अंटार्कटिका में टूटा दिल्ली का चार गुणा बड़ा Iceberg
अंटार्कटिका एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। इस बार यहां लगभग 380 वर्ग किलोमीटर का एक बड़ा हिमखंड यानी आइसबर्ग टूट गया है। इस क्षेत्र में हिमखंड टूटने की घटनाएं बीते कुछ वर्षों से देखने को मिल रही है। यह हिमखंड ब्रंट आइस शेल्फ से टूटकर अलग हुआ है, जो कि एक विशाल हिम चट्टान है। बता दें कि यह हिमखंड ब्रंट आइस शेल्फ से टूटकर अलग हुआ है। यह मूल रूप से एक विशाल हम चट्टान है।
कई वैज्ञानिक सेटेलाइट की मदद से इन हम करो की निगरानी कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने भी सेटेलाइट की मदद से ही हिम खंडों को टूटते हुए देखा है। बता दें की सबसे पहले वर्ष 2021 में हिमखंड टूटने की पहली घटना दर्ज हुई थी। इस दौरान 1270 वर्ग किलोमीटर का एक a74 हिमखंड टूटकर अलग हुआ था।
इसके बाद जनवरी 2023 में 1550 वर्ग किलोमीटर का a81 हिमखंड टूटकर अलग हुआ था। इस हिमखंड का आकार ग्रेटर लंदन के बराबर था। बता दे कि दोनों ही हिमखंड जब टूटे तो इस घटना को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा की सेटेलाइट ने रिकॉर्ड भी किया था। बता दें कि आइसबर्ग a83 को 20मई को टूटे हिमखंड को अमेरिकी राष्ट्रीय हिम केंद्र ने नाम दिया है।
बता दे की अंटार्कटिका में हिमखंड का टूटना एक प्राकृतिक घटना भी है जो नियमित रूप से होती है। लेकिन हाल के वर्षों में यह घटना काफी बढ़ने लगी है जिसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग बताया जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के कारण ही यह घटना बढ़ने लगी है।
Read More IAS Sonia Meena: यह IAS अफसर बन चुकी 'माफियाओं का काल', बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC एग्जाम बता दे की हिमखंड सूर्य के प्रकाश को अंतरिक्ष में परिवर्तित करते हैं जिससे पृथ्वी ठंडी रहती है। गौरतलब है कि जब हिमखंड टूटते हैं तो इससे समुद्र का जल स्तर भी बढ़ने लगता है, जिस कारण तटीय बाढ़, कटाव और तूफान का खतरा मंडराने लगता है। हिमखंड के टूटने से समुद्री जल के पोषक तत्वों में भी कमी आती है जिससे समुद्री जीवन खतरे में पड़ता है।

Comment List