खुलेआम ग्रामीण कर रहे अवैध खनन, अधिकारी बने बेपरवाह
अवैध खनन करते हुए प्रतिदिन हजारों रुपए राजस्व का नुकसान
जानते हुए भी अधिकारी कार्रवाई करने से कतरा रहे
स्वतंत्र प्रभात
नरैनी/बांदा। एक तरफ अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए जिलाधिकारी ने खान अधिकारी समेत प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दे रखे हैं, लेकिन नदियों के किनारे इलाकाई लोगों और ग्रामीणों के द्वारा खुलेआम खनन किया जा रहा है, प्रतिदिन राजस्व का हजारों रुपए का चूना लग रहा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि अधिकारी इस तरफ कोई कार्रवाई करने का मन नहीं बना पा रहे हैं। आलम यह है कि मोटर साइकिल, ई-रिक्शा और बैलगाड़ी में लादकर ढोई जा रही है।
नरैनी क्षेत्र में केन नदी सहित बागै, रंज नदियों में खुलेआम बालू का अवैध खनन हो रहा है। बरसात के बाद कई हजार घन मीटर बालू का खनन किया जा चुका है। केन नदी के बिल्हरका, लहुरेटा, नसेनी पनगरा, पांडा देव, मऊ गांवों में नदी और टीलों से गांवों के लोग बाइक में बालू की बोरिया लादकर बिक्री करते हैं। रंज और बागै नदी में पुकारी में रात में ट्रेक्टर पिकअप से, बरकोलाकला, बडै़छा, मोतियारी, राजापुर, दिवली गांवों में भी बाइक और ई-रिक्शा व बैलगाड़ी के माध्यम से बालू का अवैध खनन कर ढुलाई की जाती है।
इन खनन क्षेत्रो में गांव के लोग छन्ना से बालू को छानकर बोरियों में भरते हैं और बाइक ई-रिक्शा व बैलगाड़ी में लादकर जरूरत मन्दों के घर तक पहुंचा देते हैं। 30 से 50 रुपये प्रति बोरी की दर से बिक्री की जाती है। पहले इस कार्य में कुछ चंद लोग लगे थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण महानगरों से अपने काम धंधा छोड़कर लौटे बेरोजगार युवकों ने इस काम को अपने रोजगार का जरिया बना लिया है।
नदियों से बोरियों में भरकर किये जा रहे इस अवैध खनन के कारण तमाम बालू घाटों को बालू कारोबारी नीलामी में नही लेते, इससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। खास बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह से बालू का अवैध खनन करने वालों का दुस्साहस लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कई बार खान अधिकारी और जिला व तहसील क्षेत्र के अधिकारियों को खुलेआम हो रहे इस अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन अवैध खनन का खेल बंद नहीं कराया जा रहा है।
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