भावी को भी मिटाने वाले है भगवान शंकर - जगद्गुरु श्री हरिहरानंद जी महाराज
रिपोर्ट_ संदीप मिश्र
स्वतंत्र प्रभात,चेतगंज,चिल्ह,मीरजापुर
चिल्ह,मीरजापुर।
पुरजागिर में डॉ विजय शंकर दुबे(टमटम) के निज निवास पर चल रहे सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीराम के समापन दिवस पर श्री श्री 1008 श्रीमद जगद्गुरु रामानुजाचार्य हरिप्रपापन्नाचार्य हरिहरानंद जी महाराज के द्वारा स्रोताओं को प्रभु श्री राम की करुणामयी कथा का श्रवण कराया गया।
कथा के सातवें दिन अपार स्रोता कथा सुनकर भावुक हो गए और उनके नयन सजल हो उठे।कथा में महाराज जी ने बताया इस सृष्टि में अगर ब्रह्मा जी के द्वारा लिखे गए विधानों को अगर कोई मिटा सकता है तो वह हैं भगवान शंकर क्योकि शंकर भगवान अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर सकते है। मानव कल्याण और सृष्टि की रक्षा के लिये जरूरत आने पर वह हलाहल विष का भी रसपान कर लेते है।
कथा के दौरान महाराज श्री ने एक प्रसंग में बताया कि भगवान शंकर ने कभी भी भांग का सेवन नही किया बल्कि भांग से स्नान कराया जाता है मगर आज के समय मे लोग उसे भगवान शंकर का प्रसाद बताकर खुद ही ग्रहण करने में लगे हुए है।कथा के आखिरी दिन में प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की बात बताते हुए महाराज जी ने बताया कि रामराज्य में किसी सम्प्रदाय से किसी का कोई बैर नही था,
प्रभु श्री राम ने 11 हजार वर्षों तक अयोध्या की बागडोर संभाली और उसके बीच मे न तो एक भी दिन आंधी आयी न तो किसी प्रजा के घर मे आग लगी और न ही एक भी दिन मूसलाधार बारिश हुई।इस तरह से प्रभु श्री राम ने रामराज्य स्थापित किया था जहाँ समस्त प्रजा सुखी और खुशहाल थी।
आज भी ऐसा रामराज्य हमारे समाज मे हो इन्ही मंगलकामनाओं के साथ जय श्री सीताराम के उदघोष के साथ कथा का समापन हुआ।दिनांक 19/06/23 को कथा स्थल पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है जिसकी पूरी व्यवस्था विजय शंकर दुबे और उनके पौत्र धीरज दुबे तथा डाँ नीरज दुबे व उनके समस्त परिवारजनों द्वारा की गई है।
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