घर में वृद्धजनों को मुस्कुराकर दें जादू की झप्पी- मानवेंद्र 

35 मानसिक रोगी चिन्हित, दो मरीजों को दिए प्रमाण पत्र 

घर में वृद्धजनों को मुस्कुराकर दें जादू की झप्पी- मानवेंद्र 

महोबा । ब्यूरो रिपोर्ट-अनूप सिंह
 
मानसिक रोग न हो उसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। परिवार को समय दे अपने माता-पिता व वृद्धजनों का सम्मान करें व समय निकलकर उनके पास बैठें। इससे वृद्धजनों में मानसिक रोग की संभावना बिल्कुल कम हो जाती है। साथ ही जब आप शाम को घर जाते हैं तो उन्हें मुस्कुराकर जादू की झप्पी दीजिए। यह बातें सीएचसी कुलपहाड़ में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर में भाजपा मंडलीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने कहीं। 
उन्होंनें कहा कि डाक्टर मरीजों से प्रसन्न होकर बातचीत व इलाज करें। जिससे मरीज जल्दी ठीक होगा। उन्होने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्या के कई कारण हैं जिनसे यह रोग बढ़ता है। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कमलेश सक्सेना ने कहा कि प्रदेश सरकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक सप्ताह शिविरों का आयोजन करवा रही है। एसडीएम अरुण कुमार दीक्षित ने बताया कि मानसिक रोग किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है यदि काम में मन न लगता हो, मूड और पर्सनालिटी तेजी से बदल रही हो, एकाग्रता में कमी हो तो समझ ले कि मानसिक रोगी होते जा रहे हैं। इससे बचाव के लिए सकारात्मक विचार रखें। लोगों से मिलते जुलते रहें।
 
सीएमओ डॉ. डीके गर्ग और नोडल अधिकारी/एसीएमओ डॉ. वीके चौहान के निर्देशन पर आयोजित मानसिक स्वास्थ्य शिविर में मानोरोग विशेषज्ञ डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि नींद न आना, बुद्धि का कम विकास होना, उलझन, घबराहट, मिर्गी के दौरे, किसी कार्य को बार-बार करना, साफ-सफाई अधिक करना, नकारात्मक विचार आना, भूत प्रेत के साया का डर लगना, मोबाइल का अधिक प्रयोग करना, नशा करना आदि मानसिक रोगों के लक्षण हैं। ऐसे होने पर चिकित्सक से सलाह जरूर लें। 
शिविर में अधीक्षक डॉ. महेश सिंह, मनोचिकित्कीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमदास, नैदानिक मनोवैज्ञानिक अंकिता गुप्ता, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. सुमित चौरसिया ने अपने विचार व्यक्त किए।  शिविर में 112 मरीजों को देखा गया। इसमें 35 मानसिक रोगी चिन्हित किए गए। दो मरीजों के मानसिक दिव्यांग प्रमाण पत्र भी बनाए गए। 
कस्बे से आए 42 वर्षीय सुनैना ने बताया कि उन्हें पिछले कई दिनों से ठीक से नींद नहीं आ रही है। परिवार में किसी से बात करने का मन नहीं करता है। कमरे में घंटों अकेले रहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य शिविर की जानकारी होने पर यहां आए हैं। डाक्टर से बातचीत के बाद अब वह थोड़ा अच्छा महसूस कर रहे हैं। डाक्टर ने उन्हें जिला अस्पताल आने की सभी सलाह दी है।

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