नागपंचमी पर मंदिरों के कपाट तो खुले पर नहीं हुए परम्परागत आवयोजन ।

नागपंचमी पर मंदिरों के कपाट तो खुले पर नहीं हुए परम्परागत आयोजन । गौरव पुरी (रिपोर्टर ) ज्ञानपुर, भदोही। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते इस बार नागपंचमी का पर्व परम्परागत के अनुसार नहीं मनाया गया। नागपंचमी के पर्व पर गांव-गांव में गुड़िया पीटने , खेलकूद,कुश्ती-दंगल,कजरी गीतों की धूम नहीं रही। नागदेव पूजा के साथ

नागपंचमी पर मंदिरों के कपाट तो खुले पर नहीं हुए परम्परागत आयोजन ।

गौरव पुरी (रिपोर्टर )

ज्ञानपुर, भदोही।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते इस बार नागपंचमी का पर्व परम्परागत के अनुसार नहीं मनाया गया। नागपंचमी के पर्व पर गांव-गांव में गुड़िया पीटने , खेलकूद,कुश्ती-दंगल,कजरी गीतों की धूम नहीं रही। नागदेव पूजा के साथ ही बहनों की ओर से फेंकी गुड़िया की भाईयों दर्शाया पिटाई करने और बहनों की रक्षा के संकल्प का परम्परागत आयोजन हुए। इसके अलावा अन्य आयोजनों में शामिल आल्हा-गायन,कुश्ती वह मेरा आदि भी नहीं हुए। नागपंचमी पर्व पर मंदिरों के कपाट तो खुले पर भक्त नहीं आए। भगवान दर्शन देने लगे पर दर्शनार्थियों का बहुत ही कम आगमन हुआ।

मठ-मन्दिर सन्नाटे से मुक्त तो हुए लेकिन पाबन्दियों को तोड़ कर भक्तों के आने में कोरोना का डर बाधक बना रहा। नागपंचमी पर्व के मद्देनजर नगर के बाबा हरिहरनाथ, घोंपईला आदि मंदिरों में बेहद कम दर्शनार्थी दर्शन के लिए उपस्थित हुए। सुबह से शाम तक दर्शनार्थियों की संख्या दहाई के अंकों में ही सीमित रही। विडंबना यह रही कि पर्व पर जिस शिवबाबा धाम में हजारों लोग दर्शन करते थे, वहां गिनती के ही लोग उपस्थित हुए। हालांकि शिवबाबा धाम में शासन और प्रशासन के गाइडलाइन के अनुसार श्रद्धालुओं के लिए माकूल व्यवस्था की गई थी, लेकिन श्रद्धालुओं के न आने से सारी तैयारियां धरी रह गईं।

प्रात:काल मंदिरों के खुल जाने के बाद भी फूल-माला और प्रसाद का वितरण करने वाले दुकानदारों के चेहरों पर खुशी नहीं दिखाई पड़ा। इसका कारण चंद लोगों के आने और प्रसाद न चढ़ाने से रहा। प्रसाद चढ़ाने की मनाही, भक्तों के मूर्तियों के छूने पर लगे प्रतिबंध से फूल-माला और प्रसाद की कम बिक्री हुई। करीब तीन माह से आर्थिक संकट का दंश झेल रहे दुकानदारों को उम्मीद थी कि जिंदगी एक बार फिर पटरी पर लौट जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल शनीवार को नागपंचमी त्योहार पर भी नजारा और स्थिति निराश करने वाला ही ही रहा। मंदिरों के गेट खुले लेकिन चहल पहल नहीं हुई। साप्ताहिक लाकडाउन शनीवार वह रविवार के चलते चहल पहल नहीं हो सकी। एक समय में केवल पांच व्यक्तियों की अनिवार्यता का पालन करने में व्यवहारिक दिक्कतें आईं। परिवार के लोगों के एक साथ मंदिरों में प्रवेश करने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को मना करना पड़ा।


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