मिशन 24 के लिए मायावती का क्या है मास्टर प्लान

विपक्ष से खेला या भाजपा का भय

मिशन 24 के लिए मायावती का क्या है मास्टर प्लान

देश में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का मास्टर प्लान हर किसी की समझ से परे रहता है। कोई नहीं बता सकता कि उनका अगला प्लान क्या होगा। आगामी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन डी ए, से मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी दल एक हो गए हैं। परन्तु मायावती के प्लान ने विपक्षी दलों की एकता को कुछ हल्का कर दिया है।

                        अभी हाल ही में जब बैंगलुरू में देश के 28 राजनीतिक दलों ने एक सुर मिलाया तो दूसरे ही दिन मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस कर के स्पष्ट कर दिया कि वह किसी के साथ नहीं है और आने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़ेंगी ।अब ये उनपर दबाव है या उनकी कोई रणनीति है ये तो बाद में ही पता चल सकेगा। वैसे बहिन जी पहले भी कई बार गठबंधन से चुनाव लड़कर देख चुकी हैं लेकिन अनुभव कुछ अच्छे नहीं रहे। पिछली बार का लोकसभा चुनाव मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लड़ा था उसमें बहिन जी को तो फायदा हुआ लेकिन समाजवादी पार्टी नुकसान में रही, लेकिन आरोप प्रत्यारोप दौनो दलों की तरफ से लगे थे और चुनाव बाद आखिरकार गठबंधन टूट गया।

                 अब यहां जो आने वाला लोकसभा चुनाव है उसमें सभी राजनीतिक दल किसी तरह से भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन प्रयास तो विपक्षी दलों द्वारा काफी जोर से किया जा रहा है। इसकी अगुवाई भाजपा से बिहार में गठबंधन टूटने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की और धीरे धीरे और दल भी उनके साथ आते चले गए। ये इतना आसान नहीं है क्षेत्रीय स्तर पर इन दलों में काफी विरोधाभास है। क्यों कि लोकसभा में एक होकर ये दल विधानसभा में कट्टर विरोधी हो जाते हैं।

               ऐसी ही कुछ कहानी बसपा सुप्रीमो मायावती की है क्योंकि विधानसभा में उनका सपा के साथ 36 का आंकड़ा रहता है और मायावती ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उनको सपा के मुकाबले कम सीट मिलें। यदि दोनों पार्टियों का कोर वोट हटादो तो ये मुस्लिम मतों के लिए हमेशा दो दो हाथ करती नजर आती हैं। मायावती की एक चाल और है कि वह भारतीय जनता पार्टी से सीधे दुश्मनी भी नहीं लेना चाहती है भले ही वो चुनाव के बाद आवश्यकता पड़ने पर विपक्ष के साथ आ जाएं लेकिन अभी कुछ डर उनको सता रहे हैं। 

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                    मायावती और उनके भतीजे के खिलाफ कुछ केस लंबित हैं और उनकी वजह से भी विपक्ष के साथ उनका न जाना दर्शाता है। उनको डर है कि अगर वो विपक्ष के गठबंधन इंडिया के साथ आ गये तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। और अलग चुनाव लड़कर वो दोनों हाथों से लड्डू खा सकती हैं। वरहाल यह उनका मास्टर प्लान है जिसको वह समय आने पर ही खोलेंगी। वैसे भी बहिन जी गठबंधन में ज्यादा विश्वास नहीं रखती हैं।वह सोशल इंजीनियरिंग को ज्यादा महत्व देती हैं और यह उनके हक में भी गया है।

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                सोशल इंजीनियरिंग से बहिन जी एक बार नहीं तीन तीन बार राज्य में सरकारें बना चुकी हैं क्योंकि कि वो जनती है कि केवल दलित राजनीति के सहारे नैया पार नहीं लग सकती उसके लिए मुस्लिम, पिछड़ा और अगड़ा वर्ग को भी उन्हें साथ में लाना होगा। हालांकि अगड़ा वर्ग तो भाजपा को अभी किसी सूरत में छोड़ नहीं सकता और मुस्लिम वर्ग समाजवादी पार्टी की तरफ ज्यादा आकर्षित रहता है।और यदि वह गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी तो मुस्लिम सपा की तरफ ज्यादा आकर्षित रहेगा। और अकेले लड़ने में वो मुस्लिम प्रत्याशी का प्रयोग बड़े ही चतुराई से करती हैं।

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                फिलहाल अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर के उन्होंने भाजपा से पंगा नहीं लिया है और अभी लड्डू उनके दोनो हाथों में है जब सरकार बनेगी तो उस समय ही वह अपने पत्ते खोलेंगी। इधर रहेगी या उधर ये उनकी रणनीति का हिस्सा है क्योंकि वो राजनीति की मझी हुई खिलाड़ी हैं।
                     

  ------------ जितेन्द्र सिंह पत्रकार
 

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