प्रदूषण बोर्ड की कार्यवाही के बाद भी फैक्ट्री संचालक मनमानी पर आमादा

स्वतंत्र प्रभात नसीर ख़ान उन्नाव। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लगातार कार्यवाही और सख्ती के बावजूद भी नहीं जिले के औद्योगिक क्षेत्रो में स्थापित चमड़ा एवं केमिकल इकाईयां सुधरने का नाम नहीं ले रहीं हैं। मिर्जा ट्रेनर्स, पेस्फीक ट्रेनरी, ओमेगा इण्टरनेशनल, कैलको ट्रेनरी 34 35 नम्बर, दीपाली कैमिकल, अभिषेक मल्होत्रा, मॉडल ट्रेनरी बंथर, हाजी नसीम खाद,

स्वतंत्र प्रभात नसीर ख़ान उन्नाव। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लगातार कार्यवाही और सख्ती के बावजूद भी नहीं जिले के औद्योगिक क्षेत्रो में स्थापित चमड़ा एवं केमिकल इकाईयां सुधरने का नाम नहीं ले रहीं हैं। मिर्जा ट्रेनर्स, पेस्फीक ट्रेनरी, ओमेगा इण्टरनेशनल, कैलको ट्रेनरी 34 35 नम्बर, दीपाली कैमिकल, अभिषेक मल्होत्रा, मॉडल ट्रेनरी बंथर, हाजी नसीम खाद, आरिफ बनारस खाद आदि फैक्ट्रियां अपने फायदे के लिए अंधाधुंध जल तथा वायु प्रदूषण फैला पति पावनी मां गंगा को मैला कर रही हैं

तथा वातावरण में जहर घोल रही हैं।औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात उन्नाव के लोगों की जिन्दगी कचड़ा कीचड़ व सड़ांध से घुट.घुटकर दम तोड़ रही है। दहीचैकी औद्योगिक क्षेत्र में चमड़ा एवं केमिकल इकाईयो की मनमानी से भूगर्भ जल दिनण्प्रतिदिन नष्ट होता जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी बंथर व अकरमपुर में स्थापित मिर्जा ट्रेनर्स, पेस्फीक ट्रेनरी, ओमेगा इण्टरनेशनल, कैलको ट्रेनरी 34 35 नम्बर,

दीपाली कैमिकल, अभिषेक मल्होत्रा, मॉडल ट्रेनरी बंथर, हाजी नसीम खाद, आरिफ बनारस खाद आदि फैक्ट्रियांे द्वारा रसायनिक केमिकलयुक्त पानी तथा बिना ट्रीट किया हुआ गंदा पानी खुलेआम बहाया जा रहा है जिससे जिले का भूगर्भ इतना प्रदूषित हो चुका है कि पीने योग्य नहीं बचा है। प्रदूषित जल से लोगों में घातक बीमारियां घर कर रही हैं। साथ ही उत्पादन के लिए मानक के अनुसार ईंधन न जला चमड़े का कतरन जलाया जाता है। जिससे भयंकर वायु प्रदूषण फैलता है।

स्वतंत्र प्रभात औद्योगिक नगरी की मनमानी को लगातार उजागर कर रहा है। जिले के तीन छोरो दहीचैकी बंथर तथा अकरमपुर में स्थित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयां नगर के भूगर्भ जल को दिनण्प्रतिदिन क्षति पहुंचा रही हैं। चूंकि जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लान्ट में भारी-भरकम धनराशि करनी पड़ती है लिहाजा मात्र दिखावे के लिए सौ-दो सौ लीटर पानी ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भेजा जाता है

शेष पानी बिना फिल्टर किये ही यूपीएसआईडीसी के नाले से गंगा में बहा दिया जाता है। जिसके चलते केन्द्र सरकार की नमामि गंगे योजना पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। परिणामतः लाख प्रयासो के बाद भी गंगा स्वच्छ नहीं हो पा रही हैं।

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