उद्योगों के जल व वायु प्रदूषण से त्रस्त उन्नाववासी बढ़ रहे मौत की ओर

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी व बंथर में स्थापित चमड़ा एवं केमिकल इकाईयां तथा स्लाटर हाउसो द्वारा बहाये जा रहे गंदे रसायनिक प्रदूषित जल तथा जानवरो के खून से फैले प्रदूषण से उन्नाववासी गंभीर बीमारियो का शिकार होकर धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रहे हैं। औद्योगिक इकाईयो द्वारा फैलाया जा रहा यह धीमा

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी व बंथर में स्थापित चमड़ा एवं केमिकल इकाईयां तथा स्लाटर हाउसो द्वारा बहाये जा रहे गंदे रसायनिक प्रदूषित जल तथा जानवरो के खून से फैले प्रदूषण से उन्नाववासी गंभीर बीमारियो का शिकार होकर धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रहे हैं। औद्योगिक इकाईयो द्वारा फैलाया जा रहा यह धीमा जहर जनपदवासियों की जिन्दगी खोखली करता जा रहा है। हालांकि शासन-प्रशासन द्वारा प्रदूषित जल व स्लाटर हाउसो को जानवरो का खून नाली में बहाने से पूरी तरह प्रतिबन्धित किया गया है

परन्तु इन धनपशुओ की मनमानी अभी भी जारी है जिससे क्षेत्र में जल प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि सांस लेना भी दूभर है।देश में औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात उन्नाव आज उद्योगपतियो की मनमानी से नर्क नगरी बन चुकी है। जहां के बाशिन्दो की जिन्दगी कचड़ा, कीचड़ व सड़ांध से घुट-घुटकर दम तोड़ रही है। दहीचैकी औद्योगिक क्षेत्र में चमड़ा एवं केमिकल इकाईयो तथा स्लाटर हाउसो की मनमानी से भूगर्भ जल दिन-प्रतिदिन नष्ट होता जा रहा है।

जहां संचालित इण्टरनेशनल सुपर हाउस ओमेगा इण्टरनेशनल जैसी विश्वस्तरीय इकाईयो द्वारा रसायनिक केमिकलयुक्त पानी तथा बिना ट्रीट किया हुआ गंदा पानी तथा स्लाटर हाउसो द्वारा जानवरो का गंदा खून खुलेआम बहाया जा रहा है जिससे जिले का भूगर्भ इतना प्रदूषित हो चुका है कि पीने योग्य नहीं बचा है। प्रदूषित जल से लोगों में घातक बीमारियां घर कर रही हैं। मीडिया औद्योगिक नगरी की मनमानी को लगातार उजागर कर रही है लेकिन जिला प्रशासन के कान में जूं नहीं रेंग रहा है।

जिले के तीन छोरो दहीचैकी बंथर तथा अकरमपुर में स्थित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयां नगर के भूगर्भ जल को दिन-प्रतिदिन क्षति पहुंचा रही हैं। वैसे तो इन फैक्ट्रियों के लिए मानक निर्धारित किये गये हैं तथा जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भी स्थापित हैं परन्तु यह फैक्ट्रियां कभी भी इन मानको का पालन नहीं करती हैं और रात के अंधेरे में फैक्ट्रियों तथा केमिकल इकाईयो द्वारा निकलने वाला पानी सीधे बोरवेल के माध्यम से भूगर्भ जल में पहुंचा दिया जाता है अथवा टैंकरो के माध्यम से सीधे लोन नदी में उड़ेल दिया जाता है

जो आसपास की भूमि को उसरीला करता हुआ सीधे गंगा में प्रवेश कर जाता है। सूत्रो की माने तो लखनऊ.कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी स्थित सुपर हाउस व बंथर स्थित ओमेगा इण्टरनेशनल केलको ट्रेनरीए पेप्सिको टेनरी तथा पिंजा टेनरी में मानको को दर.किनार कर मनमानी की जा रही है। चूंकि जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लान्ट में भारी.भरकम धनराशि करनी पड़ती है लिहाजा मात्र दिखावे के लिए सौ.दो सौ लीटर पानी ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भेजा जाता है शेष पानी बिना फिल्टर किये ही यूपीएसआईडीसी के नाले से गंगा में बहा दिया जाता है।

जिसके चलते केन्द्र सरकार की नमामि गंगे योजना पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। आलम यह है कि यह जहरीला पानी जिन-जिन रास्तो से होकर गुजरता है वहां आसपास खेतो की कृषि योग्य भूमि उसरीली हो गयी है तथा यह पानी पीने वाले जानवर भयंकर बीमारियांे की चपेट में आकर असमय मौत के मुंह में समा रहे हैं लेकिन अत्याधिक धन कमाने के लालच में यह फैक्ट्री स्वामी इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें आम जनमानस पर पड़ रहे इस दुष्प्रभाव से कोई मतलब नहीं है।

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