मोदी बनाम मुद्दा बना चुनावी विमर्श
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देश में 18 वीं लोकसभा निर्वाचित करने का चुनावी दौर जैसे जैसे आगे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे चुनावी माहौल में भी तल्ख़ी बढ़ती जा रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से ऐसी तमाम बातें सुनी जा रही हैं जिसकी देश के प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति से उम्मीद भी नहीं की जा सकती। वैसे तो प्रधानमंत्री पद पर बैठते ही मोदी ने अपने बड़पोलेपन और झूठ से देश और दुनिया को आश्चर्य चकित करना शुरू कर दिया था। परन्तु उससे भी बड़े आश्चर्य की बात तो यह कि उन्होंने अपने इस बड़पोलेपन,झूठ और अवैज्ञानिक बातों पर विराम लगाने के बजाये इसे और भी बढ़ाना शुरू कर दिया। शायद उन्होंने देश की जनता को मूर्ख और अनपढ़ समझ रखा था। नाली से गैस निकालकर चाय बनाना,ट्रैक्टर के ट्यूब में गोबर गैस भरकर उससे इंजन चलाकर खेतों की सिंचाई करना, बादल में रडार का काम न करना जैसी अनेक बेतुकी व तथ्यविहीन बातें बोलकर प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को दाग़दार किया।
इसके अतिरिक्त उनका दूसरा प्रिय मिशन रहा गांधी नेहरू परिवार का निम्न स्तर तक विरोध,कांग्रेस मुक्त भारत की उनकी दिली मनोकामना, मुसलमानों का हद दर्जे तक विरोध और विपक्षी नेताओं विशेषकर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा बोली गयी बातों को अपनी सुविधा के हिसाब से ट्विस्ट देना और बात का बतंगड़ बना देना। मिसाल के तौर पर राहुल गाँधी ने 21 मार्च को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के समापन के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित करते हुये कहा था, कि ‘‘हिन्दू धर्म में शक्ति शब्द होता है। हम शक्ति से लड़ रहे हैं...एक शक्ति से लड़ रहे हैं।
बाद में उन्होंने 'शक्ति ' शब्द की और व्याख्या करते हुये कहा कि - वह शक्ति क्या है? हमारी लड़ाई ‘नफ़रत भरी आसुरी शक्ति’ के ख़िलाफ़ है। ‘हमारी आसुरी शक्ति से लड़ाई हो रही है, नफ़रत भरी आसुरी शक्ति से। ’परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘शक्ति’ शब्द का प्रयोग अपनी सुविधानुसार करते हुये कहा कि 'उनके लिए हर मां-बेटी ‘शक्ति’ का स्वरूप है और वह उनके लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देंगे। इस तरह के अनेक उदाहरण हैं जिससे यह साबित होता है कि मोदी सिर्फ़ फ़ुज़ूल की बातों में लोगों को उलझाकर जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं।

परन्तु 2024 के इस ऐतिहासिक चुनाव में इंडिया गठबंधन के नेता विशेषकर राहुल व प्रियंका गांधी अपने चुनाव प्रचार अभियान को जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दों पर केंद्रित करने में पूरी तरह सफल रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेता, मोदी की घटिया व निम्नस्तरीय बातों से भी लोगों को अवगत कराकर यह बताने में भी सफल रहे हैं कि जनता से मोदी का निरर्थक इकतरफ़ा संवाद दरअसल जनता का ध्यान भटकाने के लिये है। और यह भी कि प्रधानमंत्री कि इस तरह की संवाद शैली देश के प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अशोभनीय है तथा देश की बदनामी का सबब भी है। साथ ही विपक्ष जनता को यह बताने में भी कामयाब हुआ है कि किस तरह मोदी फ़ुज़ूल की बातों में लोगों को उलझाकर और लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर जनसरोकार से जुड़ी वास्तविक समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकने की कोशिश कर रहे हैं।
जब मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने 70 वर्षों में देश के लिये कुछ बनाया ही नहीं तो प्रियंका गाँधी उसके जवाब में मोदी से ही पूछ रही हैं कि जिन दर्जनों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पी एस यू ) को आप अपने चंद मित्रों के हवाले कर रहे हैं वह कांग्रेस के नहीं तो किसके बनवाये हुये हैं ? विपक्ष मोदी से उन्हीं के वादों को याद दिलाते हुये यह भी पूछ रहा है कि 10 साल पहले आपने लोगों के खाते में 15 लाख रुपये डालने को कहा था, वह क्यों नहीं आये ? जबकि चंद पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये क़र्ज़ मुआफ़ कर दिये गये ? कहाँ हैं आपके वादे के 10 वर्ष पूर्व घोषित किये गये 100 स्मार्ट सिटी ? कहाँ हैं आपके वादों के 2 करोड़ रोज़गार ? 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वचन कहां गया ?
