
तिब्बत को चीन को चंगुल से आज़ाद करने के लिए यूरोपीय सांसदों के समूह ने उठाई आवाज़
स्वतंत्र प्रभात।
यूरोपीय सांसदों के एक समूह ने चीन के चंगुल से तिब्बत को आजाद करने के लिए आवाज उठाई है। तिब्बत के संदर्भ में इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम ने दुनियाभर के आजादी पसंद मानवाधिकारकर्मियों और राजनेताओं का ध्यान खींचा है। चीन जिस तिब्बत पर शिकंजा कसे बैठा है और जिस तेजी से वहां हान जाति को बसा रहा है उससे तिब्बत की आजादी खतरे में है और इसके लिए यूरोप में यह सशक्त आवाज उठाई गई है। बौद्ध धर्म को तिब्बत से जड़मूल से खत्म करने पर आमादा बीजिंग की कम्युनिस्ट सत्ता के सामने इस आवाज को एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
यूरोप प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार स्पेन की राजधानी मैड्रिड में यूरोपीय अनुसंधान परिषद (ERS) की अगुआई में भिन्न विचारधाराओं वाले 30 सांसदों चीन के चंगुल से तिब्बत को छुड़ाने के लिए एकजुटता दिखाई है । इस अंतर्संसदीय समूह ने तिब्बत की स्वायत्तता बनाए रखने के लिए जुट जाने का संकल्प लिया है। समूह में परमपावन दलाई लामा तथा केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रतिनिधि रिगजिन जेनखांग, स्पेन में बसे तिब्बती समाज के अध्यक्ष रिनजिंग डोलमा और निर्वासित तिब्बती संसद के दो सदस्य शामिल किए गए हैं।
सांसदों के इस अंतरसंसदीय गुट के गठन की औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है। जानकारों का मानना है कि यह समूह तिब्बतियों के लिए एक उम्मीद जगाने वाला साबित हो सकता है। यह कोशिश करेगा कि चीन के नेताओं और लोगों के लिए “वास्तविक और सार्थक स्वायत्तता” सुनिश्चित करने के लिए चीनी नेतृत्व और दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच किसी निर्णायक वार्ता की लीक पड़े और तिब्बत की स्वायतत्ता बहाल हो। इसके लिए सांसदों का यह गुट दुनियाभर से समविचारी लोगों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करेगा।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel
भारत
खबरें
शिक्षा

Comment List