मनरेगा में भृष्टाचार का छौंक, स्वीकृति मिली नहीं फिर भी डाली जा रही इंटरलॉक

मनरेगा में भृष्टाचार का छौंक, स्वीकृति मिली नहीं फिर भी डाली जा रही इंटरलॉक

मनरेगा में भृष्टाचार का छौंक, स्वीकृति मिली नहीं फिर भी डाली जा रही इंटरलॉक


माधौगढ़- 

देश के प्रधानमंत्री लगातार मनरेगा की वाहवाही करते नहीं थकते। वहीं उत्तर प्रदेश में मनरेगा के कार्यों में जबरदस्त भ्रष्टाचार का उछाल आ रहा है। ग्राम पंचायतों द्वारा मनरेगा के कार्यों में जमकर धांधली की जा रही है। मानको का कतई ध्यान नहीं रखा जा रहा और खानापूर्ति के लिए मनरेगा के तहत कार्य कराए जा रहे हैं। अधिकारी शिकायतों पर चुप्पी साध लेते हैं।

विकास खण्ड माधौगढ़ के अंतर्गत  असहना गांव में मनरेगा के तहत बिना स्वीकृति के ही इंटरलॉकिंग का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जिसमें मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। स्टीमेट के अनुसार दरेसी के बाद गिट्टी डाली जाती है,उसके बाद मिक्सचर मशीन से बालू,सीमेंट और गिट्टी मिश्रण का कोट डाला जाता है,उसके बाद इंटरलॉकिंग बिछाई जाती है

 लेकिन यहां तो स्टीमेट के बिना ही लाखों रुपया कीमत की इंटरलॉकिंग बिछा दी जा रही है। मौके पर प्रधान पति बलवीर न स्टीमेट दिखा पाए न ही मस्टररोल। ऐसे में जांच तो बनती है। वैसे तो असहना छोड़िए पूरे ब्लॉक के किसी भी गांव में इंटरलॉकिंग के नीचे डस्ट के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। करोड़ो के घोटाले में डूबे ब्लॉक में अगर ठीक से जांच हो जाये

 तो सभी जिम्मेदारों पर रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी। पर मनरेगा कानून का मज़ाक बनाकर सबसे ज़्यादा भृष्टाचार इसी में हो रहा है। 40 प्रतिशत तक कमीशन खोरी के कारण आधे से ज्यादा कागजों में और औपचारिकता में काम हो रहे हैं। असहना में मानक विहीन कार्य के बारे में टीए से बात की गई तो उनका कहना था कि एमबी में भुगतान कम किया जाएगा,खंड विकास अधिकारी दीपक कुमार ने कहा दिखवाते हैं।
 

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