कोरोना के नाम पर कमाई के खेल में पीछे नहीं झोलाछाप

कोरोना के नाम पर कमाई के खेल में पीछे नहीं झोलाछाप

धर्मेन्द्र राघव अलीगढ़। शहर के डॉक्टर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कोविड प्रोटोकॉल को सबसे बड़ी बाधा बता रहे हैं। सीएमओ कार्यालय में 400 से ज्यादा हॉस्पिटल, नर्सिंग व क्लीनिक पंजीकृत हैं, मगर अभी तक कोई भी डॉक्टर कोरोना के इलाज को आगे नहीं आया है। ऐसे में न तो संक्रमित मरीजों की समय

धर्मेन्द्र राघव


अलीगढ़।

शहर के डॉक्टर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कोविड प्रोटोकॉल को सबसे बड़ी बाधा बता रहे हैं। सीएमओ कार्यालय में 400 से ज्यादा हॉस्पिटल, नर्सिंग व क्लीनिक पंजीकृत हैं, मगर अभी तक कोई भी डॉक्टर कोरोना के इलाज को आगे नहीं आया है। ऐसे में न तो संक्रमित मरीजों की समय से जांच हो पा रही है, न इलाज मिल पा रहा है।

हैरत की बात ये है कि कुछ डॉक्टर संक्रमित मरीजों का इलाज भले ही न कर रहे हों, मगर जांच धड़ाधड़ करा रहे हैं। जबकि, इनमें से ज्यादातर की रिपोर्ट निगेटिव ही आती है। कोरोना के नाम पर कमाई के खेल में झोलाछाप भी कूद गए हैं। पता चला है कि ज्यादातर मरीजों के पर्चे पर डॉक्टर का जिक्र ही नहीं होता। ऐसा प्रोटोकॉल से बचने के लिए किया जाता है। फिलहाल अभी इस खेल पर किसी की नजर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग भी बेखबर है।


लगातार बढ़ रही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या


जिले में संक्रमण से हो रही मौत और केस का बढ़ते हुए ग्राफ पर शिकंजा कसने और कारण पता करने आए नगर विकास सचिव व नोडल अधिकारी की मौजूदगी में भी मरीजों की संख्या बढ़ती रही है। इनके आने से पहले जहां 9 मरीज प्रतिदिन मिल रहे थे वहीं इन सात दिनों में औसतन 12 मरीज प्रतिदिन मिले।

नगर विकास सचिव व नोडल अधिकारी अनुराग यादव 15 जून को जिले में पहुंचे।इसके बाद उन्होंने दो से तीन बार एल टू हॉस्पिटल,मेडिकल कॉलेज व दीनदयाल संयुक्त चिकित्सालय, सीएमओ दफ्तर,कंट्रोल रूम आदि का निरीक्षण किया।यहां घंटों बिताने के साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों से जानकारी ली।7 दिनों तक लगातार बैठकों का दौर चलता रहा।

मगर इसका कोई खास असर नहीं देखने को मिला।इससे संक्रमण और मौत दोनों में कोई कमी नहीं आई।जबकि संख्या बढ़ी ही है।आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक का एक दिन में सबसे ज्यादा 20 केस 18 जून को आए।वहीं 20 जून को एक साथ दो महिलाओं की मौत भी हुई।यही नहीं मृत्यु दर भी 2.98 से बढ़कर 3.57 पहुंच गई।

ऐसे में सचिव के आने पर भी कोई खास असर कोविड-19 पर नहीं पड़ा। सीएमओ कार्यालय में 400 से ज्यादा हॉस्पिटल नर्सिंग व क्लीनिक पंजीकृत हैं मगर अभी तक कोई भी डॉक्टर कोरोना के इलाज को आगे नहीं आया है।

जांच कराना कोई चाहे तो प्रक्रिया बेहद जटिल


कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। अनलॉक-1 में संक्रमित मरीज मिलने की जो रफ्तार है, उससे हर कोई चिंतित है। आंकड़ों पर नजर डालें तो ज्यादातर मरीज कांटेक्ट वाले ही पाए गए। इसकी वजह है कि स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भी ऐसे ही लोगों के सैंपल लेने भेजा जा रहा है, जिनके परिवार में पहले से कोई मरीज हो। इससे साफ है कि जिले में रैंडम सैंपलिंग तो हो ही नहीं रही। जबकि, आए दिन ऐसे मरीजों की भी रहस्यमयी मृत्यु हो रही है, जिनकी जांच नहीं हो पाई है। ऐसे कई लोगों की रिपोर्ट मृत्यु के बाद प्राप्त हुई।

इससे साफ है कि रैंडम सैंपलिंग बढ़ा दी जाए तो तस्वीर और भयावह हो सकती है। चिंता की बात ये है कि कोरोना का शक होने पर यदि कोई व्यक्ति खुद जांच कराना चाहे तो प्रक्रिया बेहद जटिल है। इससे तो कोरोना हारने से रहा।


कार्यालयों में थर्मल स्क्रीनिंग की सुविधा न होने से मिल रहे कर्मचारी संक्रमित


शासन की ओर से सरकारी व निजी अस्पतालों के साथ दूसरे संस्थानों व कार्यालयों में भी स्टाफ व अन्य लोगों को थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश देने के निर्देश दिए गए हैं। तमाम निजी अस्पतालों व कार्यालयों में यह व्यवस्था दिखाई भी दे रही है, मगर ज्यादातर सरकारी विभागों में यह देखने वाला कोई नहीं है कि कौन आ और कौन जा रहा है। जबकि वायरस रोडवेज, रेलवे, बैंक, विकास भवन, नगर निगम से लेकर डीएम आवास तक में घुस गया है।

ज्यादातर कार्यालयों में थर्मल स्क्रीनिंग की सुविधा न होने से यहां कर्मचारी संक्रमित निकल रहे हैैं। खुद सीएमओ कार्यालय में भी यह व्यवस्था नहीं है, जिसमें रोजाना कोविड ड्यूटी में लगे कर्मचारी भी आते-जाते रहते हैं। पिछले दिनों आशा, सफाईकर्मी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स समेत कई स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। सैंपलिंग टीम के लोग भी बेधड़क कार्यालय में घुस जाते हैं।

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