प्रचंड के भारत दौरे से  चीन चिढ सकता है !

प्रचंड के भारत दौरे से  चीन चिढ सकता है !

भारत और नेपाल की दोस्ती के लिए गुरुवार को बेहद अहम दिन था। भारत के दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर भारत और नेपाल की दोस्ती को नया आयाम दिया है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को दिल्ली में स्थित हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री  मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच काफी गर्मजोशी दिखी। इसके बाद दोनों प्रधानमंत्रियों के साथ प्रतिनिधि मंडल स्तर की बैठक हुई। इस दौरान अर्थव्यवस्थाऊर्जाबुनियादी ढांचेशिक्षा क्षेत्र और दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर मंथन किया गया। भारत और नेपाल ने व्यापार और ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। साथ ही प्रधानमंत्री  मोदी और उनके समकक्ष प्रचंड ने संयुक्त रूप से भारत और नेपाल के बीच मोतिहारी-अमलेखगंज तेल पाइपलाइन के फेज-का शिलान्यास किया। रेलवे के कुर्था-बीजलपुरा खंड की ई-योजना का भी अनावरण किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से बथनाहा से नेपाल कस्टम यार्ड तक भारतीय रेल कार्गो ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रधानमंत्री  प्रचंड ने प्रधानमंत्री  मोदी को नेपाल आने का न्योता दिया है।

बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भविष्य में अपनी पार्टनरशिप को सुपरहिट बनाने के लिए बहुत से महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। प्रधानमंत्री प्रचंड के साथ संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस में प्रधानमंत्री  मोदी ने कहा कि आज ट्रांजिट एग्रीमेंट संपन्न किया गया है। इसमें नेपाल के लोगों के लिएनए रेल रूट्स के साथ-साथभारत के इनलैंड वाटर वे की सुविधा का भी प्रावधान किया गया है। आज भारत और नेपाल के बीच ‘लॉन्ग टर्म पावर ट्रेड एग्रीमेंट’ संपन्न हुआ है। इससे अगले दस सालों में भारत नेपाल से 10 हजार मेगावाट बिजली आयात करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और मजबूत हैं। इस सुंदर कड़ी को और मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और मैंने निश्चय किया है कि रामायण सर्किट से संबंधित परियोजनाओं में तेजी लाई जानी चाहिए। हम अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए काम करते रहेंगे और इसी भावना से हम सभी मुद्दों कोचाहे बाउंडरी का हो या कोई और विषयसभी का समाधान करेंगे।

मोदी ने कहा कि मुझे याद हैनौ साल पहले, 2014 मेंकार्यभार संभालने के तीन महीने के भीतर मैंने नेपाल की अपनी पहली यात्रा की थी। उस समय मैंने भारत-नेपाल संबंधों के लिए एक ‘हिट’ फार्मूला दिया था-हाई-वेआई-वे और ट्रान्स -वे। मैंने कहा था कि भारत और नेपाल के बीच ऐसे संपर्क स्थापित करेंगे कि हमारे बॉर्डर्सहमारे बीच बैरियर न बने। नेपाल के लोगों के लिए नए रेल रूट्स शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा वहां के रेलकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।ट्रकों की जगह पाइपलाइन से तेलों का निर्यात होना चाहिएसाझा नदियों के ऊपर बांध बनाए जाने चाहिएनेपाल से भारत को बिजली निर्यात करने के लिए सुविधाएं  बनाई जानी चाहिए। आज नौ सालों बाद मुझे कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारी पार्टनरशिप वाकई में हिट है।

गौरतलब है कि नेपाली प्रधानमंत्री  के भारत दौरे से कुछ घंटे पहले ही नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने नागरिकता कानून में एक विवादास्पद संशोधन को अपनी सहमति दे दी है जो नेपालियों से शादी करने वाले विदेशियों को राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ उन्हें तुरंत नागरिकता प्रदान करता है। चीन नेपाल के इस कानून का हमेशा से विरोध करता रहा है और माना जा रहा है कि नेपाल के इस कदम से वो नाराज है। परिस्थितियों में नेपाली प्रधानमंत्री  का भारत दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद प्रचंड की यह पहली विदेश यात्रा है । एक रिपोर्ट के मुताबिकइस नागरिकता संशोधन पर नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने दो बार सहमति जताने से इनकार कर दिया था। माना गया कि चीन के प्रभाव में उन्होंने इसे मंजूरी नहीं दी थी। 

नेपाली कानून में यह संशोधन नेपाल के नागरिकता कानून को दुनिया के सबसे उदार कानूनों में से एक बनाता है। राष्ट्रपति पौडेल के कानून को अपनी सहमति देने से चीन परेशान हो सकता है। चीन इन कानून को लेकर नेपाल को चेतावनी देता आया है कि यह कानून तिब्बती शरणार्थियों के परिवारों को नागरिकता और संपत्ति का अधिकार दे सकता है।

