बस्ती ।
बस्ती जिले में पुलिस कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं सवाल जिले के सोनहा थाने के इंसपेक्टर का बयान पुलिस की छबि खराब कर रहा है। शनिवार की रात 8.00 बजे पत्रकार धर्मेन्द्र कुमार भट्ट ने उन्हे फोन पर जानकारी दी कि थाना क्षेत्र के नवगढ़वा गांव में अनिल कनौजियां के घर पर गांव के दबंग चढ़कर गाली और धमकियां दे रहे हैं। घर की महिलायें 112 पर काल कीं लेकिन नम्बर नही मिला, तो विवश होकर उन्हे फोन करना पड़ा। अगर आप दबंग हैं धनबल से सबल हैं तभी हो पुलिस जिले के कुछ ऐसे थाने हैं जैसे हरैया छावनी परशुरामपुर में था कलवारी यह लोग पीड़ितों को लाख अपने कर देते दबंगों को खुलेआम घूमने की छूट देते हैं पीड़ित का मुकदमा भी नहीं दर्ज किया जाता है ऐसी कहानियां बस्ती जिले की पुलिस पुलिस कीआपकी कार्रवाई कर सकती है अन्यथा पुलिस पीड़ित को ही मुकदमे में फंसा कर उंझा देती है
दरोगा जी ने समस्या को न सुना और न समझा। उल्टे पत्रकार को नसीहत देने लगे। फोन पर कुछ काम नही होता मिलना पड़ता है, सामने बैठकर बातचीत होती है। रात के 8.00 बजे रहे थे लेकिन उन्होने कहा मै रात के 10 बजे क्या मदद कर सकता हूं। इतना ही नही पत्रकार पर धौंस जमाते हुये दरोगा ने कहा कि 10 से 5.00 बजे के बीच बात किया करो, और सूचना गलत हुई तो तुमको जेल भेजूंगा। अनिल कनौजिया को पुलिस थाने पर उठा ले गयी थी।
दबंगों से परेशान परिजनों ने पत्रकार से फोन करके मदद मांग था। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे लोग पुलिस की छबि कितनी सुधार सकते हैं और जनता को कितनी सुरक्षा दे सकते हैं। जिले के पुलिस कप्तान चाहे जितनी कोशिशें कर लें लेकिन महकमे के ऐसे ही गिने चुने इंसपेक्टर महकमे की छबि सुधारने में बाधा बन रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस और पब्लिक के बीच जो समन्वय होना चाहिये नही बन पाया। नतीजा ये है कि न अपराध कम हुये और न अपराधी।