भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता में लिप्त अधिशाषी अधिकारी

भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता में लिप्त अधिशाषी अधिकारी

भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता में लिप्त अधिशाषी अधिकारी


 

स्वतंत्र प्रभात- 


भ्रष्टाचार के गटर में डूबी टांडा नगर पालिका



टांडा अंबेडकर नगर। जब से डॉ० आर०पी० श्रीवास्तव ने अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका परिषद टाण्डा, जनपद का कार्य भार ग्रहण किये हैं, तब से वे भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता में लिप्त हैं।अधिशाषी अधिकारी निकाय को धन उगाही का अड्डा बना रखे हैं। 
ये पार्टी विशेष के समर्थक हैं व पार्टी विशेष से सम्बन्धित सभासद व कार्यकर्ताओं के पक्ष में कार्य करते हैं।यही भ्रष्ट लोग गरीबों और आपकी सरकार के बीच दूरी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे सबूत के बावजूद जिम्मेदार अपने अधिकारों का पालन नहीं कर रहे जिसका नतीजा है कि भ्रष्टाचार में डूबी नगरपालिका के अधिकारियों कर्मचारियों में भ्रष्टाचार नामक वायरस घुस गया है।

गरीबों का आवास जिसको लेकर बार-बार आ रही शिकायतों व ठोस सबूत के बावजूद कार्यवाही नहीं होने से भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी कर्मचारी इसे धर्म समझकर भ्रष्टाचार का पालन पूरी निष्ठा के साथ कर रहे हैं।
सरकार की महत्वपूर्ण योजना पंडित दीन दयाल योजना में समस्त कार्य पार्टी विशेष के सभासदों के वार्डो में प्रस्तावित किया गया है क्योंकि विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व इन्हें विश्वास था कि चुनाव में इनकी  पार्टी ही जीतेगी।इनके द्वारा नगर पालिका की गाड़ियों व जेनरेटर में डीजल भरवाने के नाम पर लाखों की कीमत में डीजल मं प्रतिमाह हेर-फेर किया जाता है। नगर पालिका के नाम पर अपनी स्वंय की गाड़ी में व अपनी पत्नी की गाड़ी में डीजल भरवाते हैं व पर्ची पालिका के नाम कटती है। इनकी तैनाती के पूर्व के डीजल के बिल मेरे पास उपलब्ध है, जो कि महज हजारों में आते थे। इनके आने के पश्चात से ही लाखों में आने लगे।

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अधिशाषी अधिकारी से बार-बार प्रतिमाह आने वाले डीजल बिल की सत्यापित कॉपी मांगी गई। बोर्ड बैठक में भी कई बार बोर्ड के सामने डीजल का विवरण उपलब्ध करने की मांग की गयी।परन्तु अब तक अधिशाषी अधिशाषी द्वारा विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया। जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार की आँखों में धूल झोंकते हुए जनता की गाढ़ी कमाई का बंदरबांट किया जा रहा है। संज्ञान में यह भी आया है कि पालिका द्वारा ठेके पर रखे गये सफाई कर्मी/ कर्मचारी में से लगभग आठ सफाई कर्मी तो बस अधिशाषी अधिकारी महोदय के आवास पर उनके ठाट-बाट के लिए लगाये गये हैं।जिनमें से कुछ उनके नजदीकी रिश्तेदार भी हैं, जिनका नाम बस कागजों में ही चल रहा है।दिसम्बर 2021 में नगर पालिका परिषद टाण्डा द्वारा लगभग 15 करोड़ की निर्माण कार्यों की निविदा करायी गयी थी। अधिशाषी अधिकारी द्वारा कतिपय ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने हेतु उनसे 02 प्रतिशत में साँठ- गाँठ कर निविदा की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता करते हुए निविदा दूषित कर दिया गया, जिसकी जाँच अपर जिलाधिकारी द्वारा अधिशाषी अभियंता लो० नि० वि० अम्बेडकरनगर से करायी गयी।

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अधिशाषी अभियंता लो0नि0वि0 अम्बेडकरनगर द्वारा निविदा प्रक्रिया में अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका परिषद टाण्डा को दोषी पाया गया। तत्पश्चात जिलाधिकारी द्वारा निविदा प्रक्रिया को दूषित किये जाने के आरोप के कारण अधिशाषी अधिकारी के विरूद्ध दंडात्मक व अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने हेतु संस्तुति सहित आख्या शासन को प्रेषित की गयी थी। परन्तु अब-तक अधिशाषी अधिकारी के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी, जो कि काफी चिंता व आश्चर्य की बात है।इससे पूर्व भी अधिशाषी अधिकरी डॉ० आर०पी० श्रीवास्तव की जहाँ-जहाँ तैनाती रही है, वहां-वहाँ उनके भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितता के आरोप सिद्ध हुए है। सम्बन्धित जिलों के तत्तकालीन जिलाधिकारी द्वारा अनुशासनिक कार्यवाही हेतु संस्तुति सहित आख्या प्रेषित की जा चुकी है, परन्तु आज तक शासन द्वारा अधिशाषी अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी, हर बार अधिशाषी अधिकारी द्वारा शासन में पदासीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को घूस देकर फाइल दबवा दी जाती है और निकाय में बैठकर धन उगाही की जाती है।इस तरह से हर बार आरोप सिद्ध होने के बावजूद शासन द्वारा कार्यवाही न की गयी और हर बार फाइल दबवा दी जायेगी तो सिस्टम कैसे सुधरेगा। इसके अलावा निविदा की प्रक्रिया पूर्ण न होने से विकास कार्य जो लगभग 06 माह से प्रभावित है और आगे भी दो-तीन माह तक लंबित रहने की संभावना है, उससे आम जनता को जो अपूर्णनीय क्षति हुई है, उसके लिए कौन जिम्मेदार है।

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धन आवंटित होने व निर्माण कार्य प्रस्तावित होने के बावजूद जनता तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा है। क्या शासन-प्रशासन किसी भी अधिकारी / कर्मचारी को इतनी छूट देता है कि वह शासकीय कार्यों में मनमानी करे और इच्छानुसार बिना किसी शासनादेश के अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए नियमों में फेर-बदल करे, चाहे इससे जनहित ही क्यों न प्रभावित हो ।ऐसे कई कार्य हैं जो अधिशाषी अधिकारी के भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं।ज्यादातर तो कार्यालय की फाइलों में ही दबे रह जाते हैं, जनता तक पहुंचते ही नहीं। कुछ सभासदों ने जाँच की मांग  कि है ऐसे समस्त प्रकरण जो पत्रावली में दबे रह गये हैं व जो मेरे द्वारा अवगत कराया गया है, उसकी फाइल निकलवाकर जनहित में जाँच कर दोषी के खिलाफ निष्पक्ष कार्यवाही करने का कष्ट करें, यदि जाँच संभव न हो तो कम से कम अधिशाषी अधिकारी डॉ०आर०पी० श्रीवास्तव का स्थानान्तरण अन्यत्र करने का कष्ट करें, ताकि इनके भ्रष्टाचार से इस निकाय व शहर को बचाया जा सके।

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