भदोही में प्रकृति के कहर से किसानों की मुश्किले बढी।

भदोही में प्रकृति के कहर से किसानों की मुश्किले बढी।

भदोही में प्रकृति के कहर से किसानों की मुश्किले बढी। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। काशी प्रयाग के मध्य स्थित भदोही जिला कभी एक समय में डालर नगरी से प्रसिद्ध था लेकिन इस समय भदोही भी देश के अन्य जिलों की तरह प्रकृति की मार से दो चार हो रहा है। और किसानों की कमर

भदोही में प्रकृति के कहर से किसानों की मुश्किले बढी।

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भदोही।

काशी प्रयाग के मध्य स्थित भदोही जिला कभी एक समय में डालर नगरी से प्रसिद्ध था लेकिन इस समय भदोही भी देश के अन्य जिलों की तरह प्रकृति की मार से दो चार हो रहा है। और किसानों की कमर टूट जा रही है। जहां कोरोना जैसी महामारी की वजह से लोगो का काम धंधा ठप है और आमदनी का जरिया एकदम बंद हो गया है वही इस वर्ष प्रकृति का कहर भी किसानों को परेशान करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। शासन प्रशासन भले ही किसानों को अपनी सहायता राशि के माध्यम से उनके जख्म पर मरहम लगाकर कुछ दर्द कम करना चाहती है लेकिन वह नाकाफी है।

जिले के सभी ब्लाकों के किसानों की कमोवेश वही स्थिति है। जहां किसान प्रकृति के कहर से टूट चुका है। और आगे के समय के लिए काफी चिंतित है। सरकार के तरफ से जो सहायता राशि भी मिलती है वह भी बडी मुश्किल से माल पाता है बहुत से किसानों को तो राशि मिल ही नही पाती है। इसमें लेखपाल के गलत रिपोर्ट या कार्य के वजह से होता है। हालांकि डालर नगरी के किसान तो प्रकृति के कहर से जूझ रहे है। और किसानों को उबारने के लिए अब केवल प्रकृति ही सहायक हो सकती है। जैसा कि इस बार रबी फसल पर प्रकृति कहर बनकर टूट रही है। मौसम के बिगड़े मिजाज के आगे अन्नदाता बेबस बने हुए हैं। आंधी-पानी और ओलावृष्टि से गेहूं समेत अन्य रबी फसल तो तबाह हो ही गई, सब्जी की फसल पर भी बुरा असर पड़ने लगा है। बिना समय के हो रही बारिश और आंधी तूफान से किसानों की बची-खुची उम्मीदें भी दम तोड़ रही है।

खेत से फसलों को समेट अनाज घर ले जाने की जुगत में लगे किसानों को इस बार की बारिश ने करारा झटका दिया है। बेमौसम बारिश से किसानों की हालत बेहद खराब हो गई है। उनके नुकसान की भरपाई शायद ही हो पाएगी। वैसे तो सरकार ने क्षति का आकलन करा मुआवजा देने की घोषणा कर दी है, परंतु मुआवजा की राशि किसानों के पास कब तक पहुंच पाएगी, यह कह पाना मुश्किल है। सरकार सिर्फ घोषणा करती है किसानों को समय से मुआवजा नहीं मिल पाता। इस बार रबी सीजन में जनवरी माह से ही मौसम का कहर जारी है। जनवरी-फरवरी में कुहारा के कारण फसलें प्रभावित हुई। बाद में बारिश ने रही-सही कसर पूरी कर दी। बारिश ने तो इस बार किसानों की कमर ही तोड़ कर रख दी है।

दलहन-तेलहन समेत गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। प्रकृति के प्रकोप से इस बार के टूटे किसान शायद ही एक-दो वर्षो में संभल पाएंगे। इस बार बारिश ने उनके मुंह का निवाला पूरी तरह छीन लिया है। खेत में बची-खुची खड़ी फसलों के अनाज उनके घर तक पहुंच भी पाएंगे या नहीं इसे लेकर किसान परेशान है। किसी तरह लोग अपनी फसल को काट कर मडाई करके अपना अनाज और भूषा व्यवस्थित रखना चाहते है। लेकिन मौसम के बिगडे मिजाज से किसान एकदम विवश दिख रहा है। भगवान भरोसे रखकर सभी किसान अपने कार्यों में लगे है। अब किसानों के इस संकट की घडी में तो प्रकृति ही सहायक हो नही तो किसानों को अभी और खतरनाक समय से गुजरना पडेगा।

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