भदोही की हैंडनॉटेड कालीन बढ़ाएगी नए संसद भवन की खूबसूरती 

प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' नारे में भदोही की कालीन भी शामिल 

भदोही की हैंडनॉटेड कालीन बढ़ाएगी नए संसद भवन की खूबसूरती 

योगी सरकार की एक जनपद, एक उत्पाद योजना में शामिल है कालीन 

भदोही, 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सेंगोल की स्थापना के साथ नयी सांसद भवन का लोकार्पण कर दिया। भारतीय संसदीय इतिहास का यह गौरवशाली क्षण रहा। उत्तर प्रदेश के लिए भी यह गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे खूसूरत बेल-बुटेदार कालीन भदोही में बनती है, जिसे सेंट्रल विस्टा में बिछाया गया है।योगी सरकार की महत्वपूर्ण योजना एक जनपद, एक उत्पाद योजना में भदोही की कालीन भी शामिल है।

भदोही वैश्विक पटल पर कालीन उत्पादन के लिए मशहूर है। भदोही की ओबीटी कम्पनी ने ऑर्डर पर करीब 300 पीस कालीनें तैयार कराकर नए संसद भवन की सेंट्रल विस्टा में लगने के लिए भेजी गयीं हैं। संसद के अंदर कालीन को भदोही के ही कुशल श्रमिकों ने ही बिछाया है।रविवार को उद्घाटन के दौरान देश-दुनिया भदोही जिले के बुनाई कला में पारंगत बुनकरों के जादुई उंगलियों से बनी सतरंगी और मखमली कालीनों की खूबसूरती व चमक को निहारेगी।

प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' नारे में भदोही की कालीन भी शामिल

भदोही के गोपीगंज स्थित ओबीटी कार्पेट कम्पनी को अक्टूबर 2021 में ही ऑर्डर दिया गया था। कम्पनी को सेंट्रल विस्टा में कुल 5282 स्क्वॉयर यार्ड एरिया कवर करने के लिए (11× 8 फिट) के कुल 282 पीस हैंड नॉटेड कार्पेट बनाने थे। जिसकी आपूर्ति मई 2022 में ही कम्पनी ने कर दिया था। कालीन बनाने में करीब 1400 कारीगर यानी बुनकर लगे थे। वहीं अब 30 से अधिक दक्ष श्रमिकों को भेजकर संसद भवन में कालीनों की फीडिंग करायी गयी  है। जानकारी के मुताबिक राज्यसभा में करीब 151 पीस, तो लोकसभा में करीब 131 पीस कार्पेट गोल आकार में लगनी थी।


  हाथ से बनी कालीन से बढ़ेगी संसद की खूबसूती


कम्पनी के  प्रेसिडेंट आईबी सिंह ने बताया है कि संसद भवन के लिये भेजी गई कालीनों में भदोही की बनी उच्च क्वालिटी के हैंड नॉटेड कार्पेट (हाथ से निर्मित) के साथ ही साथ कश्मीर के पारंपरिक हस्तनिर्मित कालीनों को उसमें शामिल किया गया है। जिसमें काश्मीरी 'कानी' शाल की डिजाइनों को कालीन पर उकेरा गया है। जो नए संसद भवन की शान बढ़ाएंगे। इन कालीनों को वहीं पर वाल-टू-वाल फीडिंग करने के लिए भदोही से 30 से 35 दक्ष कारीगर भेजें गए थे। यह कालीन सतरंगी के साथ ही साथ मखमली है‌। जिसमें बनाने में काफी महंगें ऊल व सिल्क का भी प्रयोग किया गया है। हस्तनिर्मित कालीन कच्चे माल से लेकर बुनाई तक बुनकरों द्वारा हाथों से ही तैयार की जाती है। जो करीब 100 साल से अधिक समय तक चलनी चाहिए। 

भदोही में दुनिया की 40 फीसदी कालीन का निर्माण

देश में 40 से 50 फीसदी गलीचे का उत्पादन भदोही अकेले करता है। वहीं अब देश के नए सर्वोच्च सदन के भवन की शान में भदोही की चमकदार कालीन खूबसूरती बिखेरने को बेताब है। वहीं एक बड़ा तबका कालीन बुनकरों व कर्मचारियों का भी है। जिनकी रोजी रोटी और आजीविका इसी के भरोसे चल रही है।उसके बाद देश में निर्मित कालीन उत्पाद को घरेलू बाजार में भी पसंद किया जाने लगा है। घरेलू बाजार में कालीन उत्पाद की खपत को बढ़ाने के लिए सीईपीसी द्वारा मेट्रो सिटी में डोमेस्टिक फेयर का आयोजन किया जाता है। संसद भवन में हैंड नॉटेड कालीन के लगाएं जाने से इस उत्पाद का बाजार और मजबूत होगा।

  हैंडनॉटेड कालीन का बाजार होगा मजबूत

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के प्रशासनिक समिति के सदस्य इम्तियाज अहमद ने बताया कि नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा में भदोही के हैंडनॉटेड कालीन को बिछाया जाना औद्योगिक कालीन नगरी भदोही के लिए काफी गर्व की बात है। हस्तनिर्मित कालीन भदोही का सिर्फ उद्योग ही नहीं बल्कि यह यहां की परंपरा और संस्कृतिक विरासत है। भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने व  आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का संदेश संपूर्ण भारत को दिया है।

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