खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान 

सरकारी जमीन परधड़ल्ले से चल रहा है अवैध मेडिकल दुकान

खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान 

 स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर उठ रहे हैं  सवाल

पटना, बिहार - लगता है स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ झाला कोई नई बात नहीं है।लगता है यहां लाइसेंस नियम कानून से नहीं बल्कि रूपचंद की खनक से चलता है। ताजा मामला अनुमंडलीय अस्पताल के मुख्य गेट के ठीक सामने सालो  से संचालित एक मेडिकल स्टोर  मां कमला मेडिकल (संचालक – सर्वेश कुमार)  का है जो इन दिनों न सिर्फ विवादों के घेरे में हैबल्कि चर्चा का विषय बना हुआ है।व जिले के स्वास्थ्य विभाग के मनमाने कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। बताया जा रहा है कि यह मेडिकल स्टोर  एनएच 327ई की सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बिना रोकटोक धड़ल्ले से चल रहा है। सबसे ज्यादा  हैरानी की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) विभाग की जानकारी मेंसबकुछ  होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
 
जबकि वार बार दुकानदार पर दबंगई व मरीजों को बहलाकर दुकान तक लाने का संगीन  आरोप लगता रहा है।आरोप है कि  दुकान संचालक और उसके गुर्गे  अस्पताल के भीतर जाकर  मरीजों और उनके परिजनों को बहलाकर दुकान तक लाते हैं। कई बार मरीजों को यह समझाया जाता है कि अस्पताल में उपलब्ध दवा नहीं मिलेगी और उन्हें इसी दुकान से खरीदनी होगी। बेचारे मरीज के परिजन  मजबूर होकर बाजार मूल्य से कहीं अधिक दाम परनन ब्रांडेड कम्पनी की  दवाइयाँ  खरीदने को विवश हो जाते हैं।
 
विभागों की कार्यप्रणाली पर उठे रहे यक्ष सवाल
जिले के स्वास्थ्य विभागों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
1. औषधि निरीक्षक विभाग ने आखिर एनएच की जमीन पर  दुकान को लाइसेंस कैसे जारी कर दिया?
2  एनएच विभाग को यह क्यो पता नहीं लगा  कि सरकारी   जमीन पर अवैध दुकान कैसे  चल  रही है?
3. लंबे समय से चल रहे कारोवार का  खरीद-बिक्री का हिसाब-किताब कहां दर्ज है?
4 .सिविल सर्जन और अस्पताल प्रबंधनआखिर मोन क्यो है ?
 
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह दुकान वर्षों से अस्पताल के मरीजों को ठगने का अड्डा बनी हुई है। संबंधित विभाग निष्पक्ष जांच करें तो करोड़ों रुपए के हेरफेर का मामला सामने आ सकता है।वहीं कई लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के  अधिकारियों की  मिलीभगत के बिना यह गोरखधंधा  इतने लंबे समय तक चलना  संभव ही नहीं है।
 
प्रशासन की चुप्पी से  गहरा रहा है शक
लोगों का यह भी मानना है कि विभागीय  अधिकारी   जानबूझकर कार्रवाई टाल रहे  है। अस्पताल के ठीक सामने एनएच की जमीन पर दुकान चलना किसी से छिपा नहीं है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब तक आंख मूंदे बैठे हैं। यह चुप्पी भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर सपष्ट  इशारा कर रही  है।
 
कार्रवाई की मांग तेज
मामला प्रकाश में आने के बाद   अब क्षेत्र में प्रशासनिक सक्रियता की मांग उठने लगी है।आम लोगों का कहना है कि औषधि निरीक्षक दुकान की वैधता के गोरखधंधा की  जांच कर कार्यबाही करेऔर एनएच  अपनी जमीन सेतुरंत  अवैध कब्जा हटाए।स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ऐसे मामलों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।अब देखना यह है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कब तक खामोश रहते हैं और कब इस पर सख्त कार्रवाई करते हैं? मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर ललन ठाकुर ने कहा कि ड्रग इंस्पेक्टर को जांच के लिए कहा गया है जांचों उपरांत कार्रवाई की जाएगी।

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