मशरूम की खेती से आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं किसानःसमवीर सिंह
स्वतंत्र प्रभात
अलीगढ़। मंगलायतन विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन मुख्य सभागार में किया गया। कार्यक्रम का विषय मशरूम उत्पादन अच्छे स्वास्थ्य और उद्यमिता के लिए एक उभरता अवसर है। जिसमें वक्ताओं ने मशरूम उत्पादन के नवीन आयाम, व्यवसाय के लिए रणनीतियों पर चर्चा की। मशरूम की वैज्ञानिक पद्धति से खेती संबंधी गुर भी बताए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने अतिथियों का परिचय कराते हुए कहा कि मशरूम की खेती की सही जानकारी से हम बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जो उद्योग की दृष्टि से भी लाभप्रद होगा। मुख्य अतिथि प्रो. फतेह सिंह ने मशरूम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह खेती आजीविका का साधन बन कर उभर रही है।
कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि मशरूम जहरीली व पोषक तत्वों वाली दो तरह की होती है। किसान कार्यशाला में अच्छी मशरूम की खेती की जानकारी प्राप्त करके स्वयं की व देश की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं। मशरूम को प्राकृतिक तत्व के रूप में भोजन में शामिल करें। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर है।
उन्होंने किसानों से मशरूम की खेती करने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया। कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर राकेश बाबू ने मशरूम की खेती पर मिलने वाले अनुदान व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खेती करने की जानकारी दी। आयोजक प्रो. प्रमोद कुमार ने मशरूम के विकास पर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि इसमें दालों से भी ज्यादा प्रोटीन होती है।
तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. वेद रत्न ने बताया कि जापान में मशरूम को अमृत भोजन व भारत में स्वस्थ भोजन माना जाता है। उन्होंने विभिन्न प्रजातियों की जानकारी देते हुए मशरूम की वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के जानकारी प्रदान की। प्रो. प्रभात शुक्ला ने मशरूम की खेती आज की आवश्यकता पर विचार रखते हुए किसानों को जागरूक किया। उन्होंने मशरूम की खेती व व्यवसाय पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रति कुलपति प्रो. सिद्दी विरेशम ने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यशाला में शामिल हुए किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
प्रो. सिद्धार्थ जैन ने आभार प्रकट किया। संचालन डा. आकांक्षा सिंह ने किया। सह संयोजक डा. पवन सिंह, डा. मयंक प्रताप, डा. पुष्पा यादव, डा. प्रत्यक्ष पांडेय रहे। इस अवसर पर प्रो. जयंतीलाल जैन, प्रो. रविकांत, प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. अनुराग शाक्य, प्रो. सौरभ कुमार, प्रो. वाईपी सिंह, डा. संतोष गौतम, डा. हैदर अली, रोबिन वर्मा आदि थे।
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