बंडा -शाहजहापुर।
नगर पंचायत बंडा में तकरीबन 28 तालाब कागजों में दर्ज हैं। परंतु अधिकांश तालाबों पर पक्के मकान बना लिये गये है। शेष बचे तालाबों का दायरा अतिक्रमण के चलते सिमटता जा रहा है। केंद्र सरकार तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए ' अमृत सरोवर योजना' चला रही है।
तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए और सौंदर्यीकरण करने के लिए भले लाखों रूपए का खर्च कर रही हैं। लेकिन हकीकत में अभी भी तालाब दुर्दशाओं का शिकार है । नगर से गांव देहात तक के तालाबों का लगातार सूख रहे हैं। जल का स्रोत माने जाने वाले तालाब आज बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। नगर के अधिकांश तालाबों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। इक्का दुक्का बचे तालाब भी अतिक्रमण की गिरफ्त में समाते जा रहे हैं।
लेकिन प्रशासन की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। तालाबों के अस्तित्व बचाने के लिए प्रशासन की तरफ से तमाम योजनाएं तो बनती हैं । परन्तु मूर्त रूप नहीं ले पाती है। कागज़ों पर शुरू हो कर कागजों में सिमट जाती है। नगर पंचायत बंडा में तकरीबन 28 तालाब कागजों में दर्ज हैं। परंतु अधिकांश तालाबों पर पक्के मकान बना लिये गये है। शेष बचे तालाबों का दायरा अतिक्रमण के चलते सिमटता जा रहा है।
केंद्र सरकार तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए ' अमृत सरोवर योजना' चला रही है। जिसके तहत जिले में तकरीबन 78 तालाबों का कायाकल्प होना है। लेकिन नगर पंचायत बंडा में तालाबों को अस्तित्व विलुप्ति की कगार पर पहुंच गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी तालाब भीषण गर्मी में सूखे पड़े हैं। तालाब में पानी न होने से पशु पक्षियों भी प्यास बुझाने के बिलबिलाते है। भूमाफियाओं ने तालाबों को पाटकर आलीशान कोठियों का निर्माण कर लिया है। जल संरक्षण के स्त्रोतों को लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है।