ग्रामीण चिकित्सक की सतर्कता से टली संभावित त्रासदी जिले के
फुलकहा गांव में गंगापुर वैतरणी नहर टूटने से बाल-बाल बची, तीन घंटे की मशक्कत के बाद टला खतरा
सुपौल ब्यूरो
बुधवार की देर रात जिले के जदिया पंचायत के फुलकहा गांव में उस समय अफरातफरी मच गई, जब गंगापुर वैतरणी नहर के पूर्वी तटबंध से अचानक तेज पानी का रिसाव शुरू हो गया। नहर टूटने की आशंका से अचानक ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में स्थानीय लोगों ने प्रशासन को सूचना दी। तीन घंटे की कड़ी मशक्कत और जेसीबी मशीनों की सहायता से आखिरकार रिसाव को काबू में कर लिया गया और एक बड़ी आपदा टल गई।
घटना रात लगभग दस बजे की है, जब गांव के एक स्थानीय चिकित्सक एक मरीज को देखने नहर पार टोले में गए थे। लौटते समय उन्होंने नहर पर बने पुल के पास सड़क पर पानी देखा। पहले तो उन्हें भ्रम हुआ, लेकिन पास जाकर देखा तो पानी का प्रवाह नहर से हो रहा था। उन्होंने तत्काल टोले के अन्य ग्रामीणों को सूचना दी।
ग्रामीणों की तत्परता से शुरू हुई बचाव की कोशिश
पानी का फैलाव देख ग्रामीण मौके पर जुट गए और खुद ही रिसाव रोकने की कोशिश में लग गए। इस दौरान कुछ ग्रामीणों ने जदिया थानाध्यक्ष राजीव कुमार, त्रिवेणीगंज के बीडीओ, एसडीएम व अनुमंडल प्रशासन को भी सूचना दी।
प्रशासन पहुंचा मौके पर, जेसीबी से शुरू हुआ मरम्मत कार्य
सूचना मिलते ही सुपौल डीएम सावन कुमार, एसपी शरथ आर एस, त्रिवेणीगंज एसडीएम अभिषेक कुमार, एसडीपीओ विभाष कुमार, बीडीओ अभिनव भारती, थानाध्यक्ष राजीव कुमार, सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता अबेबूल रहमान व सहायक अभियंता उज्जवल सिंह मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। तुरंत जेसीबी मशीन मंगवाई गई और ग्रामीणों के सहयोग से मरम्मत कार्य शुरू किया गया।
तीन घंटे चला राहत कार्य
लगभग तीन घंटे चले इस आपातकालीन कार्य के बाद नहर की स्थिति को नियंत्रित किया गया। रिसाव पूरी तरह बंद हुआ और प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
चूहे के बिल से बना खतरा
ग्रामीणों के अनुसार नहर में इस समय जलस्तर बहुत ऊंचा है। बताया जाता है कि नहर के तटबंध में चूहों द्वारा बनाए गए बिल से धीरे-धीरे रिसाव शुरू हुआ था, जो बढ़ते-बढ़ते जानलेवा स्थिति में पहुंच गया। यदि समय रहते इसकी पहचान नहीं होती, तो नहर टूट जाती और आसपास का पूरा इलाका बाढ़ से तबाह हो जाता।
"सुनसान इलाका, कोई जल्दी देख भी नहीं पाता"
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जहां से रिसाव हो रहा था, वह इलाका सुनसान है। अगर रात में चिकित्सक उस रास्ते से नहीं गुजरते, तो संभवतः सुबह तक पूरा इलाका जलमग्न हो चुका होता।
ग्रामीणों ने जताया प्रशासन का आभार
प्रशासन की तत्परता से क्षेत्र की बड़ी त्रासदी टल गई। ग्रामीणों ने सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन की सक्रियता की सराहना की। साथ ही यह भी मांग की कि नहरों की नियमित निगरानी और मरम्मती व्यवस्था सुदृढ़ की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।

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