म.प्र. में भाजपा ने लगाया पूरा जोर: राह आसान नहीं,

मंत्री और सांसदों को वि.स. में उतारना एक रणनीति

म.प्र. में भाजपा ने लगाया पूरा जोर: राह आसान नहीं,

 

                               ---- जितेन्द्र सिंह पत्रकार

मध्यप्रदेश में इसी साल अंत तक होने वाले चुनावों की अभी घोषणा नहीं हुई है लेकिन दोनों मुख्य दलों कांग्रेस और भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार भी राह आसान नहीं लग रही है। लेकिन आसानी से हार न मानने वाली भारतीय जनता पार्टी  अपने सारे हथकंडे अपना रही है। ऐसा पहली बार देखने को मिला है किसी पार्टी ने 230 सीटों वाली विधानसभा के लिए घोषित 78 उम्मीदवारों में से तीन केन्द्रीय मंत्रियों सहित अपने 9 सांसदों को विधानसभा चुनावों में उतार कर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। अब देखना यह है कि भाजपा के यह मंत्री और सांसद कितना और किस तरह पार्टी को लाभ पहुंचा सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इनको बड़ी उम्मीद से टिकट दिए हैं। जिससे कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के साथ साथ पूरे लोकसभा क्षेत्र में पार्टी को लाभ मिले। मध्यप्रदेश में इस बार भी मुकाबला 2018 की ही तरह होने की उम्मीद है। पिछले चुनावों के मद्देनजर पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के साथ थे लेकिन इस चुनाव में वो भाजपा के साथ हैं। इसका लाभ भाजपा को कितना मिलता है यह चुनाव बाद ही देखने को मिलेगा। लेकिन 3 केन्द्रीय मंत्री समेत 9 सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ाने में उसने अपने मंसूबे साफ़ कर दिए हैं कि वह किसी तरह से सत्ता अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। 

भाजपा ने इंदौर -1 से कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है। कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के महासचिव हैं। जिन तीन केन्द्रीय मंत्रियों को भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उतारा है उनमें केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना के दिमनी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है वहीं दूसरे केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर विधानसभा सभा से तो केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह को निवास विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। नौ सांसदों में से जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना विधानसभा सीट से गणेश सिंह, सीधी विधानसभा सीट से रीति पाठक और गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र से उदय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारकर भारतीय जनता पार्टी मान रही है कि इस बार मुकाबला कांटे का होगा। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट बड़े ही कौतूहल का विषय बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 महीने को हटाकर लगभग 19 साल से मध्य प्रदेश में राज कर रही है। उसका कुछ विरोध तो पिछले विधानसभा चुनावों में ही नज़र आ गया था जब भाजपा को उससे पहले हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले 56 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। वहीं कांग्रेस को 56 सीटों का फायदा मिला था।

देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’ Read More देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’

 हालांकि 2018 में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी लेकिन कांग्रेस 114 सीट पाकर बहुमत से केवल दो सीट पीछे थी जो उसके लिए कोई कठिन काम नहीं था। बहुजन समाज पार्टी के और अन्य विधायकों के समर्थन से 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ। भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में 109 सीटें हासिल हुई थीं। लेकिन 15 साल बाद मध्य प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार अंदरुनी कलह के कारण केवल 15 महीने शासन चला सकी। ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज होकर कांग्रेस को छोड़कर अपने साथ अन्य विधायकों को लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। कमलनाथ सरकार गिर गई और फिर से शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार का गठन हो गया। लेकिन जनता ने तो मत भाजपा के विरुद्ध दिया था। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से विरोध का मत भी पक्ष में बदल गया।

भारत रूस 75 वर्ष की कूटनीतिक यात्रा और अमेरिका की नई सुरक्षा रणनीति Read More भारत रूस 75 वर्ष की कूटनीतिक यात्रा और अमेरिका की नई सुरक्षा रणनीति

