आरक्षण के रहते कानून का पालन संभव नहीं -सी. ए. अजय के. शर्मा

आरक्षण के रहते कानून का पालन संभव नहीं -सी. ए. अजय के. शर्मा

आरक्षण के रहते कानून का पालन संभव नहीं -सी. ए. अजय के. शर्मा


सी. ए. अजय के. शर्मा   
नई दिल्ली

 आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती पर याद आया की वह जाति-पाति, छुआ-छूत, को अपराध मानते थे।  उनके द्वारा कहा गया तथ्यपरक वाक्य कि " अस्यपृश्यता ईश्वर और मानवता दोनों के प्रति अपराध है " मानव जीवन को  गरिमामय एवं  देश को प्रगति के चरम सीमा तक पहुँचाने के लिए पर्याप्त है ।  देश मे आज जगह-जगह उनकी जयंती मनाई जा रही है, विद्यालय  हो, अस्पताल  हो, सरकारी कार्यालय  हो , हर जगह धूम धाम से जनता की गाड़ी कमाई को खर्च  कर उत्सव हो रहे है।

सरकारी अवकाश , भीपूर्व घोषित है मगर मेरी दृष्टि मे  इन सब दिखावे से गाँधी जी की आत्मा को शांति नहीं मिल रही होगी।  आज अध्ययन  मे निजी एवं सरकारी नौकरी मे एवं अन्य सभी जगह आरक्षण अनिवार्य कर दिया गया है जो देश की प्रगति मे बाधक ही नहीं बल्कि मानव शंसाधन को भी हताशा  और निराशा की तरफ धकेलने को तैयार है।   विद्यालयों मे प्रवेश क्र लिए आरक्षण नीती ठीक नहीं बल्कि यह विध्यार्ती की योग्यता , लगन , साहस , पर आधारित हो।  एक तरफ चालीस प्रतिशत अंक  लाने वाले विद्यार्थी को उत्तीण कर दिया जाता है दूसरी तरफ सत्तर प्रतिशत अंक लाने वाले  विद्यार्थी को असफल घोषित कर उसके अरमानो को कुचलने की कोशिस की जाती है।

सरकारी अवकाश , भीपूर्व घोषित है मगर मेरी दृष्टि मे  इन सब दिखावे से गाँधी जी की आत्मा को शांति नहीं मिल रही होगी।

 नौकरियों मे भी यही हाल देखा गया है कि  कम  अंक पाकर  आरक्षण के द्वारा अयोग्य कर्मचारियों को अधिकारी बना दिया जाता है इनको खुद ज्ञान नहीं वो जनता से कानून का पालन कराकर देश की प्रगति मे योगदान कैसे दे सकते है।  आज देखा गया है कि आरक्षण वाले अधिकारी को रिश्वत देकर कोई भी काम कराया जा सकता है वो कानून को नहीं मानते उनकी शिकायत की जाए तो उनसे भी बड़ा अधिकारी भी आरक्षण नीती से शुसज्जित होता है।  हसवस्वरूप वह उनके विरुद्ध कोई दंडनीय निर्णय के विपरीत उनकी पीठ थपथपाते है क्योंकि रिश्वत का कुछ हिस्सा उन तक भी पहुंच जाता है।

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 राजस्व कानून की बात करे तो सरकार ने वास्तु  एवं सेवा कर ,आय कर अधिनियम लाकर जनता एवं देश दोनों के हित मे प्रशंसनीय निणर्य लिया है लेकिन अधिकारियों को कानून का ज्ञान नहीं होता क्योंकि वह आरक्षण नीति के तहत आए होते है कानून का पालन न खुद करते है ना जनता को करने देते है।

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सरकार से आग्रह है कि कानून यथावत रहे , समय-समय पर समस्त विश्व के घटनाक्रम के अनुसार उनमे संशोधन किया जाए जनता को दो वर्गों विभाजित कर दिया जाए गरीब एवं अमीर चाहे वो किसी भी जाति, धर्म , एवं संप्रदाय से सम्बंधित  हो  गरीबो को निशुल्क सुविधाएं दी जाए जिस से किसी को परेशानी न हो।  अमीरो से उनके आये के आधार पर उचित शुल्क लिया जाए।  आरक्षण नीति जब तक रहेगी देश धरातर पर चला जायेगा और किसी भी क्षेत्र मे कामियाबी हासिल नहीं कर पायेग।  यही बापू को सही श्रद्धांजलि होगी।

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