बरसात ना होने से खेतों में पड़ी दरारें , किसानों की धान की खेती हो रही बर्बाद
बरसात ना होने से खेतों में पड़ी दरारें , किसानों की धान की खेती हो रही बर्बाद
स्वतंत्र प्रभात-
मिल्कीपुर अयोध्या
सावन का महीना शुरू होने वाला है बारिश का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं। सूखे जैसे इस हालात से किसान काफी चितित हैं। जिन खेतों में किसानों ने जैसे-तैसे पानी भरकर धान की रोपाई की थी, उसमें दरारें पड़ गई हैं। इससे पौधों के सूखकर नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं, पानी के अभाव में हजारों हेक्टेयर खेत खाली पड़े हैं, उनमें रोपाई नहीं हो पा रही है।
मिल्कीपुर तहसील के दर्जनों गांवों में बारिश न होने के कारण सूखे जैसा आलम है, इससे धान की रोपाई प्रभावित हो रही है।
खण्डासा के किसान दलबहादुर पाण्डेय का कहना है कि अगर जल्द बारिश न हुई तो रोपे गए धान के पौधे सूखने लगेंगे। कुछ किसानों ने पौधों को सूखने से बचाने के इंजन से सिचाई भी शुरू कर दी है, लेकिन तेल के दाम आसमान पर होने से खेती की लागत काफी बढ़ जा रही है। ऐसे में कई किसान इंजन से सिचाई करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
किसान बलराम तिवारी ने बताया कि जून में तो नाम मात्र की बरसात हुई थी। उस कुछ वक्त तो किसानों ने धान की रोपाई करा दी थी लेकिन अब सिंचाई नहीं हो पा रही है। जुलाई माह में 10 दिन बीत जाने के बाद भी बरसात नहीं हुई जब खेतों में पानी की सख्त जरूरत है, तब सूखे जैसे हालात हैं।
समय से विद्युत लाइन ना आने से सरकारी नलकूप भी नहीं चल रहे हैं जिससे किसानों की चिता दोगुनी हो गई है प्रशासन की लापरवाही की तरफ इशारा करते हुए वह कहते हैं सरकार किसानों की आय तो दोगुनी करने की बात करती है लेकिन समय से विद्युत लाइन ना मिलने से खेती किसानी चौपट होती जा रही है ऐसे में किसानों की आय कैसे दोगुनी होगी।
बसापुर के किसान बेद चौरसिया का कहना है कि बिजली विभाग की बदमाशी के कारण किसानों की कमर टूट गई है। किसानों ने बताया कि किसान अपने निजी नलकूप से अपने फसल की सिंचाई करने के साथ-साथ अन्य किसानों की फसल की सिंचाई कर देते थे लेकिन जब दूध सप्लाई कि नहीं मिलेगी तो किसान फसल की सिंचाई कहां से कर पाएगा।
शासन-प्रशासन/विद्युत विभाग यदि जल्द इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो किसानों की रोपीगई धान फसल सूख जाएगी। इस हालात से बचने के लिए किसानों ने सरकार से डीजल के दाम घटाने और सिचाई के लिए मुफ्त बिजली देने की मांग की है।
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