शहर की तीनों सीटों परटिकट बंटवारे को लेकर चुनाव में सपाऔर बीजेपी मे खींचतान।

 अमरनाथ मौर्य के समर्थक टिकट कटने से अभी तक नाराज बताए जाते हैं और वे अंदर से भितरघात करने में लगे हैं ।

 

स्वतंत्र प्रभात 

प्रयागराज ब्यूरो 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव को लेकर जहां चुनाव प्रचार जोरों पर है वहीं पर चौथे और पांचवें चरण में होने वाले मतदान के पहले अभी तक टिकट बंटवारे का रंज भूल नहीं पा रहे हैं प्रयागराज जनपद में वैसे तो सभी दलों में कुछ न कुछ खींचतान और असंतोष टिकट बंटवारे को लेकर है लेकिन समाजवादी पार्टी और भाजपा में विशेष खींचतान दिखाई पड़ रही है प्रयागराज शहर में 3 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें शहर उत्तरी शहर दक्षिणी तथा शहर पश्चिमी प्रमुख हैं।

शहर पश्चिमी में पहले समाजवादी पार्टी ने अमरनाथ मौर्य को टिकट दिया लेकिन मुसलमानों में उनके टिकट को लेकर जबरदस्त विरोध हुआ ।बताया जाता है कि अमरनाथ मौर्य पुराने भाजपाई थे और जब वे भाजपा में थे तो उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर मुसलमानों के विरुद्ध कुछ ऐसे बयान दिए जिसे मुसलमान बहुत आहत थे। इसकी गूंज राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंची उन्होंने टिकट बदल दिया और नामांकन के दिन विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष रिचा सिंह को उम्मीदवार बनाया ।रिचा सिंह एक तेजतर्रार महिला नेत्री हैं तथा समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। टिकट बदलने से मुसलमानों में जो अ संतोष था वह शांत हो गया उन्हें लगा कि उनकी आवाज सुनी गई लेकिन अमरनाथ मौर्य के समर्थक टिकट कटने से अभी तक नाराज बताए जाते हैं और वे अंदर से भितरघात करने में लगे हैं ।

शहर दक्षिणी में जो कि मुस्लिम बाहुल्य इलाका था वहां भी टिकट के कई दावेदार थे जिसमें सलामत हुसैन मुख्य दावेदारों में गिने जाते थे उन्हें टिकट नहीं दिया गया बल्कि अभी तक पिछले चुनाव तक जो भाजपा में रईस चंद्र शुक्ला थे उन्हें समाजवादी पार्टी ने यहां से प्रत्याशी बना दिया यहां यह भी बता दें कि रईस चंद्र शुक्ला विधान परिषद का भी चुनाव भाजपा सेलड़ चुके थे और समाजवादी पार्टी के वासुदेव यादव ने उन्हें चुनाव हराया था लेकिन 5 वर्ष बाद पासा पलटा और एक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के इशारे पर वे पार्टी में शामिल हुए और उन्हें टिकट भी दे दिया गया। जो काबीना मंत्री नंद गोपाल नंदी के विरुद्ध मैदान में हैं पैसे से दोनों  बहुत ही मजबूत बताए जाते हैं और रईस चंद्र शुक्ला को टिकट देने का यह भी एक प्रमुख कारण था कि नंदी के मुकाबले धन बलऔर बाहुबल दोनों से वह चुनाव लड़ने में सक्षम थे ।शहर उत्तरी विधानसभा में भाजपा के टिकट को लेकर लंबे अरसे तक खींचतान और वहां पर स्थिति  1 दिन पूर्व तक  स्थिति बनी रही 

जबकि यहां से भाजपा के  हर्षवर्धन बाजपेई वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं ।लेकिन उनका टिकट खटाई में पड़ गया। सूत्रों ने बताया कि टिकट में सबसे बड़ा अवरोध पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी थे जो अपनी बहू  कविता यादव त्रिपाठी के लिए एड़ी चोटी एक कर दिए थे मामला दिल्ली तक गया लेकिन अंतिम समय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रयागराज आए और उन्होंने काफी मंथन करने के बाद वर्तमान विधायक हर्षवर्धन बाजपेई कोही प्रत्याशी घोषित कर दिया।


हर्षवर्धन का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और तीन बार सेविधायक  रह चुके अनुग्रह नारायण सिंह और संघर्षशील नेता समाजवादी पार्टी के संदीप यादवसे है। हर्षवर्धन बाजपेई पिछला चुनाव के पूर्व 2012 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़े थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उदय भान करवरिया के चुनाव लड़ने से गणित बिगड़ गया और वह मात्र ढाई हजार से चुनाव हार गए थें। बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2017 में अनुग्रह नारायण सिंह को पराजित करने में सफल रहे ।

हर्षवर्धन बाजपेई खानदानी राजनीतिज्ञ माने जाते हैं उनकी दादी राजेंद्र कुमारी बाजपेई कांग्रेस के दिग्गज नेता थी और लगातार 4 चुनाव शहर उत्तरी से जीती थी। तथा प्रदेश और केंद्र में वे कैबिनेट मंत्री बहुत दिनों तक रही। उसके बाद हर्षवर्धन के पिता भी कांग्रेश से एक बार विधायक इसी क्षेत्र से चुने गए इसलिए शहर उत्तरी को अपना खानदानी सीट मानते हैं ।टिकट हर्षवर्धन को जरूर मिल गया लेकिन अभी भी भाजपा के अंदर  खींचतान  बताई जाती है। इस प्रकार देखा जाए तो शहर की तीनों सीटों में सभी दलों में खींचतान मची है मुकाबला समाजवादी पार्टी और भाजपा  जहां 2 सीटों पर सीधे-सीधे हैं वहीं उत्तरी में भाजपा का मुकाबला कांग्रेश  भाजपा तथा सपा के बीच त्रिकोणी दिखाई पड़ता है इसमें ऊंट किस करवट बदलेगा यह तो आने वाला समय बताएगा ।यह मतदान 27फरवरी को हैं।  
 

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