गौआश्रय स्थल में गायों को सुई लगाकर मार दिया जाता है, जिम्मेदार मौन।

गौआश्रय स्थल में गायों को सुई लगाकर मार दिया जाता है, जिम्मेदार मौन। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। गायों और गौवंशों के रहने और खाने की व्यवस्था को ध्यान में रखकर सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गौ आश्रय स्थल स्थापित किया है। जहां पर गायों के लिए रहने और खाने की समुचित

गौआश्रय स्थल में गायों को सुई लगाकर मार दिया जाता है, जिम्मेदार मौन।

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भदोही।

गायों और गौवंशों के रहने और खाने की व्यवस्था को ध्यान में रखकर सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में गौ आश्रय स्थल स्थापित किया है। जहां पर गायों के लिए रहने और खाने की समुचित व्यवस्था का प्रावधान है। लेकिन गौआश्रय स्थल ही गायों के लिए मृत्यु स्थल साबित हो रही है।और गौ आश्रय स्थल भी लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ गये है और जिम्मेदारों को इससे कोई लेना देना नही है केवल मिलीभगत करके कागजी खानापूर्ति करते हुए सरकार को फर्जी आंकडा भेजना आदत सी बन गई है।

एक ऐसा ही मामला ऊंज थाना क्षेत्र के मीनापुर गांव में स्थित गौआश्रय स्थल में दिखा जहां पर गायें अपनी हालत पर आंसू बहा रही है और तडप- तडप कर मरने पर विवश है। और कुछ गायों को तो सुई लगाकर जबरदस्ती मार दिया जाता है। जो जिले के जिम्मेदारों के लिए कलंक के समान है। मीनापुर गौआश्रय स्थल का आलम यह है कि गायों के पीने के लिए गड्ढों के संक्रमित पानी को पिलाया जाता है।

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गौआश्रय स्थल में गायों को सुई लगाकर मार दिया जाता है, जिम्मेदार मौन।

चोटिल या कमजोर गायों को देखने वाला कोई नही है। केवल गायों को भूषा डाल दिया गया है। पानी के लिए तडपती है गायें। गायों को प्यास से चिल्लाते देख कभी – कभी स्थानीय लोग भी पानी इत्यादि दे देते है। जिन गायों को चोट लगी है उन्हें कौएं आकर बडे ही चाव से खोदते है। और विवश गायें केवल अपने पूंछ से उडाने का प्रयास करती है। गौ आश्रय स्थल के बारे में स्थानीय लोगो ने बताया कि ग्राम प्रधान से इस अव्यवस्था की शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही न हुई।

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ग्रामीणों ने तो बताया कि ग्राम प्रधान बाहर से आने वाली गायों को आश्रय स्थल में रखने के लिए पशु पालक से रूपये लेकर आश्रय स्थल में रखता है। और दूसरी बात बताया कि जब कोई गाय मर जाती है तो ग्राम प्रधान उस गाय के कान में लगा टैप दूसरी गाय के कान में लगा देता है। हालांकि कई लोगों ने इस आश्रय स्थल में गायों की स्थिति को लेकर नाराजगी जाहिर की। गौआश्रय स्थल के एकदम पास रहने वाले ने बताया कि कभी कभी तो गायों के मर जाने पर कई दिन तक नही हटाया जाता और दुर्गन्ध से काफी परेशानी होती है।

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लेकिन ग्राम प्रधान अपने हिसाब से ही मरी हुई गायों को यहां से हटाते है। इस गौशाला में सूत्रों से एक ऐसी करतूत की बात सामने आई जो मानवता को शर्मसार करने वाली है। मीनापुर की गौशाला में गायों को सुई लगाकर मारने की भी प्रथा प्रचलित है। लेकिन जिम्मेदार केवल मौन बनकर कागजी खानापूर्ति में मसगूल है। और गाये बेमौत मर रही है। जिले में यह तो केवल एक गौ आश्रय स्थल का हाल नही है बाकी गौआश्रय स्थलों में भी लापरवाही का आलम देखने को मिलता है। लेकिन जिम्मेदार लोग केवल सरकार की आंखों में धूल झोक कर मनमानी और लापरवाही करने से बाज नही आ रहे है।

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