ओबरा में शिव शक्ति अर्धनारीश्वर मानव कल्याण महायज्ञ का पाँचवाँ दिन, महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने दिया सनातन धर्म का ज्ञान
महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण और सनातन धर्म की प्राचीन परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है।
ओबरा में धार्मिक आयोजन, लोगों ने लिया बढ़ चढ़कर भाग
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र जिले के ओबरा स्थित राम मंदिर में चल रहे शिव शक्ति अर्धनारीश्वर मानव कल्याण महायज्ञ का पाँचवाँ दिन 1 अगस्त, 2025 को भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। यह महायज्ञ 29 जुलाई से 4 अगस्त तक चलेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण और सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करना है। इस पूरे आयोजन की संयोजक पूनम दीदी हैं।

महायज्ञ में प्रतिदिन की तरह आज भी शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस कथा में विश्व की द्वितीय किन्नर भागवताचार्य महामंडलेश्वर श्री हेमलता सखी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्शों और उनकी मर्यादाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह कथा विशेष रूप से आगामी कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव तक जारी रहेगी, जिसमें भगवान कृष्ण की लीलाओं पर भी चर्चा होगी।

सखी जी ने अपने गुरु को याद करते हुए कहा कि उनकी आज्ञा पर ही उन्होंने धर्म के प्रचार का मार्ग चुना, क्योंकि यह शायद भगवान कृष्ण की ही इच्छा थी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के साथ-साथ सनातन धर्म का ज्ञान भी अवश्य दें। उनका मानना है कि जब बच्चों को धर्म का ज्ञान होगा, तो उन्हें जीवन जीने की कला अपने आप आ जाएगी, क्योंकि धर्म और शास्त्र ही जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। पाँचवें दिन के हवन में कई भक्तों ने जजमान के रूप में भाग लिया।
इस दौरान नीतीश कुमार संग पूजा देवी, संजीत चौबे/गीतांजलि चौबे, विनोद खरवार संग राज्यवती और फौजदार सिंह संग उर्मिला उपस्थित रहे। भागवत कथा के बाद, रात 8:00 बजे से 12:00 बजे तक भव्य रासलीला का मंचन किया गया, जिसमें भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
महामंडलेश्वर हेमलता सखी ने अपने संबोधन में कहा कि मानव जीवन अनमोल है और इसे सार्थक करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर समाज बनाना है। उन्होंने कहा, अपने लिए तो हर कोई जीता है, जीना उसका नाम है जो औरों के लिए जिएं। यह महायज्ञ धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से लोगों को एक साथ जोड़ने का एक सुंदर माध्यम साबित हो रहा है, जिसमें सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं और मर्यादाओं का प्रसार किया जा रहा है।

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