आधा दर्जन से अधिक बैंकों में बंधक खतौनी के किसान की भूमि पर हो गया मिट्टी खनन का परमीशन कर्ज में डूबा किसान
बाराबंकी
जनपद में धड़ल्ले से चल रहे मिट्टी के खनन को लेकर जनता में तरह तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं जिसमें देखा जाए तो खनन के डमफरो के ऊपर ना तो पानी का छिड़काव किया जा रहा है और ना ही त्रिपाल का प्रयोग किया जा रहा है जिसके कारण धूल उड़ाते हुए यह खनन के डमफर किसी भी राहगीर की मौत का कारण बन सकते हैं खनन के डंफरो से अब तक पूरे जिले में सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं जिनकी मौत का मुख्य कारण यह धूल उड़ाते हुए डंपर हैं उसके बावजूद भी शासन-प्रशासन जनहित की समस्याओं की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है
जिसका जीता जागता उदाहरण बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले कोठी थाना क्षेत्र के ख्वाजा नगर से ले सकते हैं जहां पर खसरा संख्या 83 खसरा संख्या 23 खसरा संख्या 240 तथा खसरा संख्या 223 मि० की खतौनी जो किसान आसाराम गंगाराम देशराज मैकूलाल बाबूलाल केशो राम बनवारी रामलाल रामकुमार रामदेव श्रीमती वन देवी दिनेश कुमार चंद्रेश कुमार सुरेंद्र कुमार महेंद्र प्रसाद राजीव कुमार यादव आदि की भूमि इंडियन बैंक सता रही द्वारा 2 लाख 99 हजार रुपए में बंधक तथा उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड शाखा हैदरगढ़ में ₹46000 में बंधक तथा भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा बाराबंकी में बंधक तथा आर्यावर्त ग्रामीण बैंक शाखा कोठी उस्मानपुर में बंधक है
उसके बावजूद भी बाराबंकी जनपद के खनन अधिकारी और राजस्व विभाग के द्वारा मिट्टी खनन का परमिशन जारी कर दिया गया यह मिट्टी खनन का परमिशन किसान की कृषि योग्य भूमि पर किया गया है जिससे किसान द्वारा कई बैंकों से लिया गया धन यह गवाही दे रहा है कि किसान की भूमि कृषि योग्य है और सरकार के पास गिरवी रखी हुई है उसके बावजूद भी मिट्टी खनन का परमिशन जारी कर दिया गया इस स्थिति में यदि किसान के खेत की मिट्टी का खनन किया जा रहा है और किसान बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं अदा कर पाएगा क्योंकि बैंक ने कृषि योग्य भूमि पर कर्ज दिया है और उसी कृषि योग्य भूमि से मिट्टी का खनन किया जा रहा है
इस मिट्टी खनन से किसान की भूमि उपजाऊ परत का खनन हो जाएगा तो पीली मिट्टी निकलने के बाद किसान बैंक का कर्ज ना अदा करते हुए और अधिक कर्ज हो जाने के बाद आत्महत्या के लिए मजबूर होंगे क्योंकि पीली मिट्टी में कोई भी फसल नहीं उगाई जा सकती अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सभी बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है यह नहीं यह तो देखने वाली बात होगी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस क्षेत्र में कुछ दलालों के द्वारा बैंकों के फर्जी कागजात तैयार करके उन्हें गुमराह किया गया है
यदि एनजीटी के द्वारा पूरे मामले की गहनता से जांच कराई जाए तो कई जिम्मेदार अधिकारियों की गर्दन फसना बिल्कुल तय माना जा रहा है क्योंकि किसान ने एक साथ लगभग आधा दर्जन बैंकों से कर्ज ले रखा है उक्त मामले को लेकर जानकारी के लिए जब बाराबंकी खनन अधिकारी के नंबर पर कई बार संपर्क किया गया उसके बावजूद भी फोन नहीं रिसीव हुआ

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