आर जे डी नेता तेजस्वी यादव ने तो अपने चुनाव प्रचार के दौरान एक नये तरीक़े का प्रयोग किया। उन्होंने पूर्व में नरेंद्र मोदी द्वारा जनता से किये गए वादों का एक ऑडियो उन्हीं की आवाज़ में अपनी जनसभा में सुना डाला। अपनी तरह का यह अनूठा प्रयोग था। मोदी को उन्हीं के वादों की याद दिलाकर उन्हें कटघरे में खड़ा करना कितना विपक्ष के लिये कितना कारगर साबित हो रहा है इसका अंदाज़ा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे लहजों व उनके द्वारा उठाये जा रहे निरर्थक व बचकाना क़िस्म के मुद्दों से लगाया जा सकता है।

कभी कहते हैं कि कांग्रेस के लोग मटन बनाने का मौज ले रहे हैं। कभी बोलते हैं कि अगर आपके पास दो भैंस है तो कांग्रेस उसमें से एक भैंस छीन कर ले जाएगी। कभी कांग्रेस व विपक्षी गठबंधन को हिन्दू विरोधी बताते हुये कहते हैं कि यह हिन्दू धर्म को ख़त्म करना चाहते हैं। तो कभी यह कि कांग्रेस सत्ता में आयी तो क्रिकेट टीम में मुसलमानों को भर देगी। यहाँ तक कि कांग्रेस सत्ता में आयी तो बहनों का मंगल सूत्र छीन लेगी और आपका सोना ले लेगी। यानी अजीब अजीब सी बदहवासी भरी बातें जिसका राजनीति से कोई वास्ता ही नहीं, इसतरह की बातें कर वह उन सवालों से बचना चाहते हैं जो जनता के वास्तविक सवाल हैं।
नरेंद्र मोदी के फ़ुज़ूल,निम्नस्तरीय,ग़ैर राजनैतिक व साम्प्रदायिक विद्वेष से भरे बयान निश्चित रूप से इस बात का सुबूत हैं कि वे विपक्ष द्वारा उठाये जा रहे जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों के सामने बौखला से गए हैं। जब कांग्रेस व इण्डिया गठबंधन सत्ता में आने पर अग्निवीर योजना ख़त्म कर सैनिकों की पूर्ववत भर्ती करने की बात करती है तो देश के युवाओं में उम्मीद जगती है। किसानों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य का क़ानून बनाने की बात कर विपक्ष किसानों में आस जगाता नज़र आता है। कांग्रेस पार्टी की 5 गारंटी ने तो नरेंद्र मोदी को इतना असहज कर दिया है कि वह बौखला कर कांग्रेस के घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र बताने लगे हैं। बेशक यह हालात इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये काफ़ी हैं कि विपक्षी इंडिया गठबंधन चुनावी विमर्श को मोदी बनाम मुद्दा बनाने में पूरी तरह कामयाब रहा है।
तनवीर जाफ़री
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