आलू के अगेती झुलसा के रोकथाम के लिए किसानों का इंतजार हुआ खत्म

आलू के अगेती झुलसा के रोकथाम के लिए किसानों का इंतजार हुआ खत्म

रासायनिक दवाओ के अपेक्षा बहुत कम आयेगा जिससे किसानों के आय में भी बढ़ोतरी होगी


स्वतंत्र प्रभात 
 

मिल्कीपुर अयोध्या -आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के शोध छात्र आशुतोष तिवारी ने सहायक प्राध्यापक डा आदेश कुमार के निर्देशन में अगेती झुलसा के लिए जैविक रोक थाम ढूंढ निकाला जिससे किसानों को कम खर्चे में ही इस रोग से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते है की अगेती झुलसा क्या होता है ,आलू के बुआई के बाद लगभग 5से 6 सप्ताह बाद इसके लक्षण पत्तियों पर भूरे धब्बे के रूप में दिखाई देने लगती है ओर फिर तेजी से पूरी पत्ती भूरी हो जाती है जिससे आलू की फसल को भारी नुकसान होता है ।

अशुतोष तिवारी ने अगेती झुलसा के लिए बैसिलस सीरियस नामक जीवाणु कल्चर से प्रयोगशाला में प्रयोग किया तथा यह पाया कि यह जीवाणु कल्चर अगेती झुलसा को रोकने में काफी मददगार है इसके प्रयोग द्वारा जैविक खेती कर रहे किसानों को अगेती झुलसा के लिए रासायनिक दवाओ का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा । यह जीवाणु कल्चर 99% प्रभावशाली है और इसका खर्च भी रासायनिक दवाओ के अपेक्षा बहुत कम आयेगा जिससे किसानों के आय में भी बढ़ोतरी होगी।

इस कल्चर से निर्मित खाद का प्रयोग छिड़काव के रूप में होगा । लगातार दो वर्षो से इस पर परीक्षण जारी था उसके बाद इसे हरी झंडी मिली । यह कल्चर अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव कल्चर संग्रह मऊनाथ भंजन में संरक्षित करवा दिया गया है। आशुतोष तिवारी ने बताया की इस शोध कार्य को करने में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डा आदेश कुमार एवम विश्व विद्यालय के कुलपति महोदय के कुशल मार्गदर्शन में संपन्न हुआ ।

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