प्रमुख आस्था का केंद्र है सिरसा जंगल में स्थित बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर
शाहजहांपुर। बंडा के जंगल के बीच में स्थित बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर की प्राचीन
स्वतंत्र प्रभात
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शाहजहांपुर। बंडा के जंगल के बीच में स्थित बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर की प्राचीन शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलती है। भक्त सावन माह में रोजाना मंदिर पर पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं। सावन के हर सोमवार को यहां पर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है। इसके अलावा प्रत्येक माह की अमावस्या और हर साल महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है। इस प्राचीन शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं। आज सावन माह का पहला सोमवार है। इससे इकोत्तरनाथ शिवालय पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचकर जलाभिषेक करेंगे
।पूरनपुर तहसील के बलरामपुर चौकी क्षेत्र के मंडनपुर सिरसा जंगल के अन्दर गोमती नदी के किनारे भगवान शंकर का पवित्र शिवालय बाबा इकोत्तर नाथ के नाम से विख्यात है। यहां पर हर अमावस्या और महाशिरात्रि पर विशाल मेला लगता हैं। सावन माह में भक्त मंदिर पर पहुंचकर भगवान शिव को जलाभिषेक करते हैं। इस माह में प्रत्येक सोमवार को भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ पहुंची है। मंदिर में स्थित प्राचीन शिवलिंग अपने आप में निराली है जो दिन मे तीन बार रंग बदलती है। खास बात तो यह है कि रोजाना इस शिवलिंग पर सबसे पहले पूजा अर्चना की हुई मिलती है। यहां पुष्प कौन चढ़ा जाता है कि इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। कुछ भक्तों ने इसको जानने के लिए मंदिर परिसर मे रातें बिताई लेकिन आश्चर्य को नहीं जान सके।
बताते हैं कि देवताओं के राजा इन्द्र देव ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए गोमती नदी के किनारे भगवान भोलेनाथ के शिवलिंगों की स्थापना की थी। उन्हीं में से 71 वीं शिवलिंग बाबा इकोत्तर नाथ मंदिर पर है। भक्तों का मानना है कि राजा इंद्र ही सबसे पहले पूजा अर्चना कर जाते हैं। बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर पर भक्तिभावना से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यहां से कोई भक्त निराश होकर नहीं जाता है। शायद इसलिए इकोत्तरनाथ मंदिर पर पास पड़ोस के अलावा दूर दराज से बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव के दर्शन करने को पहुंचते हैं। भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर वह मंदिर परिसर में नल लगवाते हैं।
कई भक्त शिव को प्रसन्न रखने के लिए मंदिर पर घंटियां चढ़ाते हैं।जंगल के अंदर सड़क न होना सबसे बड़ी समस्या है।सावन माह के प्रत्येक सोमवार को दूर- दराज के गांवों से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस माह में बरसात होती है इससे मंदिर तक जाने वाली गढ्ढायुक्त कच्ची सड़क चलने के लायक नहीं रहती है। इस सड़क से वाहनों का निकलना मुश्किल हो जाता है। पूरनपुर से भक्तों को सिरसा गांव होते हुए बाबा इकोत्तरनाथ मंदिर पर पहुंचना पड़ता है। सिरसा से कुछ आगे बढ़ने के बाद कच्ची सड़क है जो जंगल के अंदर से होती हुई मंदिर तक जाती है।
गांव घाटमपुर, गोपालपुर, अजीतपुर बिल्हा, घुंघचाई, सिमरिया, चंदोखा, गरीबपुर बिल्हा, जनकापुर, दिलावरपुर आदि गांवों के भक्त गोमती नदी पर पुल न होने से पानी में घुसकर मंदिर तक पहुंचते हैं। गोमती में अधिक पानी होने से भक्त पुन्नापुर होते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं। इससे भक्तों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

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