प्रधानमंत्री  मोदी ने कहा कि पिछले नौ सालों में भारत और नेपाल ने मिलकर कई क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने और प्रधानमंत्री प्रचंड ने भविष्य में अपनी साझेदारी को सुपरहिट बनाने के लिए बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। हमने  ट्रांजिट एग्रीमेंट शामिल है जिसमें नेपाल के लोगों के लिए नए रेल मार्गों के साथ-साथ भारत के इन-लैंड वाटरवेज की सुविधा भी प्रावधान किया गया है। साथ ही भारतीय रेल संस्थानों में नेपाल के रेल कर्मियों को प्रशिक्षित करने का भी निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री  मोदी ने जानकारी दी कि प्रचंड से द्विपक्षीय बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच लॉन्ग टर्म पावर समझौता हुआ है। इसके तहत आने वाले 10 सालों में भारत ने नेपाल से 10 हजार मेगावाट बिजली आयात करने का लक्ष्य रखा है। नेपाली प्रधानमंत्री  प्रचंड का रिश्ता भारत के साथ बहुत पुराना है। नेपाल में 1996 से लेकर 2006 तक गृहयुद्ध का दौर था। यह गृहयुद्ध नेपाल की राजशाही और माओवादियों के बीच चल रहा था। इस दौरान प्रचंड समेत कई माओवादी नेता अपना देश छोड़कर भारत में रह रहे थे।

नेपाल के लोगों में जब माओवादियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ा तब भारत ने ही प्रचंड समेत नेपाल के माओवादी नेताओं से शांति समझौते पर बात की थी। नवंबर 2006 में नई दिल्ली में माओवादियों की सात पार्टियों ने 12 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किया था।  इस समझौते के बाद नेपाल में आम चुनाव हुए जिसमें माओवादियों को जनता का भारी समर्थन मिला। माओवादी चुनाव जीत गए और प्रचंड पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने । प्रचंड जब 2008 में पहली बार प्रधानमंत्री बनेतब उन्होंने भारत आने के बजाए चीन जाना पसंद किया था। जबकि नेपाल में यह  परंपरा रही है कि कोई भी शीर्ष नेता पद ग्रहण करने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करता है। प्रचंड ने उस परंपरा को चीन के प्रभाव में आकर तोड़ दिया था। प्रचंड भारत को लेकर पूर्व में कई ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ा। एक बार उन्होंने कहा था कि भारत और नेपाल के बीच जो भी समझौते हुए हैंउन्हें या तो खत्म कर देना चाहिए या बदल देना चाहिए। साल 2016-17 के बीच  प्रचंड जब फिर से प्रधानमंत्री पद पर थे तब उन्होंने कहा था कि नेपाल अब वो नहीं करेगाजो भारत कहेगा। 

साल 2017 में प्रचंड से नेपाल की सत्ता छिन गई और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री बन गए। प्रचंड ने जब देखा कि भारत के साथ रिश्ते खराब कर उनका राजनीतिक नुकसान हो रहा हैतब उन्होंने एक बार फिर भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिशें शुरू कर दी। जुलाई 2022 में उन्होंने भारत का दौरा किया। इस दौरे को लेकर प्रचंड ने कहा कि वो बीजेपी के बुलावे पर भारत आए हैं। इस दौरे में  उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (CNP) के एक वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने कहा था कि इस दौरे का उद्देश्य भाजपा और CNP के बीच संबंधों को मजबूत करना था। प्रचंड के आलोचकों ने तब कहा था कि वह भारत इसलिए गए थे ताकि प्रधानमंत्री बनने की अपनी निजी महत्वाकांक्षा को पूरा कर सके। वो भारत से मदद की मांग करने वहां गए थे।

पहले माना जाता था कि चीन के समर्थक प्रचंड अमेरिका और भारत को साम्राज्यवादी और आधिपत्यवादी ताकतों के रूप में  देखते हैं। हालांकिअब प्रचंड भारत को आश्वस्त करते नजर आते हैं कि चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत के साथ संबंधों को बढ़ाएंगे। अब वह भारत आने के लिए उत्सुक दिखते हैं और भारत की यात्रा को लेकर उन्होंने कहा है कि वो द्विपक्षीय संबंधों में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। पिछले साल फरवरी में प्रचंड ने चीन को झटका देते हुए अमेरिका के साथ सहयोग प्रोजेक्ट मिलेनियम चैलेन्ज कारपोरेशन  नेपाल काम्पेक्ट को संसद में पारित करा दिया था। इस प्रोजेक्ट के तहत नेपाल को ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 50 करोड़ का ग्रांट मिला था। चीन का मानना था कि इसके माध्यम से अमेरिका नेपाल में अपनी सैन्य  उपस्थिति बढ़ाएगा और वहां से तिब्बत के जरिए उसे प्रभावित करने की कोशिश करेगा। बुधवार को राष्ट्रपति पौडेल द्वारा नागरिकता कानून को मंजूरी दिए जाने को भारत और अमेरिका के साथ रिश्तों में एक और कदम  आगे बढ़ाए जाने के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकिराष्ट्रपति की मंजूरी को अदालत में चुनौती दी जा सकती हैऔर राजनीतिक हलकों में भी इसका विरोध हो सकता है अब प्रचंड चाहते हैं कि भारत उन्हें दोस्त के रूप में देखे। अपनी इस भारत यात्रा के दौरान प्रचंड इंदौर और उज्जैन के शिव मंदिर  में जाएंगे। इसके जरिए प्रचंड दिखाना चाहते हैं कि वो नेपाली हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करते हैं।

अशोक भाटिया

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