता का जिक्र होगा। कोचिंग सेंटरों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी टीचर्स के पास कम से कम स्नातक की डिग्री है। इसी के साथ सेंटर को एक वेबसाइट भी बनानी अनिवार्य होगी, जिस पर छात्रों से ली जाने वाली फीस आदि का पूरा अपडेट होगा। कोचिंग संस्थानों को छात्रों को सभी जरूरी सुविधाएं मिल रही हैं।संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्र का नामांकन नहीं सकता है।

अब सिर्फ सेकेंडरी स्कूल एक्जामिनेशन के बाद ही नामांकन करना होगा। कोचिंग संस्थान अब न तो अच्छी रैंक और न ही गुमराह करने वाले वादे कर सकते हैं। ऐसा करने पर पहली बार 25000 रुपये, फिर 1 लाख के दंड का भी प्रावधान है। इसके बाद सरकार संस्थान का पंजीकरण भी रद्द कर सकती है।

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