छिड़काव के नाम पर दौड़ाए जा रहे कागजी घोड़े

छिड़काव के नाम पर दौड़ाए जा रहे कागजी घोड़े

कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने और साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए शासन के द्वारा छिड़काव की योजना तैयार कराई गई थी । लेकिन जिम्मेदारों की कार्यशैली ने शासन की मंशा पर पानी फेरने में कोई कसर नही छोड़ा । ज्यादातर क्षेत्रों खासकर ग्रामीण इलाकों में यह योजना केवल कागजों तक ही सिमटी रही

कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने और साफ-सफाई को ध्यान में  रखते हुए शासन के द्वारा छिड़काव की योजना  तैयार कराई गई थी । लेकिन जिम्मेदारों की कार्यशैली ने शासन की मंशा पर पानी फेरने में कोई कसर नही छोड़ा । ज्यादातर क्षेत्रों खासकर ग्रामीण इलाकों में यह योजना केवल कागजों तक ही सिमटी रही । प्रशासन की लापरवाही से समयबद्ध तरीके से कई जगहों पर छिड़काव नहीं हो सका । छिड़काव कराने की मुहिम कई क्षेत्रों में तमाशा बनकर रह गई और जिम्मेदार कागजी घोड़े दौड़ते रहे ।

वर्तमान में गोरखपुर जनपद के जंगल तिनकोनिया नंबर 1 में जब हमारी नजर एकाएक वहां के ग्राम प्रधान व प्रधान पति पर पड़ी तो देखा गया कि एक कर्मचारी के साथ दोनों पति-पत्नी स्वयं ही छिड़काव की कमान संभाले हुए हैं । पूछने पर पता चला कि प्रशासन की तरफ से जो रोस्टर मिला था वह चार कर्मियों का था जिनके द्वारा छिड़काव कराया जाना था । लेकिन आज केवल एक ही कर्मी पहुंचा इसलिए महामारी के इस समय हमने इस कार्य को टालने की बजाय खुद ही पूर्ण करा देना उचित समझा  । छिड़काव के बाद दोनों पति-पत्नी ने गांव वालों को साबुन मास्क व सैनिटाइजर भी बांटा । यह स्थिति तो एक गांव की है जिसे देखकर यह सहज अंदाजा  लगाया जा सकता है कि बाकी पूरे जनपद में छिड़काव की क्या स्थिति होगी ।

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