भ्रष्टाचार मुक्त भारत या बनेगा विपक्ष मुक्त भारत
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स्वतंत्र प्रभात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार देर रात दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि गुरुवार शाम ईडी के 6-8 अधिकारी सीएम केजरीवाल के घर पहुंचे थे। ईडी की टीम 10वां समन लेकर आई थी। ईडी के जॉइंट डायरेक्टर ने सीएम केजरीवाल से पूछताछ की, सीएम से पूछताछ पीएमएलए की धारा 50 के तहत की गई। इसी दौरान ऐसी आशंका जताई गई थी कि ईडी केजरीवाल को अरेस्ट कर सकती है। लिहाजा सीएम आवास के आसपास बैरिकेडिंग लगा दी गई थी। ईडी ने 2 घंटे तक केजरीवाल से पूछताछ की और उसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया। उधर सीएम अरविंंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी की लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
सीएम अरविंंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर कर दी गई है। सीएम अरविंंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसे देखते हुए दिल्ली के कुछ इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है। आप कार्यकर्ता सड़क पर जमे हुए हैं और लगातार गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। पुलिस इन्हें हटाने के लिए हिरासत में ले रही है। ऐसा भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली बार हुआ है कि लोकसभा के चुनावो की घोषणा के बाद किसी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष एवंम सुप्रीम लीडर की गिरफ्तारी हुई हो।
यदि हम इस गिरफ्तारी की टाइमिंग की बात करें तो यह महसूस हो रहा है कि जिस तरह से मीडिया में अब इलेक्टोरल बांड का मुद्दा छाता जा रहा था और जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश पर एसबीआई ने यूनिक कोड दिए हैं। उसको देख के लग रहा है कि सत्ताधारी पार्टी की डर दिखा या फायदा पहुंचा नीति से पैसे ऐठने की पोल खुलने की चर्चा के डर से ये कदम उठाए जा रहे है ताकि मामले की चर्चा केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबरों में दबकर रह जाए। इसके अलावा इस कार्य से सत्तारूढ पार्टी दो फायदे होते देख रही है।
एक अपने विरोधियों को अदालती फैंसले से पहले ही पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर डरना और दूसरा जनता की नजरों मे गिराना। सतारूढ दल अपने विरोधी प्रमुख नेताओं को अंदर कर और कांग्रेस जैसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के खाते सील कर यह सुनिश्चित करना चाहती है की देश में 2024 के चुनावों में उसे टक्कर देने वाला कोई खड़ा ना रह सके परन्तु यह चाल अब सत्तारूढ दल पर उल्टी पडती दिखाई दे रही है। यहां समझने वाली बात ये भी है कि हमारे देश में सहानुभूति फैक्टर बहुत मायने रखता है। जब 1975 में इन्दिरा सरकार ने इमरजेंसी लगा विपक्षियों को कानून व्यवस्था के नाम पर अंदर ठूंस लोकतंत्र को अपने पैरों तले रौंद दिया था तब जनता ने इसकी सजा इंदिरा को चुनावों में हरा कर दी थी।
कौन भूल सकता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस ने 400 से ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था। कोई विकास हावी नहीं था, किसी का ऐसा करिश्माई चेहरा भी नहीं था, लेकिन बस लोगों के मन में एक टीस थी, दर्द था जिसको दिखाते हुए जनता ने इतना बड़ा जनादेश कांग्रेस को देने का काम किया था। इस समय विपक्ष उसी जनादेश को अपनी ताकत मानकर चल रहा है। उसे लग रहा है कि ये एक गिरफ्तारी अब जनता के बीच विपक्ष की बेचारगी की छवि को और ज्यादा मजबूत कर देगी।
यहां मसला बस केजरीवाल या हेंमत सोरेन का ही नही हैं। यहां मसला है जिस तरह सतारूढ पार्टी ईडी जैसी एजेंसियों का विपक्ष को डराने धमकाने में इस्तेमाल कर रही है यह तरीका लोगों को अखर रहा है। ईडी का इस्तेमाल कर पार्टियों को तोड़ने का खेल लोग समझने लगें है। अजीत पवार, हेमंता विश्वसरमा और अन्य नेताओ के भाजपा में शामिल होते ही ईडी का नर्म पड़ना लोगो की समझ में आने लगा है। यहां यह बताना आवश्यक है कि शराब घोटाले में आरोपी अरबिंदो फार्मा के मालिक पी.रेड्डी जो अब सरकारी गवाह हैं।
जिस पर प्रवर्तन निदेशालय ने पहले आरोप लगाया था कि पी.रेड्डी शराब घोटाले में शामिल हैं, उन्होंने उद्यमियों और उत्पाद शुल्क मामले में शामिल राजनेताओं के साथ साजिश रची है और शराब नीति से अनुचित लाभ हासिल करने के लिए अनफेयर मार्केट प्रैक्टिस में शामिल हुए। एसबीआई से इलेक्टोरल बांड यूनिक नबंर उजागर होने के बाद पता चला है। ईडी ने रेड्डी को 10 नवंबर 2022 मनी लॉन्ड्रिंग मामले गिरफ्तार किया था। इसके पांच दिन बाद यानी 15 नवंबर, 2022 को अरबिंदो फार्मा ने 5 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे। 21 नवंबर, 2022 को भाजपा ने इसे भुना लिया।
चंदा देने के कुछ महीने बाद मई 2023 में रेड्डी को स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। एक महीने बाद जून 2023 में ईडी ने राउज़ एवेन्यू कोर्ट में अर्जी लगाकर बताया रेड्डी स्वेच्छा से शराब नीति मामले से जुड़ी अनियमितताओं की जानकारी देने को तैयार हैं और रेड्डी को 'सरकारी गवाह' बना दिया जाए। कोर्ट ने रेड्डी को माफी देते हुए सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी। इसके बाद कंपनी ने नवंबर 2023 में 25 करोड़ रुपये का चुनाव बॉन्ड खरीदा जिसे भाजपा ने उसी महीने भुना लिया।
इस चंदे की लीला से एक ही बात समझ आ रही है कि रेड्डी जो अब शराब घोटाले का मुख्य गवाह है भाजपा की कठपुतली बना हुआ है। दरअसल आज भाजपा अपने 400 पार के लक्ष्य को पाने के लिए झटपटा रही है। जैसे ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर भाजपा आगे बढ रही है उसे देख यही लगता है कि भाजपा भ्रष्टाचार मुक्त भारत नही विपक्ष मुक्त भारत बनाना चाहती है।
(नीरज शर्मा'भरथल')
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