कृषि विश्वविद्यालय ने जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री का किया सजीव प्रसारण

कृषि विश्वविद्यालय ने जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री का किया सजीव प्रसारण

कुलपति ने किसानों बताया कि विश्वविद्यालय सस्य विज्ञान विभाग के 6 एकड़ में जैविक खेती का कार्य किया गया है।



 निज संवाददाता
  कुमारगंज अयोध्या

 आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के प्रसार निदेशालय द्वारा किसानों के लिए सजीव प्रसारण किया गया।

 जिसमें राजस्थान के शीकर जनपद से भ्रूमण पर आये हुए 68 प्रगति शील कृषकों एवं जनपद अयोध्या के धमथुआ, अकमा, बहादुरगंज, चैधरीपुर एवं सरूरपुर इत्यादि गाॅवों के किसानों को मिलाकर 286 कृषक, महिला कृषक, छात्र-छात्राओ, बैज्ञानिक व अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

 उक्त सजीव प्रसार कार्यक्रम प्राकृतिक संशाधनों का उपयोग कर अपनी आय बढ़ाने एवं प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर तकनीकी के बारे में माननीय कुलपति डा0 बिजेन्द्र सिंह ने विस्तृत जानकारी प्रदान की। गोबर,  बेसन, गुड़, गौमूत्र एवं वृक्ष के नीचे की मिट्टी का प्रयोग करते हुए जीवामृत एवं बीजामृत को बनाकर प्रयोग करते हुए खेतों की जलधारण क्षमता व भूमि में जीवाणुओं की संख्या को बढ़ाकर हम अधिक गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इसका प्रयोग करने से कीड़ों व बीमारियों का फसलों पर प्रकोप कम होता है। कुलपति ने इस कार्यक्रम फलीभूत करने के लिए प्रसार निदेशालय में आने वाले प्रत्येक कृषक कों एक बोतल जीवामृत निःशुल्क प्रदान करने के लिए निर्देशित किया। जिसका प्रयोग कृषक अपने खेतो में प्रयोग करके जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ाये।

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कुलपति ने किसानों बताया कि विश्वविद्यालय सस्य विज्ञान विभाग के 6 एकड़ में जैविक खेती का कार्य किया गया है।

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कुलपति ने किसानों बताया कि विश्वविद्यालय सस्य विज्ञान विभाग के 6 एकड़ में जैविक खेती का कार्य किया गया है। जिसमें राजस्थान के राज्वपाल श्रीयुत देवव्रत जी द्वारा बतायी गयी विधियों का प्रयोग किया गया है। जैविक उक्त असवर प्रो0 ए0पी0 राव, निदेशक प्रसार ने बताया कि विश्वविद्यालय की स्थापना के मूल उद्देश्य शिक्षा, शोध व प्रसार के अंतर्गत कृषकों तक नवीनतम शोध तकनीकों को प्रसारित करने, स्थानीय कृषि संबंधी समस्याओं को एकत्र कर उनके वैज्ञानिक समाधान के लिये शोध के क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रसार निदेशालय मुख्य रूप से कार्य करता है। प्रो0 राव ने कुलपति को आस्वस्थ किया कि निदेशालय की तरह ही विश्वविद्यालय के अधीन संचालित 25 कृषि विज्ञान केन्दों पर भी कृषकों को जीवामृत व बीजामृत उपलब्ध करायेगा।

 विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित 25 कृषि विज्ञान केन्द्रांे पर भी उक्त कार्यक्रम का सजीव प्रसारण कर हजारों कृषकों को जानकारी प्रदान करायी गयी। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी, डा0 अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि दीर्घायु व बीमारियों से मुक्त रहने के लिए जैविक एवं प्राकृतिक करना आवश्यक है क्योंकि इससे जो भी गुणवत्ता उत्पाद प्राप्त होते हैं वो हमारे दीर्घायु व निरोग जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी है।

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