जम्मू- कश्मीर के रामबन में अतिक्रमण- रोधी अभियान के दौरान 45 दुकानों को किया गया सील

स्वतंत्र प्रभात 

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के बनिहाल कस्बे में रविवार को अतिक्रमण-रोधी अभियान के दौरान कम से कम 45 दुकानों को सील कर दिया गया और दो को ढहा दिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उप-जिला अस्पताल रोड के साथ लगी सरकारी भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए अतिक्रमण-रोधी अभियान शुरू किये जाने से पहले दो राजनीतिक कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया।
 

बनिहाल के तहसीलदार इम्तियाज अहमद के नेतृत्व में राजस्व अधिकारियों की एक टीम ने शनिवार को दुकान मालिकों को नोटिस तामील कराये थे, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इन दुकानों में ज्यादातर फार्मेसी और क्लिनिकल लेबोरेट्री शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि दुकानदारों और स्थानीय निवासियों ने पर्यटक छात्रावास में धरना दिया, हालांकि, एक पुलिस दल ने आधी रात के आसपास प्रदर्शनकारियों पर धावा बोल दिया और दो सरपंचों - डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी (डीएपी) के मोहम्मद इलियास वानी और कांग्रेस के कैसर हामिद शेख - को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया।

पूरे शहर में रविवार सुबह अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया और अधिसूचित दुकानों को सील कर दिया गया, जबकि दो को ढहा दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि जिन दुकानों को सील किया गया, उनमें 22 फार्मेसी, नौ क्लिनिकल लेबोरेट्री और पांच ऑप्टिकल दुकान शामिल हैं। तहसीलदार ने कहा, “वर्षों से अतिक्रमित सरकारी भूमि पर दुकानें बनी हैं और कानून के दायरे में उन्हें सील किये जाने के बाद नगरपालिका बनिहाल को सौंप दी गई हैं।” उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान एक निजी स्कूल के अवैध कब्जे वाली आठ मरला सरकारी भूमि वापस ली गयी है और अब तक 40 प्रतिशत अतिक्रमण हटा दिया गया है।
 

बनिहाल के व्यापार मंडल के अध्यक्ष परवेज हामिद शेख ने जिला प्रशासन से गरीब दुकानदारों की दुर्दशा को ध्यान में रखे जाने की गुजारिश की है, क्योंकि इससे उनकी रोजी-रोटी छिन गयी है। शेख ने कहा, ‘‘हम दुकानदारों को अपनी दुकानें खाली करने के लिए पर्याप्त समय देने के लिए प्रशासन के आभारी हैं, जिन्हें तोड़ा नहीं गया था।'' उन्होंने कहा कि लगभग 50 दुकानों के बंद होने से 300 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से अपील करते हैं कि वह गरीब दुकानदारों और उनके आश्रितों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द उनके मालिकों को दुकानों का कब्जा वापस दे।'' 

 

 

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