गजब! तहसीलदार ने पलट दिया हाईकोर्ट का आदेश।

गजब! तहसीलदार ने पलट दिया हाईकोर्ट का आदेश।

सेटिंग और गेटिंग के चक्कर में तहसीलदार भूल गए हाईकोर्ट और जिलाधिकारी का आदेश


 

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स्वतंत्र प्रभात-

सुल्तानपुर/कादीपुर-

आजादी के बाद ये शायद पहला मामला  है जिसमें तहसीलदार और नायब तहसीलदार की जोड़ी ने अपने जिले के डीएम और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर नियमों को ताक पर रखकर किसी मामले में एकपक्षीय कार्यवाही की है।हम बात कर रहे है सुल्तानपुर जिले की कादीपुर तहसील की जहाँ पर चंद पैसों के लालच में तहसीलदार और नायब तहसीलदार ने दबंग और अपराधिक इतिहास वाले श्रीपति मिश्रा के पक्ष में दाखिल खारिज का आदेश पारित कर दिया

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जबकि उक्त जमीन पर हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा यथास्थित बनाये रखने का आदेश 05-11-2014 को दिया गया था।उक्त जमीन का फर्जी बैनामा मारपीट ,झूठ बोलकर और गुमराह करके  अपने 80 वर्ष के वृद्ध चाचा राम यज्ञ मिश्रा से कराये जाने के जुर्म में श्रीपति मिश्र के ऊपर धारा 419,420,467,468,470,471 आदि सुसंगत धाराओं में साल 2010 में कादीपुर कोतवाली में अभियोग पंजीकृत है।इसके अलावा जान से मारने की कोशिस में  धारा 307 आदि संगीन धाराओं  में भी कादीपुर कोतवाली में अभियोग पंजीकृत है।

 

पूरा मामला ये है- 

 तहसील कादीपुर के अन्तर्गत आने वाले गाँव मुजहना में 2010 में  श्रीपति मिश्रा  अपने समधी सिद्धू शुक्ला और अपने दामाद सीटू शुक्ला की मदद से अपने चाचा की जमीन को फर्जी तरीके से बैनामा करा लिया। जब इसकी जानकारी किसी और के माध्यम से  राम यज्ञ मिश्रा को हुई तो उन्होने अपनी इकलौती बेटी ब्रहमावती और पुत्र राम आसरे मिश्रा (जो अमेरिका में इंजीनियर है) को इसके बारे में बताया । और यह भी बताया कि श्रीपति मुझे एक हफ्ते से बंधक बनाकर मारपीट किये फिर लोन निकलवाने के बहाने उनसे कुछ कागज पर अंगूठा भी लगवा लिए है। 

 

 

जब पूरे मामले की जानकारी ली गयी तो श्रीपति मिश्रा और उनके रिश्तेदार की करतूत का पर्दा फास हुआ। चूंकि फ्राड का केस था मुकदमें भी दर्ज हुए और सिविल कोर्ट में केश भी किया गया जिससे श्रीपति मिश्रा जेल भी गये जब करीब 6 महीने बाद जेल से छूटकर आये तो  साम, दाम, दंड, भेद सब लगाये कि उनका फर्जी बैनाम दाखिल खारिज हो जाये लेकिन माननीय हाईकोर्ट का आदेश यथा स्थित बनाये रखने की थी इस लिए श्रीपति मिश्रा सफल नहीं हो पाये। 

 

तहसीलदार ने पलट दिया हाईकोर्ट का आदेश

लेकिन वर्तमान तहसीलदार और नायब तहसील दार ने हाईकोर्ट और जिलाधिकारी के आदेश को किनारे करके श्रीपति मिश्रा और उनके समधी सिद्धूू शुक्ला से सांठगांठ  करके 12 साल से लंबित पड़े जमीन को  दाखिल खारिज का आदेश श्रीपति के पक्ष में कर दिया।

 

जिसकी शिकायत ब्रहमा वती द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , जिलाधिकारी सुल्ततानपुर तथा  एसडीएम कादीपुर आदि से न्याय की अपील की है।वहीं सूत्रो द्वारा जानकारी मिली है कि श्रीपति मिश्रा द्वारा अपने समधी सिद्धू शुक्ला की सहायता से तहसीलदार और नायब तहसीलदार को मोटी रकम दी गयी । जिसकी पुष्टि भी श्रीपति मिश्रा के एक आडियो के माध्यम से भी हुई है।

इस मामले में हमारे संवाददाता ने कादीपुर के तहसीलदार से कल बात करने की कोशिश की जिससे उनका पक्ष भी लिखा जा सके लेकिन तहसीलदार ने मामले से अनभिज्ञता जताई और अगले दिन मामले पर जानकारी देने को बोले। जब आज तहसीलदार के मोबाईल पर फोन किया गया तो पूरा दिन उनका फोन नेटवर्क की पहुंच से बाहर था।

सवाल जो तहसील प्रशासन कादीपुर पर उठ रहे है-

1-दाखिल खारिज करने की कोशिस श्रीपति मिश्रा द्वारा 2017 में भी किया गया था जिसको तहसीलदार कादीपुर ने हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर खारिज कर दिया था फिर 2022 में दाखिल खारिज का आदेश नये तहसीलदार ने  कैसे किया?

2-तहसीलदार मीडिया से बातचीत करने से क्यों बच रहे है?

3-ब्रहमा वती द्वारा केस को कादीपुर से ट्रांसफर करने की अर्जी दी गयी थी फिर फिर ट्रांसफर होने के पहले ही तहसीलदार को आदेश करने की इतनी हड़बड़ी क्यों थी?

4- हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट से कोई आदेश या फैसला नहीं आया है वहाँ श्रीपति मिश्रा भाग रहे है। तहसील कादीपुर  को ही  दाखिल खारिज के आदेश की इतनी जल्दबाजी क्यों जबकि मामला 12 वर्षो से लंबित था?

सवाल कई है लेकिन कादीपुर तहसील प्रशासन के पास जवाब कोई नहीं है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने सिपहसलारो के साथ-साथ राजस्व से जुड़े इन अधिकारियों पर भी नजर रखना होगा। राजस्व विभाग के ऊपर किसान ,पंचायत विभाग आदि की बड़ी जिम्मेदारी होती है और भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ अन्नदाता से अन्याय करना ठीक नही है।

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