आरक्षण के रहते कानून का पालन संभव नहीं -सी. ए. अजय के. शर्मा
आरक्षण के रहते कानून का पालन संभव नहीं -सी. ए. अजय के. शर्मा
आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती पर याद आया की वह जाति-पाति, छुआ-छूत, को अपराध मानते थे। उनके द्वारा कहा गया तथ्यपरक वाक्य कि " अस्यपृश्यता ईश्वर और मानवता दोनों के प्रति अपराध है " मानव जीवन को गरिमामय एवं देश को प्रगति के चरम सीमा तक पहुँचाने के लिए पर्याप्त है । देश मे आज जगह-जगह उनकी जयंती मनाई जा रही है, विद्यालय हो, अस्पताल हो, सरकारी कार्यालय हो , हर जगह धूम धाम से जनता की गाड़ी कमाई को खर्च कर उत्सव हो रहे है।

नौकरियों मे भी यही हाल देखा गया है कि कम अंक पाकर आरक्षण के द्वारा अयोग्य कर्मचारियों को अधिकारी बना दिया जाता है इनको खुद ज्ञान नहीं वो जनता से कानून का पालन कराकर देश की प्रगति मे योगदान कैसे दे सकते है। आज देखा गया है कि आरक्षण वाले अधिकारी को रिश्वत देकर कोई भी काम कराया जा सकता है वो कानून को नहीं मानते उनकी शिकायत की जाए तो उनसे भी बड़ा अधिकारी भी आरक्षण नीती से शुसज्जित होता है। हसवस्वरूप वह उनके विरुद्ध कोई दंडनीय निर्णय के विपरीत उनकी पीठ थपथपाते है क्योंकि रिश्वत का कुछ हिस्सा उन तक भी पहुंच जाता है।
राजस्व कानून की बात करे तो सरकार ने वास्तु एवं सेवा कर ,आय कर अधिनियम लाकर जनता एवं देश दोनों के हित मे प्रशंसनीय निणर्य लिया है लेकिन अधिकारियों को कानून का ज्ञान नहीं होता क्योंकि वह आरक्षण नीति के तहत आए होते है कानून का पालन न खुद करते है ना जनता को करने देते है।

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