बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के ऐंगलर बाजार और बढ़तल में लोग तीन न्यायसंगत मांगों के लिए अभूतपूर्व लोकतांत्रिक आंदोलन में सफल मतदान का किया बहिष्कार

साल 1999 में असम के बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के ऐंगलर बाजार और बढ़तल में लोग तीन न्यायसंगत मांगों के लिए अभूतपूर्व लोकतांत्रिक आंदोलन में सफल मतदान बहिष्कार किया! लेकिन आज भी न्यायसंगत मांग पूरी नहीं हुई, यह क्रोध छदीओल विज़न एन.जी.ओ. द्वारा जताया गया।

बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के ऐंगलर बाजार और बढ़तल में लोग तीन न्यायसंगत मांगों के लिए अभूतपूर्व लोकतांत्रिक आंदोलन में सफल मतदान का किया बहिष्कार

विधायक पंचायत प्रतिनिधि सिर्फ विकास के लिए वोट मांगते रहे लेकिन लोगों के हित में विकास आज भी नहीं हुआ।

श्रीभूमि संवाददाता स्वतंत्र प्रभात : सचिन्द्र शर्मा 

विगत 1999 के लोकसभा चुनाव में असम के बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के ऐंगलर बाजार और बढ़तल क्षेत्र में एक अभूतपूर्व लोकतांत्रिक आंदोलन के माध्यम से इतिहास रचा गया था। उस समय क्षेत्रवासियों ने एकजुट होकर कुल 6 मतदान केंद्रों में मतदान का बहिष्कार किया था, तीन मौलिक जनहित संबंधी मांगों को पूरा करने की मांग के साथ।उनकी मांगें थीं:1/ बदरपुर विधानसभा क्षेत्र की प्रत्येक सड़क का पक्का निर्माण,2/ प्रत्येक गांव में बिजली सुविधा,3/ स्वच्छ पानी और जल आपूर्ति की व्यवस्था।

इस आंदोलन का नेतृत्व बदरपुर एन.सी. कॉलेज के तत्कालीन छात्र रियाज़ुर रहमान परवीन छदीओल और हरिनादिक गांव के दिवंगत सिद्दिक अली ने किया था। क्षेत्रवासियों के अनुसार, उनके नेतृत्व और तत्कालीन युवा समाज की सक्रिय भागीदारी के कारण लोग मतदान की बजाय लोकतांत्रिक विरोध का मार्ग चुनने को मजबूर हुए। उस समय बदरपुर विधायक थे अबु साहेल नज़मुद्दीन। मतदान बहिष्कार के एक सप्ताह बाद करीमगंज के तत्कालीन जिला उपायुक्त के आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में रियाज़ुर रहमान परवीन छदीओल उपस्थित थे। बैठक में रियाजुर रहमान परवीन छदियोल, बदरपुर टाउन कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सय्यद कमर उद्दीन, प्रभात बरुआ, सय्यद साहाब उद्दीन और मस्ताक अहमद सहित कई गण्यमान्य लोग उपस्थित थे। उस बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि जनता की तीन मांगों को असम सरकार के सहयोग से चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

लेकिन वास्तविकता कुछ और ही थी; लंबी 26 साल की अवधि बीत जाने के बाद भी इन मांगों का पूरा क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ। बदरपुर क्षेत्र के कई गांव अब भी शुद्ध पानी और जल संकट से जूझ रहे हैं। राजनीतिक इतिहास के अनुसार, 2001 में जमाल उद्दीन अहमद, 2006 में अनवरुल हक, 2011 और 2016 में फिर से जमाल उद्दीन अहमद, और 2021 में अब्दुल अजीज बदरपुर के विधायक के रूप में चुने गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन नेताओं में केवल जमाल उद्दीन अहमद ने विकास में क्रांतिकारी भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में बदरपुर की लगभग 95% सड़कें पक्की की गईं, 90% क्षेत्रों में बिजली का कनेक्शन दिया गया, और 60% क्षेत्रों में शुद्ध पानी की व्यवस्था की गई। हालांकि अन्य विधायकों के कार्यकाल में ऐसा कोई वास्तविक विकास आम जनता को दिखाई नहीं दिया, ऐसा ही लोगों का आरोप है। 1991 और 1996 में विधायक रहते हुए अब1996 में विधायक रहते हुए, अभु सालेह नज़्मुद्दीन ने राज्य के मंत्री के रूप में पहले चार वर्षों में कई बेरोज़गार युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान किए,

लेकिन विपक्षी दल में रहते समय विकास रुक गया। गत ३१ (अक्टूबर) शुक्रवार को छदियोल विज़न एनजीओ की संपादिका नाज़मा छदियोल और सह-संपादक मस्तक अहमद एवं समाजसेवी फैजुर रहमान ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “1999 में जनता की न्यायसंगत मांगों की कोई कदर नहीं की गई, पूर्व विधायक अनवारुल हक और वर्तमान विधायक अब्दुल अजिज द्वारा। बदरपुर आज विकास की राह में पीछे रह गया है। वर्तमान विधायक अब्दुल अजिज के कारण हमने बदरपुर संवद्ध क्षेत्र को खो दिया है, जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।

उन्होंने असम सरकार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा से अपील की 1999 के ऐतिहासिक मतदान बहिष्कार की तीन न्यायसंगत मांगों को जल्दी से लागू करने के उपाय करें।” 26 साल बाद भी बदरपुर में 1999 के वोट बहिष्कार की अधूरी तीन मांगों का गुस्सा आज भी जागृत है, उत्साही संगठन और क्षेत्रवासी अपना गुस्सा दिखाकर पत्रकार सम्मेलन में अपनी राय व्यक्त की और सरकार का ध्यान इसे लागू करने की ओर आकर्षित किया।

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