                          भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश को लेकर काफी गंभीर है क्योंकि वह जानती है की सत्ता विरोधी लहर का सामना उसे करना पड़ेगा। सत्ता विरोधी लहर का असर भारतीय जनता पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में भी करना पड़ा था। जहां उसे 56 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था वहीं कांग्रेस को 56 सीटों का फायदा मिला था और कांग्रेस सत्ता के ज्यादा करीब पहुंच गई थी। और सरकार भी बना ली थी। इसीलिए भाजपा सजग होकर कदम उठा रही है और उसने तमाम सांसदों को विधानसभा चुनावों में उतार दिया है। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल संभाग में अपना असर रखते हैं और उनके निकटतम प्रत्याशियों को भाजपा द्वारा प्रथमिकता भी दी गई है।

मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग Read More मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग

 सिंधिया के करीबी नेता रघुराज कंसाना को मुरैना, इमरती देवी को डबरा और मोहन सिंह राठौर को भितरवार से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। इससे यह प्रतीत होता है कि भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को तवज्जो दे रही है। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को तवज्जो देने से भाजपा को विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है जिन नेताओं के टिकट काटे गये हैं वे विरोध कर रहे हैं। इनसे भाजपा को सतर्क रहना होगा या उनको किसी तरह से साधना होगा। भारतीय जनता पार्टी की दूसरी लिस्ट में जिन 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई है उनमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में 36 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इस लिहाज से भाजपा की यह लिस्ट काफी महत्वपूर्ण है। और शायद इसलिए उन्होंने इस लिस्ट में चार केन्द्रीय मंत्रियों सहित सात लोकसभा सांसदों को विधानसभा चुनावों में मैदान में उतार दिया है। क्यों कि ये प्रत्याशी पूरे लोकसभा क्षेत्र को कवर कर सकते हैं।

                     भारतीय जनता पार्टी की दूसरी लिस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे अनूप बाजपेई का टिकट काट दिया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा केवल जिताऊ उम्मीदवारों पर जोर लगा रही है। 2018 के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे अनूप बाजपेई ग्वालियर की भितरवार विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और चुनाव हार गए थे। इस सीट पर भी का क भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मोहन सिंह को चुनाव में उतारा है।

भारतीय जनता पार्टी की दूसरी लिस्ट सभी के लिए कौतूहल का विषय बनी हुई है। ऐसा बहुत कम देखा जाता है कि इतने केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को किसी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में उतार दिया हो। इसका सीधा मतलब यही है कि पार्टी सत्ता विरोधी लहर का असर समझ रही है पिछली बार शुरुआत के 15 महीने के कमलनाथ के शासन काल को न जोड़ें तो भारतीय जनता पार्टी पिछले 20 वर्षों से मध्य प्रदेश में राज कर रही है और इसका असर उसे सत्ता विरोधी लहर के रूप में देखने को मिलेगा। इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। सिंधिया की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं के रूप में आती थी लेकिन बगावत के बाद सिंधिया भाजपाई हो गए थे। और उनके भाजपा में आने के बाद मध्य प्रदेश में यह पहला चुनाव है। लेकिन सिंधिया जी भी सत्ता विरोधी लहर को नहीं रोक सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी को जितनी आसानी राजस्थान में दिखाई दे रही है l

उतनी ही दिक्कतों का मध्य प्रदेश में सामना करना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में भाजपा को कितना फायदा दिलाने में सफल हो पाते हैं। बहरहाल कांग्रेस के सामने पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा परेशानी मध्य प्रदेश में ही नज़र आ रही है। और पूरी केन्द्र सरकार का ध्यान मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में लग गया है। सारे बड़े नेता मध्य प्रदेश का दौरा करने में लगे हैं। दिल्ली में भी मध्य प्रदेश को लेकर मीटिंग्स का दौर जारी है। अभी भारतीय जनता पार्टी की दो लिस्ट सामने आईं हैं। जिसमें अब तक 78 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। मध्यप्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से अभी 152 प्रत्याशियों की घोषणा होना वाकी है। अगली आने वाली लिस्ट में और भी चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी किसी भी तरह से मध्य प्रदेश की सत्ता हांथ से नहीं जाने देना चाहती है।
                    

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel